
Rajasthan Khap Panchayat: राजस्थान में खाप पंचायत एक पुरानी परंपरा है. राजस्थान के छोटे-छोटे गांव में खाप पंचायत एक अदालत के तौर पर काम करती है. जिसमें कुछ सदस्य खुद कानून बनाती है और इस कानून को पूरे गांव को माननी पड़ती है. हालांकि यह कानूनी तौर पर पूरी तरह से अवैध होता है. कई बार तो खाप पंचायत में कानून को ताक पर रखते हुए क्रुर फैसले तक ले लेती है. जिससे आम लोगों का पूरा जीवन तक बर्बाद हो जाता है. हाल में खाप पंचायत के फैसले के कई मामले सामने आए हैं. जिसमें एक परिवार को पूरे गांव से बहिष्कार करने जैसे फैसले देखने को मिले हैं. इतना ही नहीं खाप उन परिवारों पर जुर्माना भी तय करती है. लेकिन खाप पंचायत के इन फैसलों के खिलाफ कई बार शिकायत भी दर्ज की गई है. लेकिन खाप पंचायत को जड़ से खत्म करने की कार्रवाई अब तक नहीं की गई है.
अब इसी मामले में अब राजस्थान की हाईकोर्ट ने दखल देते हुए बड़ा फैसला लिया है. राजस्थान हाईकोर्ट ने खाप पंचायत और सामाजिक बुराइयों पर अंकुश लगाने के लिए एक पांच सदस्य आयुक्तों के आयोग का गठन किया है. इसमें चार वकील और एक सामाजिक कार्यकर्ता शामिल है जो ग्राउंड जीरो पर जाकर खाप पंचायत के बारे में पता लगाएगी.
कोर्ट ने भी खाप पंचायत की बुराईंयों पर गंभीरता दिखाई
जस्टिस फरजंद अली की सिंगल बेंच में याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता अर्जुन सिंह ने समाज में व्याप्त कुप्रथाओं के वो मुद्दे उठाए, जिसमें खाप नेता सामाजिक बहिष्कार और जुर्माना लगाने जैसे फैसले सुनाते हैं. हाई कोर्ट ने भी इस मामले को गंभीरता से लेते हुए कहा कि विशेष रूप से पश्चिमी राजस्थान में जोधपुर ग्रामीण, बाड़मेर, जैसलमेर, जालौर, नागौर और पाली शामिल हैं. इन क्षेत्रों में खाप पंचायत सहित अन्य सामाजिक बुराईयां व्याप्त हैं.
कोर्ट कमिश्नर के रूप में काम करेगा आयोग
आयोग के सभी सदस्य कोर्ट कमिश्नर के रूप में काम करेगा. पुलिस अधीक्षक नियुक्त आयुक्तों को पूरी सहायता प्रदान करेगी और उनकी यात्रा के दौरान सशस्त्र सुरक्षा सहित उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे. आयुक्त प्रभावित क्षेत्रों में पुलिस स्टेशनों का निरीक्षण कर थानाधिकारियों के साथ बातचीत करेंगे और यदि आवश्यक हो तो सरपंच, ग्राम सेवक और ब्लॉक विकास अधिकारी जैसे स्थानीय अधिकारियों के साथ बातचीत करके रीति-रिवाजों और अनुष्ठानों की आड़ में किए गए कदाचारों पर एक व्यापक रिपोर्ट तैयार करेंगे.
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