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Parliament Session 2024: स्पीकर पद के लिए अब चुनाव होना तय, ओम बिरला के सामने उतरे के.सुरेश

NDA की ओर से ओम बिरला तो INDIA की ओर से के.सुरेश ने 18वीं लोकसभा के अध्यक्ष बनने के लिए नामांकन दाखिल कर दिया है. नया स्पीकर कौन होगा? इसका फैसला अब चुनाव के जरिए होगा.

Parliament Session 2024: स्पीकर पद के लिए अब चुनाव होना तय, ओम बिरला के सामने उतरे के.सुरेश
के.सुरेश और ओम बिरला.

Rajasthan News: 18वीं लोकसभा का अध्यक्ष चुनने के लिए अब चुनाव होना तय है. INDIA गठबंधन की ओर से के.सुरेश को NDA उम्मीदवार ओम बिरला के खिलाफ मैदान में उतारा गया है. के.सुरेश ने नामांकन दाखिल कर दिया है. इस पर केंद्रीय मंत्री और बीजेपी सांसद पीयूष गोयल ने कहा, 'पहले डिप्टी स्पीकर के लिए नाम तय करें, फिर हम स्पीकर उम्मीदवार का समर्थन करेंगे. हम ऐसी राजनीति की निंदा करते हैं. एक अच्छी परंपरा होती अध्यक्ष का चुनाव सर्वसम्मति से हो. अध्यक्ष किसी दल या विपक्ष का नहीं होता, वह पूरे सदन का होता है. उसी प्रकार उपाध्यक्ष भी किसी दल या समूह का नहीं होता. इसलिए सहमति होनी चाहिए सदन की ऐसी शर्तें कि कोई विशेष व्यक्ति या किसी विशेष दल से ही उपाध्यक्ष होना चाहिए, लोकसभा की किसी भी परंपरा में फिट नहीं बैठती.'

छात्र राजनीति से अपने सार्वजनिक जीवन की शुरुआत कर लोकसभा अध्यक्ष जैसे महत्वपूर्ण पद पर पहुंचने वाले भाजपा के वरिष्ठ नेता ओम बिरला के नाम एक ऐसा रिकार्ड दर्ज हो गया है जिसके टूटने की हाल-फिलहाल कोई संभावना नजर नहीं आ रही. यह रिकार्ड है उनके द्वारा संसद के पुराने और नये भवन में लोकसभा की अध्यक्षता करने का. 17वीं लोकसभा में उनके अध्यक्ष रहने के दौरान दिसंबर 2023 में लोकसभा से बड़ी संख्या में सांसदों को निलंबित किए जाने के कारण भी उनका कार्यकाल सुर्खियों में रहा था. उस दौरान ही 2023 में नयी संसद का उद्घाटन हुआ और नये लोकसभा कक्ष में बिरला ने अध्यक्ष के रूप में निचले सदन की कार्यवाही का संचालन किया.

स्पीकर बनने वाले राजस्थान मूल के पहले राजनेता

बिरला को पर्दे के पीछे रहकर संगठन के लिए काम करने वाला नेता माना जाता है. भाजपा की युवा शाखा के लिए उन्होंने सालों साल काम किया और इस दौरान भाजपा के आम कार्यकर्ता से लेकर बड़े नेताओं के संपर्क में आए. इनमें तत्कालीन पार्टी अध्यक्ष अमित शाह व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी है. यही कारण है कि शाह व मोदी ने जून 2019 में सबको चौंकाते हुए लोकसभा अध्यक्ष के लिए उनका नाम प्रस्तावित किया. लोकसभा अध्यक्ष पद पर पहुंचने वाले बिरला राजस्थान मूल के पहले राजनेता हैं. इससे पहले बलराम जाखड़ 1980 से 1989 तक इस पद पर रहे जो पहले फिरोजपुर 1980 व बाद में राजस्थान के सीकर 1984 से सांसद थे.

लगातार बढ़ता गया बिरला का कद

राजनीतिक जानकारों के अनुसार बिरला छात्र जीवन से ही संघ से जुड़ गए. इसके बाद वह भारतीय जनता युवा मोर्चा से जुड़े रहे और जिला व राज्य स्तर पर उसकी अगुवाई की. बिरला ने 2003 में विधानसभा चुनाव में कोटा दक्षिण सीट पर कांग्रेस के दिग्गज शांति धारीवाल को हराकर सक्रिय राजनीति में कदम रखा. वह लगातार तीन बार विधायक रहे. इस दौरान भारतीय जनता पार्टी में बिरला का कद लगातार मजबूत हुआ. 2014 के आम चुनाव में पार्टी ने उन्हें कोटा सीट से लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनाया. बिरला ने मौजूदा सांसद इज्यराज सिंह को हराया. वहीं 2019 के आम चुनाव में बिरला ने कांग्रेस के रामनारायण मीणा को 279677 मतों से हराया.

जन्मभूमि के साथ कर्मभूमि रही कोटा

दस्तावेजों के अनुसार, बिरला का जन्म 23 नवंबर 1962 को हुआ. उनके पिता उस समय श्रीकृष्ण सरकारी सेवा में थे तो मां शकुंतला घर संभालती थीं. बासठ वर्षीय बिरला के लिए कोटा जन्मभूमि व कर्मभूमि दोनों रही है. उन्होंने स्कूली शिक्षा कोटा के गुमानपुरा राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय से की और उसके बाद बाद राजस्थान विश्वविद्यालय से बीकॉम व एम कॉम किया. उनकी शादी अमिता से हुई और उनके दो बेटियां अंजली, आकांक्षा हैं. अमिता पेशे से सरकारी चिकित्सक हैं.

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