मकान बनाना बेहद खर्चीला काम है. सामान्य कमाई करने वाला कोई इंसान मकान बनाने के बाद निश्चिंत हो जाता है. मकान बनाने में ईंट, सरिया, बालू, गिट्टी, लेबर चार्ज सहित अन्य खर्चे शामिल होते हैं. आम तौर पर एक छोटा का घर बनाने में ही लाखों का खर्च हो जाता है. लेकिन ऊपर तस्वीर में आप जिस मकान के निर्माण को देख रहे हैं उसकी कहानी औरों से अलग है. तस्वीर से साफ जाहिर है कि यहां किसी बड़े मकान की छत ढाली जा रही है. तस्वीर में बहुत सारे लोग काम करते नजर आ रहे हैं. गिट्टी और बालू का भारी ढेर भी नजर आ रहा है. आइए आपको बताते हैं कि इस मकान की कहानी.
कोटा में ढाली गई 8460 स्क्वायर फीट छत
यह तस्वीर सामने आई है कि राजस्थान के कोटा से, वहीं कोटा जिसे पूरी दुनिया कोचिंग सिटी के रूप में जानती है. कोटा में 8460 स्क्वायर फीट छत की ढलाई हुई है. इस ढलाई में 1700 बोरी सीमेंट की बोरियों का इस्तेमाल हुआ. कई मशीनों के साथ-साथ करीब 3000 लोग इस ढलाई के काम में लगे. लेकिन इसके बाद भी इस छत निर्माण का लेबर चार्ज जीरो है.
कोटा ने दिया सेवा के जज्बे का बड़ा संदेश
लेबर चार्ज जीरो होने का कारण रहा सेवा. दरअसल डॉक्टर और इंजीनियर की फैक्ट्री कहलाने वाला राजस्थान का कोटा शहर सेवा के जज्बे का भी बड़ा संदेश समय-समय पर देता आया है. कोटा जहां स्वैच्छिक रक्तदान में देश के अग्रणी शहरों में शामिल है. वही सेवा कार्यों को लेकर एक बार फिर कोटा सुर्खियों में है.
कई राज्यों से पहुंचे 3 हजार सेवादारों ने की सेवा
दरअसल कोटा के अगमगढ़ गुरुद्वारा दरबार साहिब की बिल्डिंग की पहली मंजिल की छत डालने के लिए देशभर से सेवादार जुटे और लगातार 10 घंटे सेवा कार्य कर देश भर में सेवा की एक और मिसाल कायम कर दी. पंजाब, गुजरात, यूपी, एमपी से करीब 3 हजार सेवादार यहा आए. सेवादारों ने गुरुद्वारे के भवन की पहली मंजिल की 8460 फीट की छत को करीब 10 घंटे में कड़ी मेहनत जज़्बे के साथ करके अंजाम तक पहुँचा दिया. अब 10 दिन बाद पहली मंजिल की शटरिंग खोली जाएगी.
तीन मंजिला गुरुद्वारा निर्माण है प्रस्तावित
कोटा सेंट्रल गुरु सिंह सभा अध्यक्ष तरूमीत सिंह बेदी ने बताया, "कोटा बूंदी रोड पर स्थित गुरुद्वारा अगमगढ़ साहिब में पिछले 3 महीनों से नए दरबार साहिब के भवन निर्माण का काम चल रहा है. ये तीन मंजिला गुरुद्वारा प्रस्तावित है. दरबार साहिब की पहली मंजिल की छत डालने का काम गुरुवार सुबह साढ़े 8 बजे शुरू किया."
सेवा कार्य में दक्षता भी आई नजर
सेवादारों ने जिस शिद्दत से काम किया उसमें दक्षता भी बखूबी देखने को मिली. देशभर से आये सेवादारों के जत्थे ने 8-8 इंच के 38 बीम तैयार कर डाले. बाबा लक्खा सिंह बताते है कि क्या बच्चे, बड़े, बुजुर्गों, माता और बहनों ने मिलकर जो सेवा दी वो न सिर्फ नजीर बनी बल्कि कार्य भी ऐतिहासिक हुआ.
मैराथन सेवा के दौरान अटूट लंगर का भी चला दौर
सेवादारों ने 8-8 इंच के 38 बीम तैयार किए. जेसीबी, लोडरों के साथ संगत ने मिलकर जिस कर्मठता से कार्य किया उसे एक दूसरे का उत्साह वर्धन भी हुआ. इस निर्माण कार्य में 1700 सीमेंट के कट्टे लगे. मैराथन सेवा कार्य के दौरान अटूट लंगर का दौर भी जारी रहा माता और बहनों ने पूरे जोश और जज्बे के साथ इसमें हिस्सा लिया.
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