Supreme Court: राजधानी दिल्ली और एनसीआर क्षेत्र में वायु प्रदूषण काफी तेजी से बढ़ रहा है. ऐसे में इसे नियंत्रित करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहले से दिल्ली-एनसीआर और आस-पास के राज्यों को निर्देश जारी कर रही है. वहीं राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में वायु प्रदूषण नियंत्रण को लेकर एक महत्वपूर्ण फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने एम.सी. मेहता बनाम भारत संघ और अन्य मामले में राजस्थान सरकार द्वारा दायर अनुपालन हलफनामे को स्वीकार कर लिया है.
इस हलफनामे के तहत राजस्थान के दो जिलों में पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाए जाने की बात कही गई है. पटाखों से होने वाले प्रदूषण जिसमें वायु प्रदूषण के साथ ध्वनि प्रदूषण भी होते हैं, इसके लिए यह फैसला लिया है.
भरतपुर और अलवर में पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध
सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा अतिरिक्त महाधिवक्ता शिव मंगल शर्मा और अधिवक्ता सोनाली गौर सुप्रीम कोर्ट के 12 दिसंबर 2024 के आदेश के अनुपालन में दायर किया गया था. इसमें राजस्थान सरकार द्वारा एनसीआर के तहत आने वाले राजस्थान के जिला भरतपुर और जिला अलवर में पटाखों के उपयोग, निर्माण, भंडारण, बिक्री और वितरण पर पूरे वर्ष के लिए पूर्ण प्रतिबंध लगाने की ठोस कार्रवाई को रेखांकित किया गया है. यह कदम सुप्रीम कोर्ट के पटाखों से होने वाले वायु और ध्वनि प्रदूषण को कम करने के प्रयासों के अनुरूप है.
हलफनामे में सख्त कार्यान्वयन उपायों का भी उल्लेख किया गया है, जिनमें कानून प्रवर्तन और प्रशासनिक अधिकारियों को अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए निर्देश शामिल हैं.
पुलिस निगरानी: सभी पुलिस थानों को सख्त निगरानी के निर्देश जारी किए गए हैं.
प्रदूषण नियंत्रण की निगरानी: राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को प्रतिबंध को कड़ाई से लागू करने का निर्देश दिया गया है.
जन जागरूकता अभियान: सूचना और जनसंपर्क विभाग व्यापक अभियान चलाकर पटाखा प्रतिबंध के बारे में जनता को जागरूक करेगा.
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