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बीएचएमएस में दाखिले के लिए अनिवार्य हुआ नेशनल एग्ज़िट एग्ज़ाम,नहीं होगी आयु और अवसरों की सीमा

National Exit Exam: अगर कोई स्टूडेन्ट नेक्स्ट क्लियर नहीं कर पाता है, तब भी वह पोस्ट ग्रेजुएशन प्रोग्राम में दाख़िला ले सकता है यानी एमडी में एडमिशन ले सकता है. इसके अलावा जॉब्स के मौके भी उसके पास रहेंगे. एमडी में एडमिशन के लिए आयुष पीजी एंट्रेंस टेस्ट देना पड़ेगा. 

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बीएचएमएस में दाखिले के लिए अनिवार्य हुआ नेशनल एग्ज़िट एग्ज़ाम,नहीं होगी आयु और अवसरों की सीमा
प्रतीकात्मक तस्वीर

National Commission of Homeopathy Regulations-2023: बैचलर ऑफ़ होम्योपैथिक मेडिसिन एंड सर्जरी में दाख़िला लेने वालों के लिए अब नेशनल एग्ज़िट टेस्ट देना अनिवार्य कर दिया गया है. नेशनल कमीशन ऑफ़ होम्योपैथी ने नए एक्ट में इसका प्रोविज़न रखा है. नेशनल कमीशन ऑफ़ होम्योपैथी रेग्युलेशन्स-2023 जारी किए हैं और 13वें नम्बर पर इसका ज़िक किया है.

बैचलर ऑफ़ होम्योपैथिक मेडिसिन एंड सर्जरी एग्ज़ाम को पास करने के बाद ही भारत में होम्योपैथिक मेडिकल सिस्टम में प्रैक्टिस करने का लाइसेंस डॉक्टर्स को मिलेगा.

रिपोर्ट के मुताबिक नेक्स्ट क्वालिफाई करने के बाद ही नेशनल रजिस्ट्रार के यहां रजिस्ट्रेशन हो सकेगा. यह एग्जाम हर साल फ़रवरी और अगस्त में आयोजित किया जाएगा. हालांकि ऐसे स्टूडेंट्स जो इस नोटिफ़िकेशन के जारी होने से पहले ही इन्टर्नशिप पूरी कर चुके हैं,उन्हें नेक्स्ट नहीं देना होगा. इसके अलावा नेक्स्ट एग्ज़ाम के लिए उम्र और अवसरों की कोई सीमा भी नहीं रखी गई है. यानी कोई भी डॉक्टर किसी भी उम्र में कितनी बार भी नेक्स्ट एग्ज़ाम को अटैम्प्ट कर सकेगा.

अगर कोई स्टूडेन्ट नेक्स्ट क्लियर नहीं कर पाता है, तब भी वह पोस्ट ग्रेजुएशन प्रोग्राम में दाख़िला ले सकता है यानी एमडी में एडमिशन ले सकता है. इसके अलावा जॉब्स के मौके भी उसके पास रहेंगे. एमडी में एडमिशन के लिए आयुष पीजी एंट्रेंस टेस्ट देना पड़ेगा. 

क्लीनिकल कॉम्पिटेंसी पर आधारित होगा एग्ज़ाम

नेक्स्ट का पेपर क्लीनिकल कॉम्पिटेंसी पर आधारित होगा. इसमें प्रॉब्लम सॉल्विंग सवाल पूछे जाएंगे. ये टेस्ट पास करने के लिए कैंडिडेट्स को कम से कम 50 फ़ीसदी मार्क्स हासिल करने होंगे.इसे क्वालिफ़ाई करने वालों की लिस्ट नेशनल कमीशन फ़ॉर होम्योपैथी की वेबसाइट पर जारी की जाएगी. 

एक साल की इन्टर्नशिप है ज़रूरी

बीएचएमएस की डिग्री वाले वे डॉक्टर्स ही ये एग्ज़ाम दे पाएंगे, जिन्होंने एक साल की रोटेटरी इन्टर्नशिप पूरी की हो यानी अलग-अलग चिकित्सा विभागों में प्रशिक्षण लिया हो. साथ ही, इन्टर्नशिप की अवधि नेक्स्ट एग्ज़ाम के लिए ऍप्लिकेशन फ़ॉर्म भरने तक पूरी हो जानी चाहिए.

होम्योपैथिक प्रोफ़ेसर्स व बीएचएमएस डॉक्टर्स ने जताया विरोध

हालांकि होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज के प्रोफ़ेसर्स और  बीएचएमएस डॉक्टर्स इसका विरोध कर रहे हैं. एमएन होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज में सीनियर प्रोफ़ेसर और रेपर्टरी विभाग के अध्यक्ष डॉ.अब्दुल वहीद का कहना है 
कि ये नियम सिर्फ़ होम्योपैथिक डॉक्टर्स पर ही लागू क्यूं किया जा रहा है, जबकि ऐलोपैथिक,यूनानी और आयुर्वेदिक डॉक्टरों पर ये नियम अभी तक लागू नहीं किया गया है.

चिकित्सा क्षेत्र में गुणवत्ता के लिए अच्छा क़दम

डॉ.वहीद कहते हैं कि चिकित्सा क्षेत्र में गुणवत्ता को बेहतरीन बनाने के लिए ये एक अच्छा क़दम है, लेकिन सिर्फ़ होम्योपैथी पर ही लागू क्यूं हो.बाक़ी चिकित्सा पद्धतियों पर भी लागू होना चाहिए. ग़ौरतलब है कि नेशनल मेडिकल कमीशन एमबीबीएस और फ़ॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट्स पर भी नेक्स्ट लागू करने जा रहा था, लेकिन ये प्रक्रिया बीच में ही रोक दी गई है.

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