नौकरी से बर्खास्त शिक्षक ने कैसे हिला दिया पूरा सिस्टम? भरतपुर जिला परिषद भवन और DM के वाहन को कुर्क करने का आदेश

31 साल की कानूनी लड़ाई के बाद नौकरी से बर्खास्त एक शिक्षक ने पूरे सिस्टम को हिला दिया है. बर्खास्त शिक्षक की शिकायत पर कोर्ट ने कलक्टर के वाहन और जिला परिषद भवन को कुर्क करने का आदेश दिया है.

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नौकरी से बर्खास्त शिक्षक महेशचंद शर्मा और कोर्ट द्वारा जारी कुर्की का आदेश.

'अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता'... इस कहावत को राजस्थान के भरतपुर जिले के एक व्यक्ति ने गलत साबित कर दिया है. शिक्षक की नौकरी से बर्खास्त इस शख्स ने 31 साल की कानूनी लड़ाई के बाद भरतपुर जिला परिषद भवन पर कुर्की जब्ती का आदेश चिपकवा दिया. इस शिक्षक ने अकेले पूरे सिस्टम को हिला दिया. दरअसल इस शख्स को 31 साल पहले बीएड की डिग्री फर्जी बता शिक्षक की नौकरी से निष्कासित कर दिया गया था. जिसके बाद बर्खास्त शिक्षक ने कोर्ट की लड़ाई लड़ी, अदालत से जीत हासिल कर नौकरी पर बहाल हुआ. लेकिन अब धन वसूली के लिए कोर्ट ने जिला कलेक्टर के वाहन, जिला परिषद सीईओ के वाहन और जिला परिषद भवन की कुर्की के आदेश दिए.

1992 में नौकरी से बर्खास्त हुए थे शिक्षक

दरअसल 31 साल 1992 में सरकारी शिक्षक के पद पर कार्यरत महेश चंद शर्मा को विकास अधिकारी द्वारा बीएड की फर्जी डिग्री बताते हुए नौकरी से निष्कासित कर पुलिस थाने में मामला दर्ज कराया था. शिक्षक द्वारा इस मामले को चुनौती देते हुए डीईओ, हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. जहां से बहाल होने के बाद नियुक्ति नहीं देने के साथ किसी भी प्रकार का पैसा और पेंशन नहीं दी गई.

जिला परिषद भवन पर कुर्की का आदेश चिपकाते सरकारी अमीन.

कलेक्टर और जिला परिषद सीईओ के वाहन को कुर्क करने का आदेश

इसके बाद पीड़ित ने एसीजे-1 में इजरा लगाई. उसके बाद एसीजे-1 द्वारा सरकार पर 86 लाख से अधिक रुपए की राशि बकाया होने पर वसूली के लिए जिला कलेक्टर और जिला परिषद सीईओ के वाहन के साथ जिला परिषद के भवन कुर्की के आदेश किए. वारंट की तामील कराने के लिए सेल अमीन जिला परिषद भवन पहुंचे जहां कुर्की के आदेश चस्पा किए और जिला कलेक्टर और जिला परिषद सीईओ के वाहन नहीं होने पर आदेश चस्पा नहीं किए जा सके..यह कार्यवाही आगे तिथि पर की जाएगी.

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कुम्हेर के गांव बंगाल में शिक्षक थे महेशचंद शर्मा

पीड़ित शिक्षक महेश चंद शर्मा ने बताया कि मैं पंचायत समिति कुम्हेर के गांव बंगाल दादू में शिक्षक के पद पर कार्यरत था. मेरी स्थाई सेवा थी और पंचायत समिति के विकास अधिकारी द्वारा बिना नोटिस दिए 1 दिसंबर 1992 को मुझे नौकरी से निष्कासित कर दिया. नौकरी से निष्कासित करने का कारण बीएड की फर्जी डिग्री होना बताया और मेरे खिलाफ पुलिस में मामला दर्ज करा दिया.

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31 साल की कानूनी लड़ाई लड़ कर पूरे सिस्टम को हिलाने वाले शिक्षक महेशचंद शर्मा.

पीड़ित शिक्षक ने बताया- सरकार ने नहीं सुनी परेशानी तो कोर्ट में लगाई इजरा

जब बीएड डिग्री की जांच हुई तो सही पाई गई और डीईओ कोर्ट से बहाल होने के बाद भी  मुझे नियुक्ति नहीं दी गई. यह मामले को हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट लेकर गए. इन कोर्ट के द्वारा भी मुझे बरी किया गया . इसके बाद मुझे न तो किसी प्रकार का पैसा दिया गया और न किसी प्रकार की कोई पेंशन दी गई. जब सरकार द्वारा मेरी बात नहीं सुनी गई तो मैंने करीब 6 साल पहले वरिष्ठ सिविल न्यायाधीश भरतपुर एक में इजरा लगाई. 

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जिला परिषद भवन पर अमीन ने कुर्की के आदेश चिपकाए

इसके बाद वरिष्ठ सिविल न्यायाधीश भरतपुर एक द्वारा धन राशि वसूली के लिए जिला कलेक्टर और जिला परिषद मुख्य कार्यकारी अधिकारी का वाहन के साथ जिला परिषद के भवन को कर्क करने के आदेश दिए. जिसकी पालना के लिए अमीन द्वारा जिला परिषद भवन पर कुर्की के आदेश चस्पा कर दिए है. जबकि जिला कलेक्टर और जिला परिषद सीईओ के वाहन नहीं मिलने पर आगमी तिथि पर आदेश कुर्की के आदेश चस्पा किए जाएंगे.

कोर्ट द्वारा जारी कुर्की का आदेश.

सरकार पर 86 लाख 51 हजार 726 रुपए बकाया

सेल अमीन विकास आनंद शर्मा ने बताया कि रिटायर्ड अध्यापक महेश चंद शर्मा का सरकार पर 86 लाख 51 हजार 726 रुपए सरकार कर बकाया है. एसीजे- 1  वारंट की तामील कराने के लिए जिला परिषद भवन की कुर्की के आदेश चस्पा किए जबकि दोनों अधिकारियों के वाहन नहीं होने कर आगामी तिथि पर कुर्की के आदेश चस्पा किए जाएंगे.

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