
Rajasthan High Court on Jhalawar school accident: राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रदेश की जर्जर स्कूलों के मामले में सरकार को सख्त निर्देश दिए हैं. कोर्ट के निर्देश हैं कि काम कागजों में नहीं चाहिए, बल्कि धरातल पर दिखना चाहिए. इसके साथ ही अदालत ने स्कूलों में कराए जा रहे रिपेयरिंग के काम का निरीक्षण स्वतंत्र बॉडी से कराने की मंशा जताई. जस्टिस महेन्द्र गोयल और जस्टिस अशोक कुमार जैन की खंडपीठ ने झालावाड़ स्कूल हादसे मामले में सुनवाई करते हुए यह आदेश दिए. दरअसल, झालावाड़ में स्कूल बिल्डिंग गिरने के बाद हाईकोर्ट ने मामले में स्वतः संज्ञान लिया था और मामला फिलहाल कोर्ट में है. सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता ने शपथ पत्र के जरिए जर्जर स्कूलों की मरम्मत को लेकर अदालत में जानकारी दी. अदालत ने न्यायमित्र सहित सभी पक्षों को नाम सुझाने को कहा है. इसके साथ ही अदालत ने 31 अक्टूबर तक राज्य सरकार को प्रकरण में विस्तृत योजना पेश करने को कहा है.
कोर्ट ने पूछा 5 लाख रुपए में मरम्मत कैसे होगी?
महाधिवक्ता राजेन्द्र प्रसाद ने कहा कि अधिक जर्जर स्कूलों की मरम्मत के लिए 5 लाख रुपए का बजट तय किया गया है. इन स्कूलों में आगामी मार्च महीने तक काम पूरा कर लिया जाएगा. वहीं, अन्य स्कूलों में मरम्मत का काम नवंबर, 2026 तक पूरा कर दिया जाएगा.
इस पर अदालत ने कहा कि पांच लाख रुपए में मरम्मत कैसे होगी, लाखों रुपए तो रंग-सफेदी में ही लग जाते हैं. अदालत ने कहा कि इस रिपोर्ट से ऐसा लग रहा है कि बिना परीक्षण किए सतही तौर पर यह राशि तय की गई है. इस पर महाधिवक्ता ने कहा कि जरूरत पड़ेगी तो और बजट जारी किया जाएगा.
स्वतंत्र एजेंसी से कराई जाए जांच
इसके अलावा स्कूलों के लिए कुल बजट का 11.46 फीसदी बजट स्वीकृत किया गया है. अदालत ने रिपेयरिंग के काम के निरीक्षण का काम स्वतंत्र एजेंसी से कराने की मंशा जताते हुए कहा कि ठेकेदार की गलती से घटनाएं होती हैं. ऐसे में पीडब्ल्यूडी से निरीक्षण कराने के बजाए स्वतंत्र एजेंसी से कराया जाना चाहिए.
31 अक्टूबर तक जांच एजेंसी का नाम सुझाने के निर्देश
अदालत ने महाधिवक्ता को कहा, "आप काम करने की बात कह रहे हैं, लेकिन धरातल पर कुछ दिखाई नहीं दे रहा. आज भी टीन शेड के नीचे स्कूल संचालित हो रही हैं. फिलहाल फोकस सुरक्षा को लेकर है. अदालत मामले की मॉनिटरिंग कर रहा है." एजी ने कोर्ट को बताया कि नवंबर माह में केन्द्र सरकार से भी पैसा जारी होगा. सरकार को रोडमैप पेश करने के लिए समय दिया जाए. इस पर अदालत ने मामले की सुनवाई 31 अक्टूबर को तय करते हुए सभी पक्षों को स्वतंत्र एजेंसी का नाम सुझाने को कहा है.
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