Rajasthan by-election: झुंझुनू विधानसभा सीट पर उपचुनाव होने वाला है. इस सीट पर मुस्लिम नेताओं ने कांग्रेस से टिकट की मांग कर दी है. बीते दिनों मुस्लिम न्याय मंच से आईएएस अशफाक हुसैन ने कहा था कि झुंझुनू सीट पर एक ही जाति या एक ही परिवार का अधिकार नहीं है. लोकतंत्र में सभी को टिकट मांगने का अधिकार है. इस सीट पर लंबे समय से मुस्लिम समाज टिकट की दावेदारी कर रहा है.
जाट और मुस्लिम वोटर अधिक
झुंझुनू विधानसभा सीट पर जाट और मुस्लिम मतदाता अच्छी खासी संख्या में है. यहां जाट मतदाता करीब 70 हजार के आसपास है और मुस्लिम मतदाता भी 68 हजार है, ST-SC के वोटर लगभग 45 हजार के करीब है. इस सीट पर मूल ओबीसी भी अच्छी खासी संख्या में है. ऐसे में लंबे समय से ओला परिवार का सीट पर कब्जा रहा है. पहले शीशराम ओला उसके बाद बृजेंद्र ओला जो की इस सीट से विधायक की का चुनाव जीते थे. 2024 के लोकसभा चुनाव में यहां से सांसद भी बने. इसके बाद यह विधानसभा सीट खाली हो गई, ऐसे में यहां अब उपचुनाव होने हैं.
मुस्लिम वोटर्स कांग्रेस की बढ़ा सकते हैं परेशानी
उपचुनाव में भी कांग्रेस पार्टी ओला परिवार से ही किसी को चुनाव लड़वाना चाहती है, ऐसे में मुस्लिम वोटर्स ने बीते दिनों एक सभा करके पार्टी को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि उप-चुनाव में किसी मुस्लिम प्रत्याशी को टिकट नहीं दिया जाता है, तो वह चुनाव में पार्टी का विरोध करेंगे.
मुस्लिम न्याय मंच से रिटायर्ड आईएएस अशफाक हुसैन ने कहा, "आज कांग्रेस के जो पांच बड़े नेता है. वह मुसलमानों के वोट से ही बने हुए हैं. जरूरी नहीं कि हम कांग्रेस को ही वोट दें, यह गलतफहमी नहीं होनी चाहिए हम वोट नहीं देंगे तो आप घर बैठ जाओगे."
मुस्लिम वोटर की नाराजगी कांग्रेस को पड़ सकती है भारी
हरियाणा चुनाव के नतीजे के पीछे एक बड़ी वजह गैर जाट वोटर का कांग्रेस से नाराज होना सामने आया है. हरियाणा में कांग्रेस पार्टी को हार का मुंह देखना पड़ा अब झुंझुनू विधानसभा सीट पर होने जा रहे उपचुनाव में भी कही गैर जाट का नारा लग गया तो यहां भी कांग्रेस का वोट बैंक माने जाने वाला मुस्लिम समाज कांग्रेस से छिटक सकता है.
झुंझुनू सीट पर दूसरी बार होने जा रहा उप-चुनाव
अब तक इस सीट पर केवल एक बार उपचुनाव हुए हैं. साल 1996 में यहां पहली बार उपचुनाव हुए जहां, पर डॉक्टर मूल सिंह शेखावत चुनाव जीते इस चुनाव के पीछे भैरू सिंह शेखावत की बड़ी रणनीति थी. अब इस सीट पर दूसरी बार उपचुनाव होने जा रहे हैं ऐसे में कांग्रेस के लिए इस बार रहा आसान नहीं होगी क्योंकि यह सीट परंपरागत रूप से कांग्रेस की मानी जाती है लेकिन यदि अल्पसंख्यक समाज को नहीं साधा गया तो यहां नतीजे चौका सकते हैं.
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