Analysis: राजस्थान में उपचुनाव से पहले राजकुमार रोत को रिझाने में क्यों लगे हैं भाजपा प्रभारी राधामोहन दास अग्रवाल?

Rajasthan Politics: राजस्थान में विधानसभा की खाली हुई 6 सीटों पर उपचुनाव होना है. इन 6 में से दो सीटों पर आदिवासी वोटर निर्णायक भूमिका में हैं. उपचुनाव की तैयारी में जुटी भाजपा ने बांसवाड़ा से भारत आदिवासी पार्टी के सांसद राजकुमार रोत को रिझाने की कोशिश शुरू कर दी है.

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Rajasthan Assembly by-election 2024: राजस्थान में विधानसभा की खाली हुई 6 सीटों पर उपचुनाव की तैयारी चल रही है. भाजपा, कांग्रेस, भारत आदिवासी पार्टी (बाप) के साथ-साथ हनुमान बेनीवाल (Hanuman Beniwal) की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी भी चुनावी तैयारी में जुट गई है. लोकसभा चुनाव में RLP और भारत आदिवासी पार्टी ने कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था. लेकिन विधानसभा उपचुनाव में सभी दल अलग-अलग चुनाव लड़ने की तैयारी में जुटी हैं. इस बीच राजस्थान के भाजपा प्रभारी राधामोहन दास अग्रवाल (Radhamohan Das Aggarwal) के बांसवाड़ा सांसद राजकुमार रोत (Rajkumar Roat) पर दिए गए बयान ने प्रदेश की सियासत में एक दूसरा रंग भर दिया है. 

कांग्रेस की गोद में बैठकर काम नहीं होने वालाः राधामोहन 

बुधवार को उदयपुर के दौरे पर आए भाजपा प्रभारी राधामोहन दास अग्रवाल ने बांसवाड़ा सांसद राजकुमार रोत की तारीफ की. साथ ही उन्हें भाजपा के पाले में लाने की कोशिश भी की. राधामोहन दास अग्रवाल ने राजकुमार रोत को लेकर कहा, "वह नौजवान हैं. समाज में जागरूकता पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उनको धीरे-धीरे समझ में आ जाएगा कि जो काम वह करना चाहते हैं वह कांग्रेस की गोद में बैठकर नहीं होने वाले. यह काम पीएम मोदी के नेतृत्व में होता है."

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हम चाहते हैं राजकुमार बड़े नेता बनेंः भाजपा प्रभारी

राधामोहन दास अग्रवाल ने आगे कहा कि आदिवासी विकास के जितने भी काम हुए हैं, वह पीएम के कारण हुए हैं. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि हम चाहते हैं कि राजकुमार रोत बड़े नेता बनें. राधामोहन दास अग्रवाल के इस बयान ने प्रदेश की सियासत में एक नई चर्चा को जन्म दे दिया है. 

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भाजपा को हराने वाला नेता क्यों हो रहा इतना प्रिय

चर्चा की वजह है भाजपा को हराकर सांसद बनने वाले राजकुमार रोत आखिर पार्टी नेता के लिए प्रिय क्यों हो गए? आखिर क्यों भाजपा नेता यह चाहते हैं कि राजकुमार रोत बड़े नेता बने. इन सवालों ने एक नए सियासी चर्चा को छेड़ दिया है. राजनीतिक विश्लेषकों ने माना कि इस बयान के जरिए वे (भाजपा प्रभारी) बाप की तरफ हाथ बढ़ाना चाहते हैं.

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उपचुनाव के सियासी समीकरण से क्लियर होगी कहानी

लेकिन सवाल यह है कि उपचुनाव से पहले भाजपा का राजकुमार रोत के प्रति नर्म रूख का कारण क्या है? इस सवाल का जवाब प्रदेश में 6 सीटों पर वाले विधानसभा उपचुनाव  के सियासी समीकरण को समझने पर खुद क्लियर हो जाएगा. लेकिन पहले जानिए राजस्थान की किन 6 सीटों पर उपचुनाव होने जा रहा है और क्यों?

