Jalore Pomegranate Crop News: राजस्थान के जालौर और सांचौर जिले के किसानों ने पारंपरिक खेती बाड़ी को छोड़कर खेती करने का आधुनिक तरीका अपना लिया है. इन जिलों में किसानों ने अनार की खेती करना शुरू कर दिया है, जिससे उनकी दशा बदल चुकी है और आज जालौर का प्रत्येक किसान लाखों रुपया कमा रहा है. जालौर और सांचौर जिले के किसानों का अनार भारत के साथ साथ गल्फ कंट्री दुबई, सऊदी अरब, मलेशिया, बांग्लादेश आदि देशों में निर्यात किया जाता है. जिसका साफ तौर से जालौर के किसानों को फ़ायदा मिल रहा है.
अनार की नहीं है एक भी सरकारी मंडी
हालांकि, किसानों के लिए सबसे बड़ा संकट यह है कि यहाँ सरकारी मंडी नहीं होने के चलते निजी मंडियों की मनमानी की प्रताड़ना का सामना करना पड़ रहा है. हर साल जालौर जिले के सायला उपखंड क्षेत्र के जीवाणा में 12 से 15 बड़ी मंडियां लगती हैं, जो देश के कोने-कोने तक और विदेशों तक क्वालिटी अनार को भेजती हैं. पिछले पांच साल में देश ही नहीं विदेश तक खास पहचान बनाने वाली जीवाणा अनार मंडी की सिंदूरी अनार की रंगत इस बार फीकी रहने का अनुमान है.
बारिश से हुआ फसल में नुकसान
अनुमान है कि इस बार 20 से 25 प्रतिशत तक अनार का प्रोडक्शन प्रभावित होगा. इसका प्रमुख कारण अनार की सीजन शुरू होने पर हुई बारिश है. किसानों की मानें तो सीजन की शुरुआत पर हुई बारिश से अनार के फूल झड़ गए और दूसरी तरफ कीटों का असर भी बढ़ा. इस स्थिति में जहां हर साल अनार की मंडी में बंपर आवक दिसंबर शुरुआत में हो जाती है. इस बार 20 दिन बाद दिसंबर अंत में होने की संभावना है.
रोग का असर, फसल में खराबा
किसानों की मानें तो अनार में पंखुड़ी और टिकड़ी रोग का असर देखने को मिल रहा है. पंखुड़ी रोग के प्रभाव से झाड़ी से फूल गिर जाते हैं, जिससे फल देरी से तैयार होता है. दूसरी तरफ टिकड़ी रोग के प्रभाव से फल में अंदर तक रोग फैल जाता है और अनार खराब हो जाता है. इस बार दोनों ही रोगों का प्रभाव है.
विदेशों तक फैला है व्यापार
अनार की खरीद के लिए हर साल जीवाणा में 12 से 15 बड़ी मंडियां लगती हैं, जो देश के कोने-कोने तक और विदेशों तक क्वालिटी अनार को भेजती हैं. मुख्य रूप से गल्फ कंट्री में जालौर जिले की मंडी से अनार को भेजा जाता है. बेहतर क्वालिटी और साइज के कारण यहां के अनार की खास डिमांड है. यहां 100 ग्राम से लेकर 500 ग्राम के अनार का प्रोडक्शन है. साथ ही यहां के अनार 15 से 20 दिन तक खराब नहीं होते हैं.
3000 हेक्टेयर में होती है अनार की खेती
अनार के बड़े उत्पादन का केंद्र जालौर और सांचौर जिला है. जिनमें लगभग 1.5 लाख टन अनार का प्रोडक्शन जीवाणा और जालौर जिले के अलग -अलग क्षेत्रों से होता है. अनार का व्यापार दिसंबर से फरवरी के बीच होता है और एक अनुमान के अनुसार 900 से 1.5 हजार करोड़ तक का कारोबार जिले से हो जाता है. केवल जीवाणा क्षेत्र में ही 3000 हेक्टेयर से अधिक एरिया में अनार की खेती हो रही है, जो की हर साल बढ़ती जा रही है.
ड्रिप इरीगेशन से करते हैं सिंचाई
किसान भगवानाराम बिश्नोई बताते हैं कि अनार एक सूखा सहनशील फसल है. मृग बहार की फसल लेने के लिए सिंचाई मई के महीने से शुरू करें और इसे मानसून आने तक नियमित रूप से करना चाहिए. वर्षा ऋतु के बाद फलों के अच्छे विकास के लिए नियमित सिंचाई 10-12 दिन के अन्तराल पर सिंचाई करना चाहिए. बूंद-बूंद सिंचाई (ड्रिप इरीगेशन) अनार के लिए बहुत उपयोगी होती है.
इसमें 43 प्रतिशत पानी की बचत और और 30-35 प्रतिशत उपज में वृद्धि पाई गई है. इसके साथ ही किसान नेता धुखाराम राजपुरोहित ने बताया कि अनार एक ऐसी फसल है, जिसे एक बार लगाने पर कई साल तक फल मिलते रहते हैं, लेकिन उसके लिए उन्हें 3 साल तक कड़ी मेहनत करनी पड़ती है. अनार की खेती के लिए दोमट मिट्टी उपयुक्त रहती है.
7 लाख कमाते है साल का
किसान नेता ने आगे बताया कि 3 वर्षों के अंदर अनार पककर तैयार होती है. एक पौधा सीजन में लगभग 25 से 30 किलो अनार देता है. अनार के पौधों के लिए सबसे उपयुक्त गोबर खाद्य होती है, साथ ही हर 7-8 दिनों में पौधे पर दवाई भी लगाते है. उन्होंने बताया कि अनार की खेती का काम उनके पड़ोसी किसान भाई को देखकर शुरू किया. आज मदन दास ने अपनी 5 बीघा जमीन में 1000 अनार के पौधे लगाए है. वह साल भर में 7 से 8 टन अनार मंडी में बेच देंगे जिससे उन्हें कुल मुनाफा 5 से 7 लाख का होता है.
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