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जैसलमेर फोर्ट में पर्यटक की तबीयत बिगड़ी तो बुलाने पर नहीं पहुंची एंबुलेंस, डिस्पेंसरी में बेड भी नहीं मिला

चिकित्सा विभाग ने आनन-फानन में डिस्पेंसरी शुरू तो कर दी, लेकिन अभी तक बेड तक नहीं लगाए गए हैं. स्टाफ और दवाइयां मौजूद हैं, लेकिन मरीजों को जरूरी इलाज के दौरान लिटाने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है.

जैसलमेर फोर्ट में पर्यटक की तबीयत बिगड़ी तो बुलाने पर नहीं पहुंची एंबुलेंस, डिस्पेंसरी में बेड भी नहीं मिला

Rajasthan News: जैसलमेर के ऐतिहासिक सोनार दुर्ग (Jaisalmer Fort) में करीब ढाई महीने पहले सरकारी डिस्पेंसरी शुरू की गई, लेकिन बुनियादी सुविधाओं के अभाव ने इसकी उपयोगिता पर सवाल खड़े कर दिए हैं. बुधवार को सोनार दुर्ग घूमने आई एक महिला की अचानक तबीयत बिगड़ गई. बेहोश महिला को दुर्गवासियों ने पुरानी जेल स्थित डिस्पेंसरी पहुंचाया, लेकिन वहां न तो बेड था और न ही इंजेक्शन. यहां तक की ड्रिप चढ़ाने के लिए मरीज को लेटाने तक की कोई व्यवस्था नहीं थी.

एंबुलेंस नहीं पहुंची, प्राइवेट कार से ले गए अस्पताल

चिकित्सा विभाग ने आनन-फानन में डिस्पेंसरी शुरू तो कर दी, लेकिन अभी तक बेड तक नहीं लगाए गए हैं. स्टाफ और दवाइयां मौजूद हैं, लेकिन मरीजों को जरूरी इलाज के दौरान सुलाने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है. ऐसे में गंभीर मरीजों को निजी साधनों से अन्य अस्पताल ले जाना पड़ रहा है. महिला को जवाहर अस्पताल ले जाने के लिए एंबुलेंस बुलाने का प्रयास किया गया, लेकिन सोनार दुर्ग तक एंबुलेंस नहीं पहुंची. आखिरकार दुर्गवासी नीरज व्यास ने अपनी निजी गाड़ी से महिला को अस्पताल पहुंचाया.

Jaisalmer Fort Dispensary

पुराने जेल भवन में स्थापित की गई है डिस्पेंसरी

डिस्पेंसरी को पुराने जेल भवन में स्थापित किया गया है, लेकिन यहां भी पर्याप्त स्थान और सुविधाओं की कमी है. डिस्पेंसरी के लिए केवल तीन कमरे आवंटित किए गए हैं. फिलहाल यहां अस्थायी रूप से फाइबर की मदद से काम चल रहा है, लेकिन बुनियादी जरूरतें अभी पूरी नहीं हुई हैं. सोनार दुर्ग की डिस्पेंसरी क्षेत्रवासियों और पर्यटकों को राहत पहुंचाने के लिए खोली गई थी. लेकिन सुविधाओं की कमी के कारण इसकी उपयोगिता सीमित हो गई है. दुर्गवासियो को उम्मीद थी कि बेहतर प्रबंधन और संसाधनों की व्यवस्था से यह डिस्पेंसरी क्षेत्र के लिए एक बड़ी राहत बनेगी, लेकिन इमरजेंसी में यह डिस्पेंसरी कोई काम न आ सकी, जिससे जिम्मेदारों पर सवाल खड़े हो रहे?

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'अस्थाई कैबिन बनाने का काम शुरू कर दिया'

सीएमएचओ डॉ. राजेंद्र पालीवाल से जब इस घटना के संबंध में सवाल किया तो उन्होंने बताया कि सोनार दुर्ग में पुरातत्व विभाग की बिना परमिशन कोई कंस्ट्रक्शन नहीं करवा सकते. हालांकि हमने फाइबर के अस्थाई कैबिन का काम शुरू कर दिया है. वहीं बेड और अन्य आवश्यक उपकरण जल्द ही लगाए जाएंगे. दुर्ग के लिए छोटी एंबुलेंस की मांग का प्रस्ताव उच्चाधिकारियों को भेजा है. वहीं 108 नहीं पहुंचने के सवाल पर उन्होंने कहा कि इस विषय में जानकारी लेकर जांच करेंगे.

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