Vasundhara Raje: ट्विटर पर ट्रेंड करने लगीं वसुंधरा राजे, लोग दे रहे बधाईयां, फिर झालरापाटन से ठोकेंगी ताल

राजस्थान की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे सिंधिया इस बार भी झालरापाटन से चुनाव लड़ेंगी. झालरापाटन विधानसभा सीट राजस्थान की सबसे सुरक्षित सीटों में से एक है. पिछले 20 सालों से लगातार यह सीट बीजेपी के पास है. यहां से लगातार चार बार से पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया जीतकर आ रही हैं.

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वसुंधरा राजे (फाइल फोटो)

Rajasthan BJP Second List: भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने जैसे ही राजस्थान विधानसभा चुनाव (Rajasthan Assembly Election 2023) के लिए अपने उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट जारी करते हुए वसुंधरा राजे (Vasundhara Raje) को झालरापाटन (Jhalrapatan) से टिकट देने का ऐलान किया, वैसे से राजे के समर्थकों का बधाई देने का सिलसिला शुरू हो गया. कुछ ही देर में माहौल ऐसा बना कि वसुंधरा राजे का नाम ट्विटर पर टॉप ट्रेंड में नजर आने लगा.

झालरापाटन विधानसभा सीट को राजस्थान की सबसे सुरक्षित सीटों में से एक माना जाता है. क्योंकि पिछले 20 सालों से लगातार यह सीट बीजेपी के पास है. यहां से लगातार चार बार से पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया जीतकर आ रही हैं. इस बार ऐसी अफवाह थी कि बीजेपी झालरापाटन से वसुंधरा राजे को टिकट न देकर, उनके बेटे दुष्यंत सिंह को चुनावी मैदान में उतार सकती है. हालांकि बीजेपी ने इस बार रिवाज नहीं बदला, और झालरापाटन से वसुंधरा को टिकट दे दिया, जिससे राजे के समर्थकों में खुशी का माहौल है.

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वसुंधरा राजे के जीतने की पूरी संभावना जताई जा रही है, क्योंकि उनका यहां पर एक मजबूत जनाधार माना जाता है. कांग्रेस को यहां पर एक मजबूत प्रत्याशी उतारने में भी मुश्किल का सामना करना पड़ सकता है. यहां कोई जातिगत समीकरण भी काम नहीं करते हैं. वसुंधरा राजे के नाम पर यहां एक तरफा वोट पड़ते हैं कांग्रेस ने यहां जातिगत के साथ प्रभावशाली लोगों को उतारने का प्रयास किया, लेकिन वह विफल रही. झालरापाटन विधानसभा बीजेपी का मजबूत गढ़ बन गई है.

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राजस्थान में राजपूत समुदाय का 200 में से करीब 50 सीटों पर दबदबा है और इन सीटों पर उनका वोट निर्णायक माना जाता है. झालरापाटन भी इन सीटों में से एक है. यूं तो राजपूत वसुंधरा के पारंपरिक वोटर माने जाते रहे हैं, लेकिन इस बार स्थिति थोड़ी अलग है. बताया जा रहा है 2014 में जसवंत सिंह को टिकट न मिलने से राजपूत मतदाताओं के एक हिस्से में नाराजगी थी और वह नाराजगी सीएम वसुंधरा को भारी पड़ सकती है. वर्तमान समीकरण को देखते हुए ही मानवेंद्र सिंह अपनी पारंपरिक सीट बाड़मेर छोड़कर झालरापाटन के रण में उतरे हैं. मानवेंद्र सिंह के साथ एक और प्लस प्वाइंट है, वह यह कि राजपूत मतदाताओं पर पकड़ रखने वाली करणी सेना भी उनके पक्ष में खड़ी नजर आ रही है. 

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