उदयपुर में आदमखोर पैंथर का आंतक, पकड़ने के लिए मादा पैंथर के यूरिन का हो रहा इस्तेमाल, जानिए क्या है पैंतरा

Panther Terror in Udaipur: उदयपुर इन दिनों डर के साए में है. ग्रामीण क्षेत्र के लोग घरों से बाहर जाने में कतरा रहे हैं. रात के अंधेरे में दहाड़ गूंज रहे हैं. इसके पीछे कारण है पैंथर का मूवमेंट और उसके हमले.

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Panther Terror in Udaipur: राजस्थान के उदयपुर जिले में बीती रात पैंथर के हमले में एक लड़की की मौत हो गई. इस घटना के बाद इलाके में पैंथर का आतंक फैला हुआ है. ग्रामीण, वन विभाग और स्थानीय प्रशासन पैंथर को पकड़ने की कोशिश में लगे हैं. हालांकि अभी तक वो आदमखोर पैंथर पकड़ में नहीं आया है. जिस कारण लोग दहशत में है. इधर वन विभाग उस पैंथर को पकड़ने के लिए मादा पैंथर के यूरिन का इस्तेमाल कर रहा है. किसी आदमखोर पैंथर को पकड़ने के लिए मादा पैंथर के यूरिन का इस्तेमाल क्यों किया जाता है? आइए जानते हैं वन विभाग के इस नए पैंतरे के बारे में.

उदयपुर में पैंथर का ग्रामीण ही नहीं शहर क्षेत्र के आबादी में भी मूवमेंट देखी जा रही है. जिले के गोगुंदा में 9वीं कक्षा की छात्रा का पैंथर ने शिकार किया जिससे उसकी मौत हो गई. अब पैंथर को पकड़ने के लिए वन विभाग ने पैंतरा अजमाया है जिसमें मादा पैंथर के यूरिन का छिड़काव कर रहे हैं.

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पैंथर हमले में 10 दिन में दो की मौत

लोगों का कहना है कि उदयपुर में पैंथर का आबादी क्षेत्र में मूवमेंट है. आबादी क्षेत्र के फैलाव और जंगल के पास घर होने पर खाना-पानी की तलाश में पैंथर का मूवमेंट होता है. ग्रामीण क्षेत्र में जंगल में रोजमर्रा के काम से लोग जाते है जिससे पैंथर हमला करता है. उदयपुर जिले में पिछले 10 दिन में पैंथर के हमले से दो मौतें हो चुकी है. 

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गुरुवार को पैंथर के हमले से 9वीं कक्षा की छात्रा की मौत हो गई. वहीं कुछ दिनों पहले 45 वर्षीय महिला का पैंथर ने सिर धड़ से अलग कर दिया था. यहीं नहीं फलासिया, ओगाना और झाड़ोल वनखंड क्षेत्र में करीब 35 पैंथर की आबादी है. 

8 सितंबर को झाड़ोल में पैंथर के हमले में महिला की मौत

पहली घटना झाड़ोल क्षेत्र की है. 8 सितंबर को महिला जंगल में काम के लिए गई. पैंथर ने उस पर हमला कर दिया. लोगों ने बचाने का प्रयास किया लेकिन पैंथर में शिकार कर लिया. महिला का सिर और धड़ अलग अलग मिले. यहीं नहीं विरोध में लोगों ने हाईवे जाम किया. वन विभाग ने पिंजरे लगवाए, ड्रोन से निगरानी की तब भी पकड़ में नहीं आया. 

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उदयपुर में पैंथर को पकड़ने के अभियान में लगे वन विभाग के कर्मी.

19 सिंतबर को गोगुंदा में 9वीं की छात्रा की मौत

दूसरी घटना आज 19 सितंबर की है. गोगुंदा के ऊनडिथल गांव में 9वीं कक्षा बकरिया चराने गई थी जो शाम तक नहीं लौटी..परिजनों और गांव के लोगों ने तलाश की लेकिन पता नहीं चला. सुबह बच्ची क्षत विक्षत हालत में शव मिला.

जोधपुर से मंगवाया गया मादा पैंथर का यूरिन

उदयपुर रेंजर होरीलाल ने बताया कि पैंथर के पकड़ने के लिए जोधपुर से मादा पैंथर का यूरिन मंगवाया. जिसे घटनास्थल और पिंजरे के आस-पास छिड़काव किया जा रहा है. ताकि पैंथर मादा पैंथर के गंध से आ जाए, लेकिन अब तक सफलता नहीं मिली. रेंजर ने बताया कि पैंथर मादा पैंथर के यूरिन की गंध से आकर्षित होता है.

पैंथर को पकड़ने के लिए लगाए गए पिजड़े के पास मादा पैंथर के यूरिन का छिड़काव करते वन विभाग के कर्मी.

एक्सपर्ट बोले- निर्दोष लेपर्ड के पकड़ में आने की संभावना ज्यादा

पर्यावरण प्रेमी अनिल रोजर्स ने बताया कि अन-प्रोटेक्टेड एरिया में रहने वाले लैपर्ड के साथ मानव के संघर्ष की घटनाएं ज्यादा होती हैं, बनिस्पत प्रोटेक्टेड एरिया में रहने वाले लैपर्ड के. वहीं अन प्रोटेक्टेड एरिया में रहने वाले  लैपर्डस, जिन्हें हम अर्बन लैपर्डस भी कहते हैं इनकी संख्या कितनी है विभाग के पास इसका कोई आधिकारिक आंकड़ा ही नहीं है.

मेल लेपर्ड ने किल किया है या फीमेल ने या उक्त वन्य जीव मानव के लिए खतरा है, ये विशेषज्ञों की राय पगमार्क आइडेंटीफिकेशन और फोरेंसिक स्टडी  के बिना तय नहीं किया जा सकता है. ऐसे में किसी निर्दोष लेपर्ड को पकड़ कर, उसे अन्यत्र स्थान पर छोड़े जाने की संभावनाएं ज्यादा हैं.

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