राजस्थान शिक्षा व्यवस्था की पोल खोलती तस्वीर, 7 साल से पेड़ के नीचे पढ़ने को मजबूर बच्चे

राजस्थान में एक ऐसा स्कूल है जहां छात्र पूरी लगन के साथ पढ़ने के लिए तो आते हैं, लेकिन उन्हें क्लासरूम नसीब नहीं होता है. बच्चे पेड़ के नीचे पढ़ने को मजबूर हैं.  

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Rajasthan Government School News: यूं तो राजस्थान की सरकार बच्चों की पढ़ाई के लिए तरह-तरह की योजना लेकर आती है. लेकिन प्रदेश में आज भी ऐसे विद्यालय है जहां बच्चों को पढ़ाई के लिए एक क्लासरूम भी नसीब नहीं हो रहा है. स्टूडेंट्स को पेड़ के नीचे बैठकर पढ़ने पर मजबूर होना पड़ रहा है. झालावाड़ जिले के डाक ब्लॉक के 52 देवरिया गांव में 152 बच्चे पेड़ के नीचे और खुले में बैठकर पढ़ने को मजबूर हैं. बच्चे पढ़ना तो चाहते हैं लेकिन उनके बैठने के लिए भवन की व्यवस्था नहीं है.

यहां स्कूल का भवन भी है लेकिन साल 2017 में उसको पीडब्ल्यूडी द्वारा असुरक्षित मानते हुए कंडम घोषित कर दिया था. उस दौरान तत्कालीन जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा भी इस भवन में बच्चों को नहीं बिठाए जाने संबंधित आदेश जारी कर दिए गए. लेकिन सरकार और प्रशासन आज तक भी इस भवन के बदले दूसरा भवन मुहैया नहीं करवा पाया है.

स्कूल में पढ़ते हैं 152 विद्यार्थी 

इस स्कूल के 152 बच्चे आज भी खुले में बैठकर पढ़ रहे हैं और बारिश आते ही स्कूल की छुट्टी करनी पड़ती है. जानकारी के लिए आपको बता दें कि समूचे डग ब्लॉक का यह एक मात्र स्कूल है जहां छात्रों के बैठने के लिए कमरे नहीं है. राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय बामन देवरिया में कक्षा एक से आठ तक 152 छात्र-छात्राएं अध्ययनरत है. कमरों के अभाव में सभी बच्चे सर्दियों में धूप में गर्मियों में पेड़ के नीचे बैठते है.

PWD ने 2017 में ही किया नकारा घोषित

नजदीक स्थित एक मंदिर में बच्चों के कक्षा संचालित हो रही है. बरसात के दिनों में आए दिन बच्चों की छुट्टी रहती है. विद्यालय में पुराना भवन बना हुआ है जो काफी जर्जर हो रहा है. जगह-जगह दीवारों में दरारे पड़ रही है. छतों का प्लास्टर उखड़ चुका है. दरवाजे खिड़कियां खराब हो चुके है. सार्वजनिक निर्माण विभाग ने सन 2017 में इस भवन को नकारा घोषित कर दिया था. विद्यालय में एक मात्र प्रधानाध्यापक का कमरा है जो क्षतिग्रस्त हो चुका है और उसी में विद्यालय के सभी आवश्यक दस्तावेज रखे हुए है.

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छात्रों की बेहतर उपस्थिति

विद्यालय परिसर की खुद की जमीन है जिसमें चार दिवारी भी हुई है, साथ ही खेल के मैदान भी हैं. विद्यालय में 8 कमरे, प्रधानाध्यापक के कमरे और किचन शेड की आवश्यकता है. इस विद्यालय में बामनदेवरिया, चांदखेड़ी, राजपुरिया कंजर डेरा सहित चार गांवो के 152 छात्र-छात्रा अध्ययन करते है. विद्यालय में प्रतिदिन छात्र छात्राओं की उपस्थिति भी अच्छी रहती है.

पूर्व प्रधानाध्यापक सुनील कुमार चौधरी ने बताया गत सात सालों से लगातार विभाग को भवन के लिए अवगत कराया गया. विद्यालय के ऊपर से 11 केवी हाई वाल्टेज की विद्युत लाइन गुजर रही है, जिसको अन्य जगह शिफ्ट करने के भी कई बार लेटर लिखा गया. लेकिन विद्युत लाइन को नहीं हटाया गया. वर्ष 2021 में लाइन का तार टूटने से एक महिला की मौत भी हो चुकी है.

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वही 9 अगस्त 2017 को प्रधानाध्यापक ने उपखंड अधिकारी को पत्र लिखकर भवन की उपयोगिता व मरम्मत के लिए पत्र लिखा था, जिस पर सार्वजनिक निर्माण विभाग द्वारा भवन की जांच कर अगस्त 2017 में अवगत कराया था की भवन उपयोग की दृष्टि से असुरक्षित है. आज करीब 7 साल गुजर जाने के बाद भी प्रशासन शिक्षा विभाग अभी तक नहीं जागा. इस ओर शिक्षा विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों को ध्यान देने की सख्त आवश्यकता है.

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