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Mahi Bajaj Sagar Project: ईआरसीपी मुद्दे के बाद अब माही बांध प्रोजेक्ट पर होगी भजनलाल सरकार की परीक्षा, इन जिलों को मिलेगा फायदा?

Drinking Water Crisis: माही बांध प्रोजेक्ट को लेकर राजस्थान-गुजरात के बीच 10 जनवरी, 1966 को समझौता हुआ था. माही बांध के निर्माण पर 90 करोड़ रुपए खर्च हुए थे, जिसमें गुजरात सरकार ने 55 प्रतिशत और राजस्थान सरकार ने 45 प्रतिशत खर्च किया था.

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Mahi Bajaj Sagar Project: ईआरसीपी मुद्दे के बाद अब माही बांध प्रोजेक्ट पर होगी भजनलाल सरकार की परीक्षा, इन जिलों को मिलेगा फायदा?
प्रतीकात्मक तस्वीर

Mahi Bajaj Sagar Project: राजस्थान में पीने के पानी और सिंचाई के लिए ईआरसीपी प्रोजेक्ट पर राजस्थान और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्रियों के बीच  एमओयू हो गए, लेकिन पिछले 58 सालों से गुजरात के साथ माही बांध प्रोजेक्ट पर हुए समझौते को समाप्त करने को लेकर प्रयास जरूरी है, जिससे प्रदेश के कई जिलों में पेयजल और सिंचाई की पानी का संकट दूर हो सकता हैं.

माही बांध प्रोजेक्ट को लेकर राजस्थान-गुजरात के बीच 10 जनवरी, 1966 को समझौता हुआ था. माही बांध के निर्माण पर 90 करोड़ रुपए खर्च हुए थे, जिसमें गुजरात सरकार ने 55 प्रतिशत और राजस्थान सरकार ने 45 प्रतिशत खर्च किया था.

माही बांध पर गुजरात सरकार का खर्च 50 करोड़ था, लेकिन गुजरात सरकार वर्तमान में 559 करोड़ रुपए बकाया बता रही है. समझौते के अनुसार गुजरात के खेड़ा तक नर्मदा का पानी पहुंचने तक ही राजस्थान को बांध से पानी देने था, लेकिन अब सवाल यह है कि राजस्थान यह कैसे साबित करेगा कि खेड़ा तक पानी पहुंच गया है.

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भजनलाल सरकार गुजरात के साथ हुआ यह समझौता समाप्त करने में सफल होती है, तो जालोर, सिरोही व बाड़मेर जिले को माही बांध का पानी मिल सकता है, जिसके लिए जालोर में कई सालों से आंदोलन चल रहा है.

गुजरात नहीं दे रहा बांध के रखरखाव का बकाया

माही बजाज सागर परियोजना में राजस्थान और गुजरात की हिस्सेदारी के अनुसार किए गए अंतरराज्यीय समझौते के तहत माही बांध, कागदी डैम और मुख्‍य नहराें के रखरखाव के लिए हर साल हिस्सा देेना है, लेकिन गुजरात ने अपने हिस्से की बकाया राशि अब तक अदा नहीं की है.बकाया राशि नहीं मिलने से माही बांध सहित कागदी पिकअप वियर बांध, बायीं मुख्य नहर, माही पावर हाउस प्रथम और द्वितीय का रखरखाव नहीं हाे पा रहा है

माही बजाज सागर परियोजना यूनिट प्रथम के तहत राजस्थान राज्य का हिस्सा 45 प्रतिशत और गुजरात राज्य का हिस्सा 55 प्रतिशत है. माही बांध के 77 टीएमसी पानी में से गुजरात का हिस्सा 40 टीएमसी है, जबकि राजस्थान का हिस्सा महज 16 टीएमसी है.

वर्ष 1993-94 मेंं गुजरात राज्य काे अपनी हिस्सेदारी की राशि 274.31 लाख अदा करनी थी, जाे बढ़ते-बढ़ते वित्तीय वर्ष 2020-21 में 29 कराेड़ 55 लाख हाे गई थी. इधर गुजरात राज्य ने वर्ष 2008-09 से 2010-11,2012 से 2013 तक,2013-14 से 2020-21 तक 22 कराेड़ 30 लाख रुपए चेक के माध्यम से जमा करवाया है. जिसमें 50 लाख रुपए कीआखिरी चेक 20 मार्च 2021 तक क्लियर हुआ था.

माही बजाज सागर परियोजना बांध खंड के एक्सईएन निरंजन लाल मीणा ने बताया कि हमारी ओर से बकाया राशि का भुगतान करने निरंतर पत्र लिखा जा रहा है, जिससे कि प्राप्त राशि का बांध आदि के रखरखाव पर उपयोग किया जा सके.

गुजरात काे अभी भी अदा करने हैं 29.55 करोड़ रुपए

माही बजाज सागर परियोजना यूनिट प्रथम पर कुल खर्च 94 कराेड़ 30 लाख रुपए हाे चुका है, जिसमें गुजरात राज्य की हिस्सेदारी 55 प्रतिशत के हिसाब से 51 कराेड़ 86 लाख रुपए है, लेकिन उसके एवज में वर्ष 1993 से लेकर वर्ष 2021 के मार्च माह तक गुजरात ने अपने हिस्से की 22 करोड़ 30 लाख ही अदा की है. उसे राजस्थान काे अभी 29 कराेड़ 55 लाख की बकाया राशि अदा करनी है.

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