Sapota Cultivation In Bharatpur: किसान पारंपरिक खेती की बजाय बागवानी की ओर अब ज्यादा रुख कर रहे हैं. इसकी मुख्य वजह पारंपरिक फसलों की तुलना में बागवानी खेती कम लागत में दुगना मुनाफा देने के साथ किसान की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने का काम कर रही है. एक ऐसा ही किसान है भरतपुर जिले के गांव बौराज का जगदीश मीणा. जिसने करीब चार साल पहले महाराष्ट्र के औरंगाबाद से 300 के चीकू के पौधे करीब 40 हजार रुपए की कीमत में मंगाए थे. एक एकड़ में चीकू के पौधों की रोपाई के बाद करीब दो साल में अच्छा फल आना शुरू हो गया. चीकू की बागवानी से करीब 5 से 6 लाख रुपए की सालाना कमाई हो रही है.
बागवानी की ओर जा रहे हैं किसान
गांव बौराज निवासी किसान जगदीश मीणा ने बताया की उसके गांव में अधिकांश किसान पारंपरिक खेती के साथ बागवानी भी करते हैं. लेकिन मैं पिछले कई सालों से पारंपरिक खेती ही कर रहा था. गांव के अन्य किसानों को देख मेरे मन में भी बागवानी करने का विचार आया और जानकारी कर करीब 4 साल पहले महाराष्ट्र के औरंगाबाद से चीकू के 300 पौधे 40 हजार रुपए की कीमत में मंगाए थे. चीकू के पौधों की रोपाई एक एकड़ भूमि में की गई और 2 साल के बाद अच्छा फल आने लगा. चीकू की खेती करके साल भर अच्छा मुनाफा ले रहा हूं.
एक पौधे से होता है 130 किलो उत्पादन
किसान ने बताया कि चीकू के पौधों की रोपाई के बाद करीब 10 माह बाद फल आना शुरू हो जाता है. एक चीकू के पेड़ से करीब 130 किलो उत्पादन प्राप्त होता है. एक एकड़ के खेत में लगे 300 पौधों से 20 टन के आसपास उत्पादन होता है. चीकू का बाजार में थोक भाव 40 रुपए प्रति किलो से अधिक है. इस बागवानी से एक साल में 5 से 6 लाख रुपए तक की कमाई आसानी से हो जाती है. उन्होंने अन्य किसानों से भी अपील की है कि पारंपरिक खेती के साथ बागवानी करके किसान अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत कर सकता है.