अजमेर नगर निगम पर NGT ने लगाया करीब 39 करोड़ का जुर्माना, 2 महीने का वक्त... वरना जुर्माने पर भी ब्याज

NGT ने दो महीने का समय दिया है जिसके बाद जुर्माने पर भी ब्याज वसूलने का निर्देश जारी किया है. बताया जा रहा है कि NGT अजमेर नगर निगम पर करीब 39 करोड़ का जुर्माना लगाया है.

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आनासागर झील

Ajmer Nagar Nigam: राजस्थान के अजमेर की आनासागर झील में 13 नालों का कचरा गिर रहा है, इससे आनासागर झील का पानी काफी प्रभावित हो रहा और प्रदूषण फैल रहा है. अब इस मामले में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने कड़ा रुख अपनाते हुए अजमेर नगर निगम पर भारी जुर्माना लगाया है. इतना ही नहीं NGT ने दो महीने का समय दिया है जिसके बाद जुर्माने पर भी ब्याज वसूलने का निर्देश जारी किया है. बताया जा रहा है कि NGT अजमेर नगर निगम पर करीब 39 करोड़ का जुर्माना लगाया है.

प्रति माह डेढ़ प्रतिशत की दर से अतरिक्त जुर्माना

दरअसल, आरटीआई एक्टिविस्ट एवं सामाजिक कार्यकर्ता बाबूलाल साहू की याचिका पर सुनवाई करते हुए एनजीटी भोपाल बेंच ने नगर निगम अजमेर पर 38 करोड़ 70 लाख 75 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है. यह राशि डिमांड ड्राफ्ट के माध्यम से नगर निगम को राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण मंडल (RPCB) में जमा करवानी होगी. यदि यह राशि दो माह के भीतर जमा नहीं की जाती है, तो नगर निगम पर प्रति माह डेढ़ प्रतिशत की दर से अतिरिक्त पेनल्टी लगाई जाएगी.

नगर निगम के दावों का खुला सच

मार्च 2023 में बाबूलाल साहू ने आनासागर झील में गंदगी व नालों के गिरने की शिकायत एनजीटी अध्यक्ष के समक्ष दर्ज करवाई थी. इस पर एनजीटी ने नगर निगम से जवाब मांगा, लेकिन निगम अधिकारियों ने यह बयान दिया कि झील में किसी भी प्रकार की गंदगी युक्त नाले नहीं गिर रहे. हालांकि, एनजीटी के आदेश पर गठित टीम ने 30 जुलाई 2025 को स्थल निरीक्षण और लाइव लोकेशन फोटोग्राफी कर हकीकत उजागर की. जांच में यह स्पष्ट हुआ कि 13 नालों से गंदा पानी सीधे आनासागर झील में गिर रहा है, जिससे झील का पर्यावरण और पारिस्थितिकि तंत्र लगातार प्रभावित हो रहा है.

भारी जुर्माना और समय सीमा तय

एनजीटी ने नगर निगम अजमेर को दो माह की समय सीमा में 38 करोड़ 70 लाख 75 हजार रुपये तक की राशि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में जमा करने के आदेश दिए हैं. यदि निगम इस आदेश की पालना नहीं करता है तो निर्धारित राशि पर हर माह लाखों रुपये की अतिरिक्त पेनल्टी जुड़ जाएगी. पर्यावरण संरक्षण से जुड़े इस मामले में एनजीटी का यह निर्णय नगर निगम के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है. आरटीआई एक्टिविस्ट बाबूलाल साहू ने इसे आमजन और भविष्य की पीढ़ियों के हित में ऐतिहासिक कदम बताया है.

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