Rajasthan Coaching Centers Bill: राजस्थान सरकार अब कोचिंग संस्थानों के नियमन के लिए बिल लाने की तैयारी में है. इसके लिए शिक्षा विभाग सभी स्टेक होल्डर से उनके सुझाव मांग रहा है. गुरुवार को शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने कोचिंग संस्थानों के प्रतिनिधियों एवं निजी विद्यालयों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की. इससे पहले उच्च शिक्षा विभाग ने सभी से सुझाव मांगे थे, 100 से अधिक सुझाव विभाग को मिले थे. बैठक में भी कई बिंदुओं पर चर्चा हुई.
Rajasthan Coaching Centers Bill: क्या है ड्राफ्ट में?
द राजस्थान कोचिंग सेंटर (कंट्रोल एंड रेगुलेशन) बिल 2024 के मुताबिक राज्य सरकार की दो स्तरीय प्रशासनिक व्यवस्था कोचिंग संस्थानों का नियमन करेगी. कोचिंग संस्थान 16 साल से कम उम्र के बच्चों का नामांकन नहीं ले पाएंगे. वे कोई भ्रामक दावा, वादा नहीं करेंगे. परीक्षा के नेचर के बारे में विद्यार्थियों एवं अभिभावकों को पूरी जानकारी देंगे. ताकि वे इसके आधार पर करियर का विकल्प चुन पाएं.
ड्राफ्ट के अनुसार कोचिंग सेंटरों को अपनी वेबसाइट पर शिक्षकों की योग्यता, कोर्स की जानकारी, ईजी एग्जिट पॉलिसी, फी रिफंड पॉलिसी, साल में कुल एनरोल बच्चों की संख्या और पास हुए बच्चों की संख्या बतानी होगी. इसके साथ ही कोचिगंग सेंटरों में काउंसिलिंग सिस्टम और शिकायत के लिए कमेटी का होना जरूरी होगा.
बच्चों पर दबाव न बढ़े, यह कोशिश
कोशिश यह है कि बच्चों पर दबाव कम किया जा सके. ड्राफ्ट में बताया गया है कि बच्चों को सप्ताह में एक दिन छुट्टी मिलेगी. छुट्टी के दिन कोई टेस्ट नहीं होगा. दिन में 5 घंटे से अधिक क्लास नहीं होगी. साथ ही क्लास में बच्चों की संख्या तय होगी, इसे बीच में नहीं बढ़ाया जा सकेगा. अगर कोई बच्चा बीच में कोर्स छोड़ना चाहता है तो उसकी फीस वापस की जाएगी.
कोचिंग संस्थानों का सुझाव, उम्र की सीमा कम करे सरकार
ड्राफ्ट को लेकर कोचिंग संस्थानों ने कुछ सुझाव दिए हैं. प्रतिनिधियों ने कहा कि अब प्रतियोगी परीक्षाओं में प्रतिभागी की संख्या बढ़ी है. ऐसे में बच्चों को पहले से तैयारी की जरूरत है. इसलिए उम्र की सीमा कम की जानी चाहिए. साथ ही 50 से कम विद्यार्थियों वाले संस्थानों को भी इस बिल के दायरे में लाना चाहिए क्योंकि वे भी व्यवसायिक गतिविधि ही कर रहे.
इस साल अब तक 15 विद्यार्थियों ने की आत्महत्या
इस साल अब तक कोटा में 13 बच्चों ने आत्महत्या की है. वहीं जयपुर और सीकर में 1 - 1 बच्चे ने आत्महत्या की. इन घटनाओं में ज्यादातर बच्चे पढ़ाई के दबाव की वजह से आत्महत्या करते हैं. इसलिए उम्मीद है कि नए कानून बनने के बाद बच्चों पर यह दबाव कम होगा.
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