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Rajasthan: डूंगरपुर में 65 साल का दानवीर 'कर्ण' मादु रेबारी, दूध बेचकर स्कूल को दिया 7 लाख 

Rajasthan: मादु रेबारी खुद कच्‍चे मकान में रहते हैं, लेक‍िन उन्होंने स्‍कूल में क्‍लासरूम और हॉल बनाने के ल‍िए 7 लाख रुपये दान कर द‍िए. मादु से प्रेरणा लेकर गांव के अन्य भामाशाह भी स्कूल को दान देने के ल‍िए आगे आए हैं.

Rajasthan: डूंगरपुर में 65 साल का दानवीर 'कर्ण' मादु रेबारी, दूध बेचकर स्कूल को दिया 7 लाख 
बच्‍चों के साथ बैठे स्‍कूल को 7 लाख रुपए दान करने वाले मादु रेबारी.

Rajasthan News: डूंगरपुर जिले के दोवडा ब्लॉक के अंतर्गत धाणी घटाऊ गांव के पशुपालक मादु रेबारी (65) ने शिक्षा के लिए 7 लाख रुपए दान देकर एक अनूठी मिसाल पेश की है. उन्होंने दूध बेचकर पाई-पाई इकट्ठा की और उसे स्‍कूल में क्‍लासरूम और हॉल न‍िर्माण के ल‍िए दान कर दी, ज‍िससे उनके गांव के बच्चे पक्की छत के नीचे पढ़ाई कर अपना भविष्य बना सकें. वे खुद कच्‍चे मकान में रहते हैं. 

स्‍कूल में केवल चार ही कमरे 

राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय धाणी घटाऊ में कक्षा एक से आठ तक की पढ़ाई होती है. यहां 58 बच्‍चों ने एडम‍िशन ल‍िया है. लेकिन, स्कूल में 4 ही क्‍लासरूम हैं. इसमें एक कक्ष स्कूल के प्रधानाचार्य और स्टाफ के लिए है. दूसरा कक्ष भंडार गृह के लिए है. बाकी दो कक्षों में बच्‍चों का बैठाना मुश्किल हो रहा था. स्‍कूल की समस्या को देखते हुए स्कूल के प्रधानाचार्य ने गांव के भामाशाह से मदद मांगी. इस पर गांव वालों से ढाई लाख रुपए की राशि लेकर विद्यालय में हॉल निर्माण के ल‍िए नीव रखी. इसके बाद हॉल के प‍िलर ही खड़े हो सके और पैसे खत्‍म हो गए. छत नहीं पड़ सकी. 

मादु रेबारी म‍िट्टी के बने मकाने में रहते हैं.

मादु रेबारी म‍िट्टी के बने मकाने में रहते हैं.

मादु के दान से पड़ी छत 

इसके बाद ढाणी घटाऊ गांव के सरकारी स्कूल के र‍िटायर्ड प्रिंसिपल महेश व्यास ने मादु रेबारी को स्कूल भवन की समस्या के बारे में बताया. मादु रेबारी ने स्कूल को आर्थिक सहयोग करने का फैसला ल‍िया, और दूध बेचने से हुई अपनी आय के 3 लाख रुपये साल 2023 में ज्ञान संकल्प पोर्टल के माध्यम से स्कूल को दान कर दिए. इसके बाद अलग-अलग कार्यों के लिए 4 लाख की राशि और दान दी. रेबारी अब तक स्कूल के लिए अपनी जीवन की कमाई के 7 लाख रुपए दान कर चुके हैं. मादु ने दान की गई राशि से बने हॉल का नाम माधुर्य रखा है.

"मेरी कोई संतान नहीं, स्कूल के बच्चे ही मेरी संतान"

मादु रेबारी ने बताया कि उनकी पत्नी की 8 साल पहले मौत हो गई. कोई संतान भी नहीं है. अकेले रहते हैं और दूध बेचकर अपना जीवन यापन करते हैं. गांव के स्कूल में पढ़ने वाले सभी बच्चों को वो अपनी संतान के समान मानते हैं. मादु ने कहा कि भविष्य में फिर अगर स्कूल को उनकी मदद की जरूरत होगी तो वे अपने स्तर पर हर संभव मदद करने का प्रयास करेंगे. मादु कभी-कभी स्कूल भी जाते हैं, और एक-दो घंटे बच्चों के साथ बिताते हैं. 

गोबर के उपले बनाते मादु रेबारी.

गोबर के उपले बनाते मादु रेबारी.

मादु से प्रेरि‍त होकर अन्य भामाशाह भी आगे आए

मादु से प्रेर‍ित होकर गांव के अन्य भामाशाह भी स्कूल के लिए आगे आये. गांव के ही लक्ष्मण ननोमा, गौतम रेबारी, जय किशन रेबारी, डूंगर रेबारी और प्रभु ने भी स्कूल के लिए अपनी आधा-आधा बीघा जमीन दान कर दी. इसके अलावा गांव के ही लक्ष्मण रेबारी ने स्कूल के बच्चों की पेयजल की समस्या दूर करने के लिए 2 लाख 10 हजार की राशि दान की है.

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