श्मशान भी डूबें, जोधपुर में बारिश से भारी परेशानी; हाईकोर्ट ने अधिकारियों को लगाई फटकार, मांगा प्लान

जोधपुर में बीते दिनों हुई भारी बारिश के बाद नारकीय स्थिति है. जलभराव के कारण लोगों का जन-जीवन बुरी तरह से प्रभावित हुआ है. इस बीच हाईकोर्ट ने अधिकारियों को फटकार लगाई है.

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जोधपुर में भारी बारिश के बाद श्मशान डूबे.

Jodhpur Rain and Water Logging: राजस्थान के जोधपुर में पिछले 3 दिन से हुई बारिश के बाद जगह-जगह जल भराव की स्थिति देखने को मिल रही है. खेत-खलिहान, गांव, सड़के, रेलवे पटरियां के साथ-साथ श्मशान तक पानी में डूब गए हैं. इस कारण जोधपुर में लाश जलाने में भी भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. श्मशान में सुखे जगह की भी कमी हो गई हैं. ऐसी ही एक तस्वीर सामने आई जो सभी को सोचने के लिए मजबूर कर रही हैं. दरअसल चौपासनी हाउसिंग बोर्ड स्थित सुथला क्षेत्र में अलग-अलग  समाज के कई श्मशान घाट हैं जो 3 दिन की हुई बरसात के बाद पानी में डूब गए  हैं. 

जल भराव के कारण लोगों को शव यात्रा ले जाने और अंतिम संस्कार करने में मशक्कत करनी पड़ रही है. बुधवार को भी तीन अलग-अलग समाज की शव यात्रा यहां पहुंची. जिसमें से एक शव यात्रा परिजन यहां से वापस सिवांची गेट स्थित शमशान घाट लेकर गए. 

दरअसल इस शमशान घाट से निकलने वाले नालों पर लोगों ने अतिक्रमण कर लिया है और अब निकासी का सही मार्ग नहीं होने के कारण से इस शमशान क्षेत्र में जल भराव की स्थिति उत्पन्न हो गई है हालांकि एनडीटीवी की टीम जब मौके पर पहुंची और इसकी सूचना नगर निगम प्रशासन को मिली तो उन्होंने वैकल्पिक व्यवस्था कर पानी निकालने का प्रयास किया.

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प्रशासन के दावों की खुली पोल

लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि मानसून आने से पहले जिस तरह से जिला प्रशासन और नगर निगम दावे कर रहा था कि मानसून से पहले उन्होंने नहर और नाले पूरी तरह से साफ करवा दिए हैं. और इसके बावजूद भी अगर कहीं जल भराव होता है. तो प्रशासन मड पंप लगाकर उस क्षेत्र से पानी निकाल कर लोगों को राहत देगा. लेकिन जिस तरह की तस्वीर सामने आई है उससे अंदाजा ही लगाया जा सकता है .कई श्मशान घाट तो पानी के अंदर ही डूब चुके हैं. तो अन्य समाज के शमशान घाट पर जाने के लिए लोगों को पानी से गुजरना पड़ रहा है.

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इन सब परिस्थितियों के लिए सबसे बड़ा जिम्मेदार प्रशासन ही है क्योंकि जब अतिक्रमण होता है उस समय उन अतिक्रमणों को वोट बैंक की राजनीति के चलते रोका नहीं जाता है. जिस एजेंसी पर उन्हें रोकने का जिम्मा होता है वह एजेंसिया राजनेता के दखल के कारण उन्हें रोकते नही है. और फिर जिसका परिणाम इस तरह से सामने आता है कि जगह-जगह जल भराव हो जाता है.

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अधिकारियों को लगी फटकार, अगली सुनवाई पर मांगा शॉर्ट टर्म प्लान

दूसरी ओर जोधपुर शहर के बरसाती पानी की निकासी नहीं होने और शहर की सड़कें तालाब बनने के साथ मानव जीवन पर खतरे को लेकर राजस्थान हाईकोर्ट ने असंतोष जताते हुए अधिकारियों को फटकार लगाई है. वरिष्ठ न्यायाधीश श्रीचन्द्रशेखर व न्यायाधीश कुलदीप माथुर की खंडपीठ में सुनवाई के दौरान जेडीए आयुक्त, नगर निगम उत्तर व दक्षिण के आयुक्त पेश हुए.

कोर्ट ने इनकी कार्यशैली को लेकर असंतोष जताया एवं अगली सुनवाई पर शॉर्ट टर्म प्लान के साथ फिर से तलब किया है. बरसाती पानी के नाले के निर्माण को लेकर माधोसिंह कच्छवाहा की ओर से दायर जनहित याचिका पर अधिवक्ता सीएस कोटवानी ने पैरवी करते हुए शहर के हालातों से अवगत करवाया. वरिष्ठ अधिवक्ता एवं अतिरिक्त महाधिवक्ता राजेश पंवार ने कोर्ट को अब तक शहर के पानी एवं बरसाती पानी की निकासी के लिए नालों के निर्माण को लेकर पक्ष रखा.

उन्होंने कोर्ट को बताया कि भैरव नाले का निर्माण आधे से अधिक हो चुका है उसी तरह से बनाड रोड पर भी निर्माण कार्य चल रहा है जो कि रूडिप द्वारा किया जा रहा है जिनका निर्माण जून 2025 तक पूरा करने की डेड लाइन है. जेएनवीय कैम्पस से जो नाला जोजरी नदी तक जाने वाला है कैम्पस में निर्माण पूरा हो गया लेकिन बाहर निर्माण चल रहा है जो कि अब पेयजल विभाग की लाइन शिफ्ट नहीं होने की वजह से अटका हुआ है.

कोर्ट ने कहा कि नाले में युवक की डूबने से मौत हो गई. लेकिन निगम व जेडीए बरसाती पानी को लेकर गंभीर नहीं है. अधिकारियों को फटकार लगाते हुए कहा कि इस तरह से पूरा शहर ही तालाब बन जाता है.


कोर्ट ने लम्बी सुनवाई के बाद इस मामले में अधिकारियों को 13 अगस्त को शॉर्ट टर्म प्लान के साथ फिर से तलब किया है. कोर्ट ने कहा कि महज थोड़ी सी बारिश में ही शहर तालाब बन जाता है जबकि पूरे शहर का ड्रेनेज सिस्टम फेल हो रहा है. समय बद्ध तरीके से काम करने की बजाय केवल कोर्ट में आकर आश्वासन देने से ही काम नही चलता है.

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