राजस्थान की एक नदी जिसे खनन माफिया ने कर दिया बंद, सालों की लड़ाई के बाद अब मिलेगा नया जीवन

राजस्थान के बूंदी जिले की ऐरु नदी को कुछ साल पहले खनन माफिया ने बंद कर दिया था जिसके खिलाफ अदालत में गुहार लगाई गई और हाईकोर्ट ने प्रशासन को नदी को दोबारा उसके रूप में लाने का आदेश दिया.

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फिर से अस्तित्व में आने लगी ऐरु नदी.

Rajasthan News: राजस्थान के बूंदी जिले में खनन माफियाओं का आतंक इस कदर बढ़ गया कि उन्होंने एक बहती हुई नदी में खनन कर उसका रास्ता ही रोक दिया. दरअसल भीलवाड़ा जिले से निकलने वाली ऐरु नदी बूंदी जिले से होती हुई कोटा चंबल नदी में जाकर मिलती है. लेकिन कुछ सालों से अवैध खनन करने वाले लोगों ने बड़े-बड़े पत्थरों को नदी में फेंकना शुरू कर दिया जिसके कारण नदी का रास्ता ब्लॉक हो गया. नदी को बचाने के लिए बूंदी के एक पर्यावरण कार्यकर्ता ने राजस्थान हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की. ये मामला 4 सालों तक चला जिसके बाद राजस्थान हाई कोर्ट ने बूंदी जिला प्रशासन को नदी का मूल स्वरूप वापस लाने के निर्देश दिए जिसके बाद प्रशासन ने पिछले 5 महीने से नदी की खुदाई शुरू की और यह काम लगभग पूरा हो गया है.

अदालत के आदेश के बाद बूंदी जिला प्रशासन में ऐरु नदी को वापस से विकसित करने का काम शुरू कर दिया. जिला प्रशासन ने नदी का सर्वे करवाया. इसके बाद नदी का नक्शा बनाकर डीएमएफटी फंड से 11 करोड़ रुपए स्वीकृत करवाए और इस नदी का रास्ता सुगम बनाने के लिए टेंडर जारी किए. पिछले 5 माह से इस नदी में जेसीबी मशीन खुदाई कर रही हैं, जिससे जल्द ही नदी अपने मूल स्वरूप में लौट सके. 

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नदी के काम का निरीक्षण करते हुए जिलाअधिकारी

प्रशासन ने चलाई बड़ी मुहिम

ऐसा पहली बार हुआ है जब किसी नदी को खनन माफिया ने बंद कर दिया हो और जिला प्रशासन ने बड़ी मुहिम चलाकर नदी को वापस विकसित करने का काम किया हो. अब इस नदी के विकसित हो जाने से इस इलाके के लोगों को बड़ा फायदा होगा और लोगों को पानी सहित पेयजल की समुचित व्यवस्थाएं मिल सकेगी. 

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नदी में फिर दिखने लगा पानी

कई जिलों के माफिया करते थे खनन

कोटा, बूंदी, बारा, झालावाड़, भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़, उदयपुर सहित कई जगहों के खनन व्यापारी और माफिया इस इलाके में अपना खनन करते हैं. उन्हीं पत्थरों के बीच से निकलने वाला मलबा नदी में गिरा था, जिसके कारण नदी बंद हो गई थी. इलाके के ग्रामीणों की उम्मीदें बिल्कुल खत्म हो चुकी थी की नदी कभी भी अपने मूल स्वरूप में लौट पाएगी. लेकिन राजस्थान हाई कोर्ट के निर्देश के बाद जिला प्रशासन ने नदी को फिर से मूल स्वरूप में लाने का काम शुरू कर दिया है.

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खनन माफिया द्वारा नदी में डाले गए पत्थर.

