Rajasthan News: नई दिल्ली के 24 अकबर रोड पर स्थित कांग्रेस कार्यालय पर गुरुवार को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की. इस दौरान वसुंधरा राजे (Vasundhara Raje) को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में गहलोत ने कहा, 'मेरी वजह से वसुंधरा राजे को सजा नहीं मिलनी चाहिए'. सीएम के इस बयान के बाद राजस्थान की राजनीति में फिर एक बार नए-पुराने अफसानों ने जोर पकड़ लिया है. आज राजस्थान के चुनावी गलियारों में इसी बयान की सबसे ज्यादा चर्चा है.
अशोक गहलोत ने क्या कहा था?
सीएम गहलोत ने कहा था, 'मेरे कारण उनको सजा नहीं मिलनी चाहिए. ये उनके साथ अन्याय होगा. मेरे मुंह से निकल गया एक मीटिंग के अंदर, क्योंकि वसुंधरा के जो फॉलोवर विधायक थे, वो भी लॉबी में मिल जाते हैं हमसे. उस वक्त उनके मुंह से निकल गया होगा कि हमारी जो एक्स सीएम हैं वो भी उसी विचार की हैं जो कैलाश ने कहा है. मेरे पास जानकारी थी उनकी. मैंने गलती से ये कोट दिया धौलपुर के अंदर, कि मेरी सरकार जब क्राइसिस में थी तब कैलाश मेघवाल की वसुंधरा में भावनाएं थीं.'
खाचरियावास ने किया समर्थन
गहलोत सरकार में मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने सीएम अशोक गहलोत के इस बयान का समर्थन करते हुए कहा, 'सीएम ने अगर वसुंधरा राजे को लेकर कुछ कहा है तो बहुत सोच समझकर कहा होगा. वे तीन बार के सीएम हैं. अगर वे पूर्व सीएम पर कोई बयान दे रहे हैं, तो उसके बाद कुछ बच नहीं जाता. उनका बयान तो अपने आप में मायने रखता है. उनके बयान पर मेरा बयान देना ठीक नहीं होगा. बीजेपी में माहौल बन चुका है. उनका नारा था 'कमल' ही हमारा उम्मीदवार है. आज राजस्थान में लोग न तो बीजेपी के झंडे को मान रहे हैं, न बीजेपी के चिन्ह को मान रहे हैं. लोग काले झंडे लेकर बीजेपी प्रत्याशियों का विरोध कर रहे हैं. बीजेपी में कार्यकर्ता की वैल्यू खत्म हो चुकी है, इसीलिए दिन प्रतिदिन बीजेपी में गुटबाजी भी बढ़ेगी और हालात भी बिगड़ेंगे.'
सरकार संकट में थी तब का मामला
वर्ष 2020 में जब सचिन पायलट 19 विधायकों को लेकर मानेसर पहुंच गए थे, और बागावत की तैयारी कर रहे थे. उस वक्त भाजपा के कई वरिष्ठ नेता भी बागियों से मिले थे. ऐसे में अशोक गहलोत ने अपने समर्थक विधायकों को लेकर उनकी बाड़े बंदी शुरू कर दी थी. लेकिन गहलोत शुरुआत से ही फ्लोर टेस्ट को लेकर बहुत कॉन्फिडेंट थे. उन्होंने गवर्नर हाउस का भी घेराव किया था, और कहा था कि वे विधानसभा में फ्लोर टेस्ट के लिए तैयार हैं. उस वक्त कुछ लोग इस असमंजस में थे कि जब गहलोत के विधायक ही उनको साथ छोड़कर चले गए हैं, तो फिर वे इतने कॉन्फिडेंट कैसे हैं? इसी के चलते बीजेपी ने भी अपने कुछ विधायकों की बाड़े बंदी शुरू कर दी. उस वक्त जो ज्यादा ही सस्पेक्ट विधायक थे, उन्हें सोमनाथ के दर्शन करने जाने के लिए कहा गया, लेकिन कोई विधायक नहीं गया. उस वक्त तक सचिन पायलट वापस आ गए. जिस बाद फ्लोर टेस्ट हुआ. गहलोत को समर्थन मिलता साफ नजर आ रहा था, ठीक उसी वक्त तीन विधायक अचानक गायब हो गए. उस वक्त ऐसी चर्चा उठी थी कि बीजेपी के भी कुछ विधायक गहलोत के समर्थन में हैं. इसीलिए गहलोत फ्लोर टेस्ट के लिए रेडी थे. ये उस वक्त माहौल था.
वसुंधरा बोली थीं- मेरा अपमान हुआ
उसके बाद इसी साल अशोक गहलोत मई में धौलपुर के दौरे पर जाते हैं. वसुंधरा राजे धौलपुर राजघराने की पूर्व महारानी हैं, और शोभा रानी कुशवाहा भाजपा के टिकट पर एक इलेक्शन में वहां जीती हैं. उस वक्त गहलोत शोभा रानी की प्रशंसा करते हुए जनसभा में बोलते हैं, 'अब तो लगता है शोभा रानी कांग्रेस से ही चुनाव लड़ेंगी. क्योंकि राज्यसभा चुनाव में भी उन्होंने मुझे ही वोट दिया था. जब मेरी सरकार गिरने वाली थी, उस वक्त शोभा रानी और भाजपा के कुछ विधायकों ने मेरा साथ दिया, जिससे बीजेपी की हवा उड़ गई थी.' फिर कुछ गंभीरता से गहलोत ने भैरव सिंह शेखावत की बात कही. उन्होंने कहा, 'राजस्थान में जो इलेक्टेड गवर्नमेंट है, उसको गिराने की परंपरा नहीं है. जब भैरव सिंह बीमार थे, उस वक्त भी उनकी सरकार कोई गिराना चाह रहा था, जिससे मैं सहमत नहीं था. उसी तरह से वसुंधरा राजे और कैलाश मेघवाल भी इस बात से सहमत नहीं थे कि मेरी जो इलेक्टेड गवर्नमेंट है उसको गिराया जाए.' गहलोत के इसी बयान से बवाल खड़ा हो गया. वसुंधरा राजे न कहा कि मेरा अपमान हो रहा है. तो वहीं सचिन पायलट को मौका मिल गया मोर्चा खोलने का. उन्होंने कहा कि वसुंधरा राजे लगता है अशोक गहलोत की नेता हैं न कि सोनिया गांधी. पायलट ने ये भी धमकी दी कि वसुंधरा के खिलाफ जो भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं, उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है, उसके लिए मैं आंदोलन करूंगा. हालांकि बाद में पार्टी ने सुलह करवा दी.'