Rajasthan Election: राजस्थान में बैलट पेपर से होंगे पंचायत चुनाव, निकाय इलेक्शन पर भी मंत्री खर्रा ने दिए बड़े संकेत

खर्रा ने कहा की सरपंच और वार्ड पंच के चुनाव बैलट पेपर से ही होंगे. क्योंकि उनकी पूरी चुनाव प्रक्रिया जल्द पूरी हो जाती है. लेकिन पार्षद, जिला परिषद और पंचायत समिति सदस्यों के चुनाव ईवीएम के जरिए होंगे.

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झाबर सिंह खर्रा.

Rajasthan News: राजस्थान सरकार में यूडीएच विभाग के मंत्री झाबर सिंह खर्रा (Jhabar Singh Kharra) ने गुरुवार को बीकानेर (Bikaner) में आगामी निकाय चुनाव (Rajasthan Nikay Chunav 2024) को  लेकर बड़ा बयान दिया. उन्होंने कहा, 'निकाय चुनाव के मद्देनजर प्रदेश सरकार एक राज्य-एक चुनाव (One State One Election) पर गंभीरता से विचार कर रही है. इसके लिए ज्यादा सोच-विचार की जरूरत नहीं है, क्योंकि ये राज्य के हित में है.' 

'बैलट पेपर से होंगे सरपंच के चुनाव'

राज्यमंत्री खर्रा ने स्पष्ट किया कि अगर राजस्थान में एक साथ निकायों के चुनाव होते हैं तो EVM खरीदने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी. क्योंकि जिन राज्यों में चुनाव हो चुके हैं, वहां से ईवीएम मंगवाई जा सकती हैं. खर्रा ने कहा की सरपंच और वार्ड पंच के चुनाव बैलट पेपर से ही होंगे. क्योंकि उनकी पूरी चुनाव प्रक्रिया जल्द पूरी हो जाती है. लेकिन पार्षद, जिला परिषद और पंचायत समिति सदस्यों के चुनाव ईवीएम के जरिए होंगे.

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'मेयर के डायरेक्ट चुनाव में खरीद-फरोख्त का खतरा'

नगर निगम मेयर के डायरेक्ट चुनाव को लेकर झाबर सिंह खर्रा का कहना है कि इस बारे में अभी सरकार ने कुछ तय नहीं किया है. इस मुद्दे पर भी गंभीरता से सरकार विचार कर रही है. व्यक्तिगत रूप से उनका मानना है कि मेयर को अप्रत्यक्ष रूप से चुने जाने पर खरीद-फरोख्त का खतरा बना रहता है. ऐसे में कुछ ऐसा रास्ता निकाला जा सकता है जो सर्व-सुलभ हो. उन्होंने संकेत दिए कि निकाय चुनाव अगले साल हो सकते हैं. 

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2 घंटे में नियुक्तियां रद्द करने पर मंत्री का जवाब

बीकानेर के विकास प्राधिकरण बीडीए की अधिसूचना के बारे में पूछे जाने पर मंत्री ने कहा कि अभी उप चुनावों का समय है. उप चुनाव होने के बाद बीकानेर के लिए विकास प्राधिकरण यानी बीडीए की अधिसूचना जारी कर दी जाएगी. बीडीए को अपने पूरे स्वरूप में आने में डेढ़ से दो साल लगेंगे. वहीं एक दिन पहले यूडीएच में राजनीतिक नियुक्तियां करने और तुरन्त उन्हें निरस्त कर दिए जाने पर उनका कहना था कि ऐसा अधिकारियों और कर्मचारियों की गलती से हुआ. कुछ नाम गलती से टाइप हो गए, जिनमें निकायों के नाम भी शामिल थे. उन खामियों को सुधारने के लिए सूची वापिस ली गई.

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