किरोड़ी लाल मीणा के इस्तीफे पर सस्पेंस खत्म, सीएम भजनलाल को बताया फाइनल फैसला

लोकसभा चुनाव परिणाम आने के बाद से ही किरोड़ी लाल मीणा के इस्तीफ़े पर सस्पेंस बना हुआ है. अब उन्होंने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को अपना फैसला बता दिया है.

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किरोड़ी लाल मीणा.

NDTV Exclusive Interview: राजस्थान के कृषि एवं बागवानी मंत्री किरोड़ी लाल मीणा (Kirodi Lal Meena) के इस्तीफे पर जारी सस्पेंस अब खत्म हो गया है. उन्होंने अपना फाइनल फैसला मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा (Bhajanlal Sharma) को बता दिया है. राजस्थान के शहरी विकास राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) झाबर सिंह खर्रा (Jhabar Singh Kharra) ने एनडीटीवी राजस्थान से खास बातचीत में मंगलवार को इसका खुलासा किया है.

'भावुकता से ज्यादा राष्ट्रहित जरूरी'

यूडीएच मंत्री खर्रा ने कहा, 'किरोड़ी लाल मीणा के इस्तीफा वाला मामला अब खत्म हो गया है. सीएम भजनलाल के साथ उनकी बातचीत हो गई है, जिसमें उन्होंने इस्तीफा न देने के फैसले पर सहमति जताई है. किरोड़ी लाल मीणा भावुक नेता हैं, लेकिन कई बार भावुकता से ज्यादा जरूरी समाज हित और राष्ट्रहित होता है.'

हालांकि अपने फैसले का संकेत किरोड़ी लाल मीणा ने 21 जून को योग दिवस वाले दिन ही दे दिया था. उस दिन न सिर्फ वे प्रदेश सरकार द्वारा आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए, बल्कि उन्होंने सरकारी बैठक में भी भाग लिया था. उसके बाद से ही राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा जोर पकड़ रही थी कि अब वे अपने पद से इस्तीफा नहीं देंगे.

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कल मंत्री ने की थी जन सुनवाई

24 जून को भी किरोड़ी लाल मीणा ने अपने आधिकारिक एक्स अकाउंट से एक वीडियो शेयर किया है, जिसमें वे जनसुनवाई कर आमजन की समस्याओं का समाधान करते हुए नजर आ रहे हैं. ये जनसुनवाई सवाई माधोपुर में मीणा के कार्यालय पर आयोजित की गई थी.

मंत्री ने एक्स पर लिखा, 'आज सवाई माधोपुर में कार्यालय पर मेरे परिवारजनों से आत्मीय मुलाकात कर उनकी समस्याएं सुनी और समाधान की दिशा में सार्थक प्रयास किए. आपकी समस्याओं का समाधान करना ही मेरे जीवन का प्रथम ध्येय है.'

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संस्कृत का श्लोक पढ़कर दिया था जवाब

इससे पहले उन्होंने संस्कृत का एक श्लोक पढ़ते हुए इस्तीफ पर अपना रुख साफ किया था. मंत्री ने बताया कि चुप रहकर किसी भी बात को स्वीकार कर लेना उनका स्वभाव है.

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उन्होंने कहा था,"जब तक मेरे शरीर में प्राण हैं मैं किसान, गरीब, मजदूर की सेवा करता रहूंगा. इसके लिए जरूरी नहीं कि सरकार में रहकर ही काम किया जाए. जब मैं सरकार से बाहर था, तब 26 लाख बच्चे रीट पेपर में बैठे थे, मैंने उस पेपर को निरस्त कराया था. सरकार में होता तो मैं निरस्त नहीं करा पाता. हर काम सरकार में रहकर नहीं कराया जा सकता."

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