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Rajasthan: पिता की जान पर बन आई तो बेटी बनी रक्षक, लिवर ट्रांसप्लांट कर पेश की मिसाल

Liver transplant in Gurugram: पिछले महीने 29 अगस्त को लिवर की परेशानी से जूझ रहे जितेंद्र सिंह का ऑपरेशन किया गया. बेटी दीप्ति ने लिवर डोनेट किया.

Rajasthan: पिता की जान पर बन आई तो बेटी बनी रक्षक, लिवर ट्रांसप्लांट कर पेश की मिसाल

Daughter donates liver to father: पाली के खारड़ा गांव की रहने वाली 21 साल की दीप्ति राज मेड़तिया ने पिता को लिवर डोनेट करके नया जीवन दिया. उसने पिता की जान बचाने के लिए लिवर का 60 फीसदी भाग डोनेट कर दिया. पिता जितेंद्र सिंह (46) पिछले 3 साल से लिवर की बीमारी से जूझ रहे थे. शुरुआत में फैटी लिवर की समस्या थी, लेकिन धीरे-धीरे पूरा लिवर ही डैमेज हो गया. जितेंद्र सिंह के बुजुर्ग माता-पिता की उम्र और पत्नी की बीमारी के कारण डोनर नहीं बन सके. छोटे भाई का ब्लड मैच नहीं हुआ, ऐसे में पूरा परिवार निराश था. तभी दीप्ति ने लिवर ट्रांसप्लांट की इच्छा जाहिर की. पिछले महीने ऑपरेशन के बाद फिलहाल जितेंद्र सिंह चिकित्सकों की निगरानी में है. 

पेट दर्द-बीपी की शिकायत से परेशान थे पिता

पेट दर्द, बीपी बढ़ने और चक्कर आने जैसी शिकायतों के बाद उन्होंने जोधपुर, अहमदाबाद और उदयपुर में लगातार इलाज कराया, लेकिन हालत बिगड़ती चली गई. आखिरकार डॉक्टरों ने कह दिया कि मरीज के पास सिर्फ तीन महीने का समय है और जान बचाने के लिए परिवार का कोई सदस्य लिवर डोनेट करे.

दादा ने रोका, लेकिन दीप्ति जिद पर अड़ी रही

पोती की इच्छा सुनकर शुरुआत में दादा गणपत सिंह ने साफ मना कर दिया. उन्होंने कहा कि तुम अभी बहुत छोटी हो, तुम्हारे सामने पूरी जिंदगी पड़ी है. तुम्हें कुछ हो गया तो हम खुद को कभी माफ नहीं कर पाएंगे. लेकिन दीप्ति ने जिद पकड़ी और कहा कि पापा से बढ़कर मेरे लिए कोई नहीं है. आखिरकार उसकी जिद के आगे पूरा परिवार मान गया.

परिवार दीप्ति और जितेंद्र सिंह को लेकर गुरुग्राम के वेदांता हॉस्पिटल पहुंचाय. यहां डॉ. अरविंदर सिंह सोइन ने दीप्ति के सारे टेस्ट करवाए और कहा कि वह अपने पिता को लिवर का 60 प्रतिशत हिस्सा डोनेट कर सकती है. 29 अगस्त को करीब 15 घंटे चले ऑपरेशन में दीप्ति का लिवर ट्रांसप्लांट सफल रहा.

अगले 3 महीने तक किसी से नहीं मिलने की इजाजत नहीं 

ऑपरेशन के बाद दीप्ति को एक दिन आईसीयू और 5 दिन वार्ड में रखकर छुट्टी दे दी गई. जितेंद्र सिंह फिलहाल गुड़गांव में ही हैं और महीनेभर तक डॉक्टरों की निगरानी में रहेंगे. अगले तीन महीने तक उन्हें किसी से मिलने की अनुमति नहीं होगी. दीप्ति की मां रिंकू कंवर ने ऑपरेशन के बाद कहा कि बेटी ने साहस और जज्बे के साथ अपने पिता को नया जीवन दिया है.  

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