Navratri Special: पूरे देश में इस समय नवरात्रि की धूम है. जगह-जगह मां की आराधना में लोग लगे हैं. बड़े-बड़े पंडाल बन रहे हैं. मां की मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ जुटी रही है. देश के अलग-अलग हिस्सों से मां की चमत्कारिक मंदिरों की कहानी भी सामने आ रही है. इसी कड़ी में आज हम आपको बताने जा रहे हैं मां दुर्गा के एक चमत्कारिक मंदिर के बारे में जहां की कहानी आपकी विस्मृत कर देगी. यह कहानी है मां के उस मंदिर की जहां हर साल अग्निस्नान होता है. इस दौरान मंदिर का सारा कुछ जल जाता है. लेकिन मां की मूर्ति को कुछ नहीं होता. आइए जानते हैं मां का यह चमत्कारी मंदिर कहां है और इसकी क्या कहानी है...
उदयपुर में स्थित है माता का यह चमत्कारी मंदिर
मां का यह चमत्कारी मंदिर राजस्थान के उदयपुर जिले में है. इस मंदिर का नाम ईडाणा माता मंदिर है. इस मंदिर में हर साल अपने-आप माता का अग्निस्नान होता है, जिसमें माता की मूर्ति को छोड़कर और कुछ भी शेष नहीं बचता. इसे ईडाणा माता के अग्नि स्नान के नाम से जाना जाता है.
यह मंदिर उदयपुर शहर से 60 किमी दूर अरावली की पहाड़ियों में स्थित है. इस मंदिर में कभी भी माताजी के समीप से आग लग जाती है. ऐसा माना जाता है कि जब माताजी बहुत प्रसन्न होती हैं तो वह अग्नि स्नान करती हैं. या माताजी पर अधिक भार होता है तो माता अग्नि स्नान करती है.
अग्निस्नान के दौरान माता की चुनरी, भक्तों का प्रसाद तक हो जाता राख
मंदिर के अंदर मौजूद हर एक चीज, चाहे वह माता की चुनरी ही क्यों न हो, या भक्तों द्वारा चढ़ाया गया भोग-प्रसाद हो, सब कुछ जलकर राख हो जाता है. केवल माता की मूर्ति ही बचती है. यह भी कहा जाता है कि माता के अग्नि स्नान के बाद यहां की आग अपने-आप बुझ जाती है.
इस अग्निस्नान को देखने के लिए भक्तों की भारी भीड़ लग जाती है. आज तक कोई भी इस बात का पता नहीं लगा पाया कि यह आग कैसे लगती है. जो भी भक्त माता के अग्नि स्नान के दर्शन कर लेता है, वह अपने आप को धन्य समझता है.
ईडाणा माता का कोई मन्दिर परिसर नहीं है, बरगद के पेड़ के नीचे खुले आसमान के नीचे माता बिराजी हैं. जैसे ही माता रानी अग्नि स्नान करती है तो दर्शन करने के लिए भक्तों की भीड़ जमा हो जाती है. यहां उत्सव जैसा माहौल हो जाता है. माता के जयकारों की गूंज उठती है.
पांडवों ने की थी माता की पूजा
मंदिर पूरा खुला हुआ है और माताजी विराजमान है. मान्यता है कि सदियों पहले पांडव यहाँ से गुजरे थे जिन्होंने भी माता की पूजा अर्चना की थी. ईडाणा माता को स्थानीय पूर्व राजा, रजवाड़े अपनी कुलदेवी के रूप में मानते हैं ओर आज भी उनकी पूजा अर्चना करके अपने शुभ कार्यों का शुभारंभ करते हैं.
माता के इस मंदिर में श्रद्धालु चढ़ावे में लच्छा चुनरी और त्रिशूल लाते हैं. लोगों की मान्यता है कि इस मंदिर में जाकर माता के दर्शन करने से पैरालिसिस यानी लकवे जैसी गंभीर बीमारी भी ठीक हो जाती है. जिन लोगों के संतान नहीं होती वह दंपती यहां झूला चढ़ाते हैं। इससे उन्हें संतान सुख की प्राप्ति होती है.
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