Rajasthan Doctors Strike: राजस्थान में 16 दिनों से जारी रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल आज कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद समाप्त हो गई. राजस्थान उच्च न्यायालय में अधिवक्ता पार्थ शर्मा ने याचिका दायर की थी. उन्होंने अपनी याचिका में कहा था कि रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल की वजह से मरीजों पर असर पड़ रहा है. पार्थ शर्मा की याचिका पर कोर्ट ने संज्ञान लिया और सभी पक्षों को बुलाया. कोर्ट ने रेजिडेंट डॉक्टरों से कहा कि हम इस मामले में तभी कोई निर्देश देंगे जब आप अपनी हड़ताल समाप्त करेंगे. इस पर रेजिडेंट डॉक्टरों ने हड़ताल समाप्त करने का फैसला किया.
कोर्ट के आदेश पर कमेटी गठित
इसके बाद कोर्ट ने चिकित्सा शिक्षा सचिव की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया. कमेटी में वित्त विभाग और चिकित्सा शिक्षा विभाग के सचिव, अतिरिक्त महाधिवक्ता, कॉलेज के प्रिंसिपल, रेजिडेंट डॉक्टरों के दो प्रतिनिधि, एक महिला और एक पुरुष डॉक्टर भी शामिल होंगे.
अस्पताल में शराब बिक्री और सुरक्षा के मुद्दे पर त्वरित कार्रवाई के निर्देश
रेजिडेंट डॉक्टरों ने एसएमएस अस्पताल में शराब की अवैध बिक्री और सुरक्षा से जुड़े सवाल भी उठाए. इस पर कोर्ट ने एसएमएस पुलिस थाने को इन मामलों में त्वरित कार्रवाई के निर्देश दिए. कोर्ट ने कहा कि एसएमएस अस्पताल में अतिक्रमण को चिन्हित कर उसे हटाया जाए.
सुनवाई के दौरान बिगड़ी एसएमएस कॉलेज के प्रिसिंपल की तबीयत
याचिकाकर्ता अधिवक्ता पार्थ शर्मा, सौरभ जैन और रिशु जैन ने कोर्ट के सामने अपना पक्ष रखा. जार्ड की तरफ से अध्यक्ष मनोहर सियोल कोर्ट में उपस्थित हुए. सुनवाई के लिए एसएमएस कॉलेज के प्राचार्य दीपक माहेश्वरी भी पहुंचे थे. फिर यहां अचानक उनकी तबियत बिगड़ गई. इसके बाद उन्हें एसएमएस अस्पताल में भर्ती कराया गया.
मालूम हो कि राजस्थान में डॉक्टरों की हड़ताल से स्वास्थ्य व्यवस्था बेपटरी हो गई थी. 8 सूत्री मांगों पर प्रदेश भर के रेजिडेंट डॉक्टर 19 अक्टूबर से हड़ताल पर हैं. रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल समाप्त कराने की सरकार की ओर से कई पहल भी हुई. लेकिन डॉक्टर अपनी मांगों के समर्थन पर अड़े हुए थे.
रेज़िडेंट डॉक्टरों के संगठन जयपुर एसोसिएशन ऑफ़ रेज़ि़डेंट डॉक्टर्स (JARD) ने हड़ताल की है. डॉक्टरों का कहना था कि अगर सरकार ने आज उनकी मांगों के बारे में ठोस कार्रवाई नहीं की, तो वह वॉर्ड में आए मरीज़ों को देखना बंद कर देंगे.
रेज़िडेंट डॉक्टर आठ मांगों को लेकर हड़ताल कर रहे हैं. उनका कहना है कि उनकी ये मांगें पुरानी हैं मगर कई बार अल्टीमेटम देने के बाद भी राज्य सरकार इन मांगों को पूरी करने में नाकाम रही है.
हड़ताली रेज़िडेंट डॉक्टरों की 8 मांगें
- पूर्व में हुए समझौते के अनुसार सभी मेडिकल कॉलेजों की सुरक्षा व्यवस्था पुख्ता की जाए.
- समय पर वेतन बढ़ाया जाए. रेज़िडेंट डॉक्टरों का दावा है कि वर्तमान में राजस्थान में दिया जा रहा वेतन, आस-पड़ोस के समस्त राज्यों से कम है.
- बॉण्ड पॉलिसी में बदलाव किया जाए.
- उन सभी रेजिडेंट डॉक्टरों को मकान किराया भत्ता (HRA) दिया जाए जो हॉस्टल में नहीं रहते हों.
- विशेष मेडिकल ऑफिसर पदों की भर्ती निकली जाए. जिन डिपार्टमेंट में पीजी की पढ़ाई होती है, उन सभी डिपार्टमेंट में जेएस/एसएस पदों का सृजन हो.
- अकादमिक और गैर-अकादमिक सीनियर रेज़िडेंट डॉक्टरों (SR) की तनख्वाह में विसंगति दूर हो. हड़ताली डॉक्टरों का दावा है कि वर्तमान में अकादमिक SR की तनख्वाह गैर-अकादमिक SR से कम है.
- राजस्थान सरकार के इन-सर्विस डॉक्टरों के लिए सुपर-स्पेशलाइजेशन के बाद, उनकी वेतन वृद्धि और पदोन्नति उसी तरह से हो, जैसे पीजी पासआउट डॉक्टरों की होती है.
- रेज़ि़डेंट डॉक्टर्स ने इससे पहले कोलकाता के आरजी कर हॉस्पिटल में डॉक्टरों के विरोध प्रदर्शन के समर्थन में 11 दिन की हड़ताल की थी. रेज़ि़डेंट डॉक्टर्स के संगठन का कहना है कि उन्होंने राजस्थान सरकार से भरोसा मिलने के बाद हड़ताल ख़त्म कर दी थी. मगर उनकी मांगों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही है.
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