दीपावली का पर्व नजदीक है और देश भर में दीपावली की तैयारियां शुरू हो गई है. दीपावली में मिट्टी के दीयों और उससे जुड़े उत्पादों की खूब मांग रहती है. मिट्टी से निर्मित दीयों और मूर्तियां बाजार में पहुंचनी भी शुरू हो गई हैं, लेकिन आजकल गाय के गोबर से निर्मित दीयों और मूर्तियों की चर्चा आम है. इको प्रेंडली इन दीयों की डिमांग तेजी से बढ़ी है. यह उत्पाद दिल्ली की इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़ गांव में आर्गेनिक खेती करने वाले कमल राम मीणा बनाते हैं.
गौरतलब है पिछली दीपावली पर भी कमल राम मीणा द्वारा निर्मित गाय के गोबर से दीपक ने खूब सुर्खियां बंटोरी थीं और उनके निर्मित दीयों की मांग इतनी अधिक हो गई कि उन्हें आपूर्ति के लिए दीया, स्वास्तिक, शुभ लाभ और लक्ष्मी-गणेश , बनाना पड़ गया. पिछले पांच वर्षों से गांव में आर्गेनिक खेती कर रहे कमल राम मीणा अब गायों के गोबर से निर्मित विभिन्न उत्पाद मार्केट में उतारा है, जिसकी बाजार में खूब डिमांड रहती है.
रिपोर्ट के मुताबिक गाय के गोबर में निर्मित दीपावली से जुड़े विभिन्न उत्पादों को कमलराम मीणा हवन सामग्री मिला तैयार करते हैं, जो वातावरण को प्रदूषित करने के बजाय शुद्ध करते हैं. कमल राम मीणा के मुताबिक गाय के गोबर से निर्मित उत्पादों की बिक्री बढ़ने से गोबर का महत्व बढ़ेगा और इससे वातारण में सुरक्षित होगा, जिससे लोगों का स्वास्थ्य बेहतर रहेगा.
कमल राम मीणा ने बताया कि दिल्ली की प्रदूषित हवा ने उनका और उनकी पत्नी के स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर डाला, जिसके चलते उन्होंने दिल्ली छोड़ने का निर्णय किया और गांव आकर ऑर्गेनिक खेती शुरु कर दी. कमल राम मीणा यही नहीं रूके, उन्होंने गिर नस्ल की पांच गायें गुजरात से लाकर उनके गोबर से निर्मित विभिन्न उत्पाद बाजार में बेंचना शुरू कर दिया.
कमल राम मीणा के पास अभी कुल 15 गायें है, जिनके गोबर निर्मित उत्पाद बाजार में बेचकर न केवल अपना बल्कि इस उद्योग से जुड़े अन्य लोगों को रोजगार मुहैया करवा रहे हैं. पिछली दीपावली पर कमल नाथ मीणा ने करीब दो लाख गाय के गोबर से दीपक बनाए थे. कलम राम मीणा के उत्पादों की राजस्थान, उत्तर प्रदेश और दिल्ली ही नहीं, अन्य विभिन्न राज्यों में जबर्दस्त मांग है.
गाय के गोबर से दीए व अन्य उत्पादों को बनाने के लिए पहले को सुखाया जाता है, फिर गोबर को मशीन में डालकर बारीक पीसा जाता है, इसके बाद उसमें हवन सामग्री मिलाकर सांचे में डालकर वांछितरूप दिया जाता है. इन उत्पादों की विशेषता है कि यह वातावरण को शुद्ध रखते है. इन उत्पादों की अधिक मांग होने के चलते गायों का महत्व भी बढ़ रहा है.
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