
Rajasthan: केंद्र सरकार के नए नियमों के बाद राजस्थान में DGP की मंजूरी के बाद से ही कॉल रिकॉर्डिंग हो रही है. साढ़े तीने महीने से कोई भी मोबाइल नंबर को सर्विलांस पर लेने से पहले डीजीपी से अप्रूवल लेना पड़ता है. पहले डीजीपी के साथ डीजी एसीबी, डीजी-एडीजी आईबी, एडीजी एसओजी-एटीएस, एडीजी प्रथम, सभी रेंज आईजी और पुलिस कमिश्नर जयपुर और जोधपुर के पास भी था.
महीने में 15 नंबर ही सर्विलांस पर लगाते हैं
अब इनमें से किसी को भी मोबइल नंबर को सर्विलांस पर लेना होता है तो वे डीजीपी को फाइल भेजते हैं. इसके बाद मोबाइल नंबर को सर्विलांस पर लगाते हैं. दैनिक भास्कर में छपी खबर के अनुसार इसकी वजह से अब महीने में औसतन 15 मोबाइल नंबर ही सर्विलांस पर लिए जा रहे हैं. पहले रोज 5 से 10 मोबाइल नंबर सर्विलांस पर लगाए जाते थे.
डीजीपी से अनुमति लेना जरूरी
नए नियम के अनुसार अब डीजीपी से अनुमति मिलने के बाद ही मोबाइल नंबर को सर्विलांस पर लगाया जा रहा है. एक्ट में प्रावधान है कि राज्य सरकार इसके लिए अन्य अधिकारियों को भी अधिकृत कर सकती है. इसके अनुसार एसओपी बनानी जरूरी है. राजस्थान सरकार अभी तक एसओपी तैयारी नहीं की है. गृह विभाग में मंथन चल रहा है.
गृह सचिव बतौर सदस्य शामिल नहीं हो सकेंगे
नए नियम के अनुसार राजस्थान में सर्विलांस का रिव्यू करने वाली कमेटी के अध्यक्ष मुख्य सचिव और विधि सचिव सदस्य होंगे. कमेटी में गृह सचिव बतौर सदस्य शामिल नहीं हो सकेंगे. इनकी जगह सचिव स्तर का कोई अन्य अधिकारी सदस्य होगा, जो किसी दूसरे विभाग का होगा. कमेटी 2 महीने में बैठक करेगी. सर्विलांस के जो आदेश नियमानुसार नहीं हैं. समिति उसे बाहर कर सकती है, और रिकॉर्डिंग डिलीट करने के आदेश दे सकती है.
नए नियम के बाद से सर्विलांस की रफ्तार में कमी
राज्य की तरह केन्द्र में भी यह कमेटी होगी, जिसमें अध्यक्ष मंत्रिमंडल सचिव और विधि सचिव तथा दूर संचार विभाग के सचिव सदस्य होंगे. नए नियम के बाद से सर्विलांस की रफ्तार में कमी आई है. एसीबी और एटीएस-एसओजी जैसी एजेंसियों को सर्विलांस की आवश्यकता तत्काल पड़ती है. पहले इनके प्रमुख फाइल प्रदेश के गृह विभाग को भेजते थे.
डीजीपी यूआर साहू ने भास्कर को बताया कि नए नियमों के अनुसार सर्विलांस के लिए पत्रावलियां हमारे पास आ रही हैं. इनमें से उपयुक्त कारण बताए जाते हैं, जो भी सही मामलों में जरूरत है. उन्हें नियमों के अनुसार मंजूरी दी जा रही है.
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