राजस्थान में 100 साल बाद लौटी ‘ज्योणार’ की रियासतकालीन रौनक, एक साथ 50 हजार लोगों ने खाया दाल-बाटी-चूरमा

राजस्थान के जयपुर में ‘ज्योणार’ ने राजा-महाराजाओं की ऐतिहासिक परंपरा को जीवंत किया. जिसमें सांगानेरी गेट पर 50 हजार लोगों ने एक साथ दाल-बाटी-चूरमे खाया. यह सांस्कृतिक विरासत और सामाजिक एकता का शानदार उत्सव था.

विज्ञापन
Read Time: 2 mins
जयपुर में ज्योणार के दौरान खाना खाते हुए लोग.

Rajasthan News: राजस्थान की राजधानी जयपुर में राजा-महाराजाओं की ऐतिहासिक परंपरा ‘ज्योणार' एक बार फिर जीवंत हो उठी. सांगानेरी गेट के पास अग्रवाल कॉलेज ग्राउंड में हुए इस भव्य आयोजन में 50 हजार से ज्यादा लोगों ने एक साथ देसी घी में बनी दाल-बाटी-चूरमे का स्वाद चखा. यह आयोजन न केवल भोजन का उत्सव था, बल्कि जयपुर की सांस्कृतिक विरासत और सामाजिक एकता का शानदार प्रदर्शन भी रहा.

50 हजार लोगों का सामूहिक भोज

‘जयपुर की ज्योणार' में हजारों लोग एक साथ जाजम पर बैठकर भोजन का आनंद लेते नजर आए. भोजन के लिए कूपन सिस्टम रखा गया, जिसे शहर के प्रमुख मंदिरों से पहले ही बांटा गया था. जयपुर नगर निगम हेरिटेज की महापौर कुसुम यादव ने खुद भोजन परोसकर इस परंपरा को और खास बनाया.

उन्होंने कहा कि यह आयोजन सभी वर्गों और समुदायों को एक मंच पर लाने का प्रयास है, ताकि जयपुर की सांस्कृतिक जड़ें मजबूत हों.

500 हलवाइयों ने बनाया खाना  

इस भोज के लिए रसोई में 500 हलवाई और 200 सहायक कर्मचारी दिन-रात जुटे. 12,500 किलो आटा-बेसन, 1,500 किलो दाल, 1,200 किलो मावा, 160 पीपा देसी घी और 1,200 किलो शक्कर का इस्तेमाल हुआ. बारिश से बचाव के लिए तीन विशाल वाटरप्रूफ डोम लगाए गए, जिनमें दो 330×200 फीट और एक 250×50 फीट का था. 1,000 टेबलों पर एक साथ 5,000 लोग बैठकर भोजन कर रहे थे.

Advertisement

आयोजन में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम

आयोजन में जयपुर की लोक कला, हस्तशिल्प और इतिहास की झांकियों ने सभी का मन मोह लिया. नई पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़ने का यह अनूठा प्रयास था. सुरक्षा के लिए 100 पुलिसकर्मी, 100 निजी गार्ड और 500 स्वयंसेवक (300 पुरुष, 200 महिलाएं) तैनात रहे. 

‘ज्योणार' का ऐतिहासिक महत्व

‘ज्योणार' शब्द राजा द्वारा प्रजा को भोजन कराने की परंपरा को दर्शाता है. यह आयोजन अब जयपुर की सांस्कृतिक आत्मा और एकता का प्रतीक बन गया है. यह स्वाद, संस्कृति और इतिहास का अनोखा संगम है, जो हर जयपुरी के दिल को छू गया.

Advertisement

यह भी पढ़ें- Rajasthan Politics: "तेरे जैसा यार कहां", डोटासरा का हाथ थामकर टीकाराम जूली ने गाया गाना