खलिस्तान के समर्थव में नारा लिखने वाले को जमानत देते हुआ कोर्ट ने कहा- 'जेल में नहीं रख सकते'

कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि ट्रायल लम्बा चलने की संभावना है, ऐसे में इनको लम्बे समय तक जेल में नहीं रखा जा सकता है.

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(प्रतीकात्मक तस्वीर)

Rajasthan News: राजस्थान हाईकोर्ट का एक आदेश चर्चा का विषय बन गया. यह आदेश जस्टिस फरजंद अली ने दिया है. जिसमें उन्होंने हनुमानगढ़ में सार्वजनिक स्थान के एक दीवार पर खालिस्तान जिंदाबाद का नारा लिखने वाले दो आरोपियों को राहत देते हुए जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है. एकलपीठ में आरोपी लवप्रीत सिंह और हरमनप्रीत सिंह की ओर से जमानत याचिका पेश की गई थी. खालिस्तान जिन्दाबाद का नारा लिखने के दोनों आरोपी सिख फॉर जस्टिस के कथित कार्यकर्ता है. 

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि यह समक्ष नहीं आता है कि आरोपियों के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के दंडात्मक प्रावधान कैसे लागू किए गए है.

आरोपियों पर लगाई गई धारा

कोर्ट ने कहा कि आरोपियों के अपराध के बारे में अनुमान लगाने के लिए कोई ठोस परिस्थितियां भी उपलब्ध नहीं है. पुलिस ने मूल रूप से पंजाब के रहने वाले आरोपियों पर आईपीसी की धारा 153-ए (सांप्रदायिक वैमनस्यता को बढ़ावा देना), 153-बी (राष्ट्रीय एकता के लिए हानिकारक आरोप) और 505 (सार्वजनिक उपद्रव फैलाने वाले बयान) और धारा 10 (ए) के तहत मामला दर्ज किया गया था. (गैरकानूनी संघ का सदस्य होने के लिए जुर्माना) और यूएपीए की धारा 13(1)(ए) (गैरकानूनी गतिविधियों के लिए सजा) और आईटी अधिनियम की धारा 66-एफ (साइबर आतंकवाद के लिए सजा).

अधवक्ताओं ने पेश की याचिका

दोनों आरोपियों की ओर से अधिवक्ता अमित गौड़ ने याचिका पेश करते हुए पैरवी की. कोर्ट ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) द्वारा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की अवधारणा पर पुलिस को उचित संयम रखना आवश्यक है. उन्हें लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति संवेदनशील बनाया जाना चाहिए. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि ट्रायल लम्बा चलने की संभावना है, ऐसे में इनको लम्बे समय तक जेल में नही रखा जा सकता है.

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