
Ranthambore: सवाई माधोपुर के रणथंभौर नेशनल पार्क के मध्य स्थित त्रिनेत्र गणेश मार्ग को आखिरकार वन विभाग ने 9 दिन बाद श्रद्धालुओं के लिए एक बार फिर से खोल दिया. हालांकि इस बार वन विभाग ने श्रद्धालुओं की सुरक्षा को देखते हुए पैदल यात्रियों एवं दुपहिया वाहनों के प्रवेश पर अभी भी रोक लगा रखी है और सिर्फ आरजे 25 नंबर वाले चौपहिया निजी वाहनों और टैक्सियों को ही मंदिर मार्ग में प्रवेश दिया जा रहा है.
16 अप्रैल को बाघ ने किया था बच्चे का शिकार
गौरतलब है कि 16 अप्रैल को रणथंभौर नेशनल पार्क में बाघ के हमले में सात वर्षीय बालक कार्तिक सुमन की दर्दनाक मौत हो गई थी. इस घटना के बाद वन विभाग ने श्रद्धालुओं की सुरक्षा के मद्देनजर त्रिनेत्र गणेश मंदिर मार्ग को 24 अप्रैल तक के लिए पूरी तरह बंद कर दिया था. इससे दूर-दराज से दर्शन को आने वाले श्रद्धालुओं को त्रिनेत्र गणेश मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वार पर ही ढोक लगाकर वापस लौटना पड़ा. इस दौरान मंदिर से जुड़े लोगों और श्रद्धालुओं ने मार्ग खोलने की मांग को लेकर धरना-प्रदर्शन भी किया था.
सिर्फ सवाई माधोपुर ज़िले के वाहनों को अनुमति
लोगों के बढ़ते आक्रोश को देखते हुए वन विभाग ने विशेष सुरक्षा इंतज़ामों के साथ मंदिर मार्ग को एक बार फिर खोल दिया है. इस बार सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए सिर्फ सवाई माधोपुर जिले के चौपहिया निजी वाहनों को ही मंदिर तक जाने की अनुमति दी गई है. वहीं अन्य सभी दोपहिया और बाहरी जिलों के वाहनों पर पूर्ण रोक जारी है. शेरपुर हेलीपैड पर अस्थायी निशुल्क पार्किंग बनाई गई है, जहां श्रद्धालु अपने वाहन पार्क कर सकेंगे. वहां से वन विभाग द्वारा 30 टैक्सियों और कैंटरों के जरिए श्रद्धालुओं को त्रिनेत्र गणेश मंदिर पहुंचाया जा रहा है.
अभी भी मौजूद है सुरक्षा का सवाल
हालांकि, सुरक्षा इंतज़ामों के बावजूद बड़ा सवाल अब भी बरकरार है कि अगर त्रिनेत्र गणेश मंदिर मार्ग और रणथंभौर दुर्ग के आसपास 17 से 18 बाघ-बाघिन एवं उनके शावकों का मूवमेंट बना हुआ है, तो ऐसी स्थिति में भविष्य में अगर कोई अनहोनी होती है तो उसकी ज़िम्मेदारी कौन लेगा? वन विभाग पर पहले भी लापरवाही के गंभीर आरोप लग चुके हैं. ऐसे में श्रद्धालुओं की सुरक्षा को लेकर वन विभाग की गंभीरता और सतर्कता की असली परीक्षा अब शुरू हुई है.
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