चंबल रिवर फ्रंट पर बफर जोन में अवैध निर्माण मामले में निरीक्षण के लिए बुधवार को कोटा पहुंचेगी NGT की टीम

याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया था कि चंबल रिवर फ्रंट निर्माण के लिए जरूरी पर्यावरणीय स्वीकृति नहीं ली गई है, जिससे चंबल घड़ियाल सेंचुरी व अन्य जलीय जीवों का जीवन संकट में पड़ गया है.

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चंबल रिवर फ्रंट
कोटा:

बफर जोन में अवैध निर्माण के से जुड़े मामले में NGT द्वारा गठित कमेटी कल दो दिवसीय दौरे पर कोटा आएगी .NGT ने चार सदस्यीय टीम गठित की है जो बुधवार को रिवर फ्रंट का निरीक्षण करेगी. टीम निरीक्षण रिपोर्ट NGT को सौंपेगी.

मालूम हो कि कोटा में पर्यटन विकास के महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट चंबल नदी किनारे बनाए गए रिवर फ्रंट निमार्ण को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (National Green Tribunal) ने कोटा नगर विकास न्यास (Urban Improvement Trust) को कुछ दिन पहले  नोटिस जारी किया था. याचिकाकर्ताओं ने 23 सितंबर को याचिका दायर की थी. जिसपर एनजीटी ने यूआईटी को नोटिस जारी कर 4 सप्ताह में जवाब मांगा था .

याचिकाकर्ताओं द्वारा आरोप लगाया गया था कि रिवर फ्रंट निर्माण के लिए जरूरी पर्यावरणीय स्वीकृति नहीं ली गई है, जिससे चंबल घड़ियाल सेंचुरी और अन्य जलीय जीवों का जीवन संकट में पड़ गया है. रिवर फ्रंट निर्माण से नदी का बहाव क्षेत्र कम हो गया है. वेट लैंड यानी बफर जोन में अवैध निर्माण किया गया है.

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में दायर की याचिका 

याचिकाकर्ता अशोक ने बताया कि रिवर फ्रंट निर्माण के लिए जरूरी पर्यावरणीय स्वीकृति नहीं लेने, चंबल घड़ियाल सेंचुरी व अन्य जलीय जीवों का जीवन संकट में डालने, नदी का बहाव क्षेत्र कम करने और वेट लैंड यानी बफर जोन में अवैध निर्माण करने को लेकर उन्होंने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में एक याचिका दायर किया था, जिसकी सुनवाई 10 अक्टूबर को हुई.

याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायिक सदस्य शिव कुमार सिंह व अफरोज अहमद की खंडपीठ ने कोटा यूआईटी को नोटिस जारी कर 4 सप्ताह में जवाब मांगा है. बता दे की याचिकाकर्ता अजमेर निवासी अशोक मलिक, द्रुपद मलिक व जयपुर निवासी गिरिराज अग्रवाल द्वारा 23 सितंबर को लगाई गई थी.

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