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Rajasthan: राजस्थान में 'ब्लू इकॉनमी' की दस्तक, अरब सागर से जुड़ेगा सीधा कनेक्शन; अर्थव्यवस्था की बदलेगी तस्वीर

Rajasthan News: मुंबई में इंडिया मैरीटाइम वीक-2025 के दौरान मंगलवार को रखी गई. जिसके चलते अब राजस्थान में भी'ब्लू इकॉनमी' की दस्तक हो गई है. इसके जरिए प्रदेश का सीधा कनेक्श अरब सागर से जुड़ेगा.

Rajasthan: राजस्थान में 'ब्लू इकॉनमी' की दस्तक, अरब सागर से जुड़ेगा सीधा कनेक्शन; अर्थव्यवस्था की बदलेगी तस्वीर
Jalore connected to Arabian Sea

Rajasthan Blue Economy Enter: राजस्थान, जिसे अक्सर मरुस्थलीय भौगोलिक पहचान तक सीमित करके देखा जाता है, लेकिन अब राजस्थान समुद्री व्यापार में नई कहानी लिखने की तैयारी में है. जिसकी नींव मुंबई में इंडिया मैरीटाइम वीक-2025 के दौरान मंगलवार को रखी गई. जिसके चलते अब राजस्थान में भी'ब्लू इकॉनमी' की दस्तक हो गई है. इसके जरिए प्रदेश का सीधा कनेक्श अरब सागर से जुड़ेगा. जो राज्य की अर्थव्यवस्था की तस्वीर बदलने में मदद करेगा. 

सांचौर में बनेगा देश का बड़ा इनलैंड पोर्ट

 बता दें कि मंगलवार को इंडिया मैरीटाइम वीक-2025 के आयोजन में राजस्थान रिवर बेसिन एंड वाटर रिसोर्सेज प्रोजेक्ट अथॉरिटी और इनलैंड वाटरवेज अथॉरिटी ऑफ इंडिया (IWAI) के बीच महत्वपूर्ण एमओयू साइन हुआ है. जिसके बाद जालोर जिले के सांचौर में देश का एक बड़ा इनलैंड पोर्ट, सुखा बंदरगाह (ड्राई पोर्ट) बनने का रास्ता साफ हुआ है. इसके बनने से  राजस्थान को सीधे अरब सागर से जोड़ा जाएगा. 

262 KM का जलमार्ग-कांडला पोर्ट से सीधा संपर्क

 यह परियोजना न केवल राजस्थान की अर्थव्यवस्था का चेहरा बदल देगी, बल्कि पश्चिमी भारत के व्यापार नक्शे पर सांचौर-जालोर को पहली बार सबसे प्रमुख लोकेशन पर ला खड़ा करेगी. इस परियोजना के तहत कच्छ की खाड़ी से जवाई-लूनी-कच्छ के रण नदी तंत्र को विकसित किया जाएगा. जो कांडला पोर्ट से 262 किलोमीटर लंबा जलमार्ग तैयार होगा. इसी जलमार्ग के किनारे सांचौर में अत्याधुनिक इनलैंड पोर्ट स्थापित होगा. यह पूरा मार्ग नेशनल वाटरवे-48 का हिस्सा होगा, जो राजस्थान को पहली बार समुद्री राज्यों की कतार में खड़ा करेगा.

ड्रेजिंग पर 10,000 करोड़ से अधिक खर्च

एमओयू के अनुसार , जलमार्ग की सुरक्षा को बढ़ाने के लिए बड़े पैमाने पर ड्रेजिंग (समुद्र के तल से गाद, रेत, बजरी और अन्य मलबा हटाने की क्रिया) की जाएगी. इसके बाद गुजरात और राजस्थान के हिस्से में जलमार्ग को लगभग 500 मीटर चौड़ा और 20 मीटर गहरा बनाया जाएगा, परियोजना का सबसे बड़ा खर्च इसी ड्रेजिंग पर है, जिसकी लागत 10,000 करोड़ रुपये से अधिक आंकी गई है. जिसे प्री-फिजिबिलिटी रिपोर्ट वाटर एंड पावर कंसल्टेंसी सर्विसेज (WAPCOS) ने तैयार की है, जिसमें- बारहमासी जल उपलब्धता, भूमि की जरूरत, पर्यावरणीय प्रभाव और संभावित लागत का विस्तृत अध्ययन शामिल है.

अब इस परियोजना की डीपीआर होगी तैयार

राजस्थान को अरब सागर से जोड़ने वाले इस 'इनलैंड पोर्ट' (शुष्क बंदरगाह) परियोजना की अब विस्तृत रिपोर्ट (DPR) तैयार होगी. इसके लिए आईआईटी मद्रास, इनलैंड वाटरवेज अथॉरिटी और राजस्थान जल संसाधन विभाग सहित विशेषज्ञ टीमें जल्द ही जालोर आकर फील्ड स्टडी करेंगी.

 इस पोर्ट के बनने से सांचौर एक बड़ा लॉजिस्टिक्स हब बन जाएगा, जिससे कपड़ा, पत्थर, दालें, और बाजरा जैसे कृषि उत्पाद सीधे समुद्री मार्ग से देश-विदेश भेजे जा सकेंगे.

50 हजार से अधिक रोजगार होंगे पैदा

 WAPCOS की रिपोर्ट के अनुसार, इस पूरे प्रोजेक्ट से 50,000 से अधिक रोजगार पैदा होंगे और लॉजिस्टिक्स, वेयरहाउसिंग तथा औद्योगिक क्लस्टर तेजी से विकसित होंगे. यह भू-आवेष्ठित राजस्थान के लिए एक आर्थिक क्रांति होगी, जो सांचौर-जालोर को उद्योग और निर्यात का नया पावर सेंटर बना देगी.

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