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Muharram 2024: जयपुर में 10 किलो सोना, 60 किलो चांदी से बने ताजिया की क्या है कहानी? हिंदू भी चढ़ाते हैं चढ़ावा

Jaipur royal Family Tajiya: नीचे तस्वीर में दिख रहा यह ताजिया अपने आप में बेहद खास है. इसका निर्माण 60 किलो चांदी और 10 किलो सोने से हुआ है. आइए जानते हैं जयपुर राजघराने के इस विशिष्ट ताजिया की पूरी कहानी.

Muharram 2024: जयपुर में 10 किलो सोना, 60 किलो चांदी से बने ताजिया की क्या है कहानी? हिंदू भी चढ़ाते हैं चढ़ावा
Jaipur royal Family Tajiya: 60 किलो चांदी से बने इस ताजिया के गुबंद 10 किलो सोने से बने है.


Muharram 2024: मुर्हरम का त्योहार आज पूरे देश-दुनिया में मनाया जा रहा है. इस मौके पर देशभर में ताजिया निकाला जा रहा है. बात राजस्थान की करें तो शाही परंपराओं के लिए मशहूर राजस्थान में हर त्योहार-हर मौके पर खास ही रंग जमता है. मुर्हरम पर राजस्थान में निकलने वाले ताजिया में एक ताजिया की चर्चा हर बार होती है. यह ताजिया जयपुर राजघराने (Jaipur royal Family Tajiya) की है. खास बात यह है कि यह ताजिया 10 किलो सोना और 60 किलो चांदी से बना है. आइए जानते हैं इस ताजिया की पूरी कहानी. 

जयपुर शहर से निकलते हैं 300 ताजिया

दरअसल जयपुर में मुहर्रम के ताजिया में गंगा जमुनी तहजीब के सुंदर रंग दिखाई देते हैं. यूं तो पूरे शहर में करीब 300 ताजिया जुलूस निकलते हैं लेकिन इनमें जयपुर राजघराने का ताजिया न सिर्फ काफी खूबसूरत है बल्कि यह जयपुर की साझी विरासत का प्रतीक भी है. इस ताजिया में 60 किलो चांदी और दस किलो सोने का इस्तेमाल हुआ है. 

जयपुर राजघराने की इस विशिष्ट ताजिया की नक्काशी इसे और खूबसूरत बनाती है. इस ताजिया को 4 दिनों तक जयपुर के त्रिपोलिया गेट पर रखा जाता है. जहां बड़ी संख्या में हिंदू और मुस्लिम इसे देखने और चढ़ावा चढ़ाने आते हैं. 

जयपुर राजघराने की ताजिया की कहानी
60 किलो चांदी और 10 किलो सोने से बना जयपुर राजघराने का ताजिया. जयपुर राजघराने के महाराजा राम सिंह ने सन् 1860 में बनवाया था.
4 दिन त्रिपोलिया गेट पर रखा जाता है, हिंदू भी बड़ी संख्या में पहुंचते हैं. 
यह ताजिया करीब पौने दो सौ साल पुराना बताया जाता है. 

1860 में जयपुर के महाराजा ने करवाया था निर्माण

इस ताजिया को सन् 1860 में जयपुर राजघराने के महाराजा राम सिंह ने बनवाया था. अब्दुल सत्तार की तीन पीढियां इसकी देखभाल कर चुकी हैं. अभी उनके बेटे बरकत बेग इस ताजिया की खिदमत कर रहे हैं. वे बताते हैं कि उनका परिवार जयपुर की इस विरासत को संभाल रहा है, यह उनके लिए गौरव की बात है. जयपुर में सबसे पहले यही ताजिया निकलता है फिर अन्य जगहों से ताजिया निकाला जाता है. 

बड़ी संख्या में हिंदू भी चढ़ावा चढ़ाते हैं

इस ताजिया पर चढ़ावा चढ़ाने न सिर्फ मुस्लिम बल्कि बड़ी संख्या में हिंदू भी पहुंचते हैं. सालों से पहुंचने वाले नाथूलाल बताते हैं कि उनके पिता ने नाथूलाल के स्वास्थ्य के लिए मन्नत मांगी थी, उसके बाद से ही वे हर साल ताजिया पर चढ़ावा चढ़ाने आते हैं. वे मानते हैं कि सभी इंसान और उनके ईश्वर एक हैं. इसलिए वे यहां पहुंचते हैं. हालांकि ताजिया पर चढ़ावा चढ़ाने वाले वे इकलौते हिंदू नहीं हैं. 

जयपुर राजघराने का ताजिया.

जयपुर राजघराने का ताजिया.

फकीर की राय पर स्वस्थ होने के बाद महाराजा ने करवाया था निर्माण

जयपुर राजघराने के इस विशिष्ट ताजिया की देखरेख खिदमतगार अब्दुल सत्तार करते हैं. उन्होंने बताया- यह ताजिया सन् 1860 में तत्कालीन राजा रामसिंह ने बनवाया था. जब राजा रामसिंह बीमार हुए थे तो एक फकीर की राय पर स्वस्थ हुए. तब उन्होंने यह ताजिया बनवाया था.यह ताजिया सिटी पैलेस की विरासत है. इसे सिटी पैलेस में रखा जाता है. 

मुहर्रम को लेकर प्रशासन चौकस

जयपुर में निकलने वाले ताजिया के लिए प्रशासन ने विशेष इंतजाम किए हैं. दोपहर बाद से ही चारदीवारी में बड़े वाहनों का प्रवेश वर्जित कर दिया है. बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है. ताकि कही कोई अप्रिय घटना नहीं घटित हो. 

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