राजस्थान में इन 6 विधानसभा सीटों पर होगा उपचुनाव

  1. देवली उनियारा विधानसभा सीट, कांग्रेस विधायक हरीश मीणा अब सांसद बन चुके हैं.       
  2. दौसा विधानसभा सीट, कांग्रेस विधायक मुरारीलाल मीणा अब सांसद बन चुके हैं.   
  3. झुंझुनूं विधानसभा सीट, कांग्रेस विधायक बृजेंद्र ओला अब सांसद बन चुके हैं.    
  4. चौरासी विधानसभा सीट, BAP विधायक राजकुमार रोत अब सांसद बन चुके हैं.      
  5. खींवसर विधानसभा सीट, RLP  विधायक हनुमान बेनीवाल अब सांसद बन चुके हैं.   
  6. सलूंबर विधानसभा सीट, बीजेपी विधायक अमृतलाल मीणा का निधन हो चुका है. 

6 में दो सीटों पर आदिवासी वोटर निर्णायक

राजस्थान में 6 सीटों पर होने वाले विधानसभा उपचुनाव में दो सीटें दक्षिणी राजस्थान की हैं. सलूंबर और चौरासी, इन दोनों सीटों पर सबकी निगाहें हैं. दोनों सीटों पर आदिवासी वोटर निर्णायक भूमिका में हैं. इसलिए उन्हें अपने पाले में लाने की कवायद में सभी दल जुटे हैं.

'आदिवासी समाज के लिए भाजपा ने जो किया, वो कोई नहीं कर सकता'

भाजपा के प्रदेश प्रभारी ने राजकुमार रोत के जरिए आदिवासी वोटरों को साधने की कोशिश की. राधामोहन अग्रवाल ने कहा, "राजकुमार रोत युवा होने के नाते यह कोशिश कर रहे हैं कि वे आदिवासी समाज में कोई जागरूकता लाएं. लेकिन यह सिर्फ भाजपा के साथ आकर संभव है. आदिवासी समाज के लिए जो काम भाजपा ने किया है, वह कोई और नहीं कर सकता. यह बात देर सवेर राजकुमार रोत भी समझेंगे."

राधामोहन के बयान पर राजकुमार रोत की प्रतिक्रिया भी आई सामने

बांसवाड़ा सांसद राजकुमार रोत ने राधामोहन अग्रवाल के बयान पर कहा कि वे मुझे बड़ा नेता नहीं नहीं बना सकते. मुझे नेता पहले चोरासी और फिर बांसवाड़ा डूंगरपुर की जनता ने बनाया है. भाजपा प्रदेश प्रभारी ने साफ किया है कि आदिवासी पार्टी के बगैर इस क्षेत्र में कोई राजनीति नहीं कर सकता. 

स्थानीय स्तर पर खोखला है भाजपा का संगठनः रोत

राजकुमार रोत ने आगे कहा कि इलाके में भाजपा के स्थानीय नेता हम पर माहौल खराब करने का आरोप लगाते हैं. लेकिन उनके बड़े नेताओं का यह रुख है. इससे साफ है कि स्थानीय स्तर पर उनका संगठन कितना खोखला है. उन्होंने भाजपा के साथ किसी भी गठबंधन से इनकार किया. कहा कि हम कभी किसी के साथ नहीं जायेंगे. यह चुनाव भी स्वतंत्र होकर लड़ेंगे. 

BAP अध्यक्ष बोले- हम किसी भी सूरत में भाजपा के साथ नहीं जाएंगे

भारत आदिवासी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मोहनलाल रोत ने भी साफ किया कि वे यह चुनाव अकेले लड़ेंगे. उन्होंने कहा कि किसी भी सूरत में हम भाजपा के साथ नहीं जायेंगे. भाजपा अगर हमारी हितैषी बनना चाहती है तो वर्षों से लंबित भील प्रदेश की मांग पूरी कर दे. अभी दोनों सीटों पर हम अकेले लड़ेंगे और जीतेंगे.

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