ग्रामीणों को मिलेगा पानी

ग्रामीण लक्ष्मण धाकड़ और भागीरथ गुर्जर ने बताया कि इस पथरीले इलाके में फिर से पानी बहने लगेगा जिससे पेयजल और सिंचाई के लिए उन्हें फिर से पानी मिल जाएगा. उन्होंने कहा,"हम तो उम्मीद छोड़ चुके थे कि कभी इस नदी में फिर से पानी भी बहेगा. बारिश में पानी आता जरूर था, लेकिन बीच में बने पहाड़ों की वजह से आगे बढ़ नहीं पता था. लेकिन अब खुदाई हो रही है तो पानी भी आगे बढ़ता जा रहा है."

खनन माफिया द्वारा नदी के रास्ते में बनाए गए पहाड़.

विट्ठल कुमार ने लगाई थी हाईकोर्ट में याचिका

बूंदी पर्यावरण प्रेमी और पीपल्स फॉर एनिमल के जिला प्रभारी विट्ठल कुमार सनाढ्य ने जब पहली बार डाबी क्षेत्र का दौरा किया, तो उन्होंने देखा कि खनन करने वालों ने नदी में मलबा डालकर ऐरु नदी का अस्तित्व ही खतरे में डाल दिया. इसके बाद जिला प्रशासन से कई बार विट्ठल कुमार ने गुहार लगाई तो प्रशासन भी खनन माफिया के सामने कुछ नहीं कर सका.

इसके बाद विट्ठल कुमार अपनी संस्था के साथ नदी को मूल स्वरूप में लाने के लिए राजस्थान हाई कोर्ट में याचिका दायर करने पहुंच गए. कोर्ट में 2018 में एडवोकेट महेंद्र सिंह कच्छावा के माध्यम से यह याचिका दायर की गई थी.

नदी के रास्ते को किया जा रहा साफ.

4 सालों तक चली याचिका पर सुनवाई

करीब 4 सालों तक राजस्थान हाई कोर्ट में याचिका पर सुनवाई की गई, जिसके बाद जिला प्रशासन के अधिकारियों को हाईकोर्ट ने तलब किया और उनसे जवाब मांगा तो अधिकारी भी कोई जवाब नहीं दे पाए. ऐसे में उच्च न्यायालय ने अवैध खनन को रोकने के साथ ही नदी का मलबा हटाने के निर्देश दिए और नदी को फिर से उसके मूल स्वरूप में लाने का आदेश जारी किया. 

जिला कलेक्टर ने किया नदी का निरीक्षण

कोर्ट के आदेश के बाद जिला कलेक्टर ने गुड्डा और लाबांखोह गांव के समीप नदी के बहाव क्षेत्र का निरीक्षण किया. इसके बाद जिला कलेक्टर अक्षय गोदारा ने बताया कि डीएमएफटी के तहत 11 करोड़ की लागत से 5400 मीटर के क्षेत्र से मलबा साफ कर लिया गया है.

वहीं डब्ल्यूआरडी की ओर से प्राकृतिक पत्‍थरों से पुल बनाया गया है. इससे ग्रामीणों को आवागमन में सुविधा मिलेगी. उन्होंने कहा कि अधिकारियों को निर्देश दिए कि इस बात विशेष ध्यान रखा जाए कि दोबारा नदी में खनन का मलबा एकत्रित नहीं हो. 

ऐरु नदी में कल-कल करने लगा पानी.

बूंदी में 90 प्रतिशत काम पूरा

कलेक्टर ने आगे बताया कि यह नदी मूल रूप से भीलवाड़ा जिले से निकलती है और बूंदी जिले होते हुए कोटा की चंबल नदी में जाकर खत्म हो जाती है. रोज करीब 20 से अधिक जेसीबी और एलएनटी मशीन नदी का रास्ता बनाने के लिए खुदाई कर रही है और करीब 90% काम पूरा हो चुका है.

बूंदी जिले का काम पूरा होने वाला है. बस अब भीलवाड़ा जिले का काम बाकी रहा है. वहां के प्रशासन से हमारी बातचीत चल रही है. जल्दी वहां पर भी टेंडर जारी होकर काम शुरू हो जाएगा.

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