Rajasthan Pollution: झालावाड़ के लिए खतरे की घंटी, हाड़ौती में सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंचा AQI

राजस्थान के बहुत से जिले इस समय प्रदूषण की चपेट में आ गए हैं. जिसमें झालावाड़ जिले में इन दिनों एक्यूआई 262 पहुंच गया है जो कि हाड़ौती इलाके में सबसे अधिक है.

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झालावाड़ जिले में प्रदूषण.

Rajasthan Pollution News: इस समय प्रदूषण के कारण पूरे देश का हाल बेहाल है. जिसके कारण राजस्थान में भी इन दिनों एयर क्वालिटी इंडेक्स को लेकर चर्चा हो रही है. प्रदेश में झुंझुनूं जिले का एयर क्वालिटी इंडेक्स बढ़कर 474 तक जा पहुंचा है. लेकिन सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि झालावाड़ जैसे प्रदूषण मुक्त माने जाने वाले जिलों में भी अब खतरे की घंटी बजने लगी है क्योंकि शुक्रवार को झालावाड़ का एयर क्वालिटी इंडेक्स हाड़ौती में सबसे ज्यादा 262 हो गया.

जबकि कोटा एक्यूआई-240, बारां एक्यूआई-256 और बूंदी का एक्यूआई-234 पर रहा. प्रदेश में ऐसा पहली बार हुआ है जब झालावाड़ का एयर क्वालिटी इंडेक्स बढ़कर इतने ऊंचे स्तर पर पहुंचा हो.

20 सालों में दोगुना हुआ प्रदूषण

वहीं प्रदूषण नियंत्रण मंडल के द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार पहले राजस्थान की राजधानी जयपुर में एक्यूआई 70 से 90 के बीच हुआ करता था. लेकिन अब 150 से 200 तक एक्यूआई होना सामान्य बात हो गई है. जानकारी के लिए आपको बता दें कि भिवाड़ी वर्ष 2021 में दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर रहा था. भिवाड़ी में पूरे साल औसत एक्यूआई 106.2 रहा था. कुल मिलाकर बीते करीब 20 सालों में राजस्थान में प्रदूषण का स्तर बढ़कर दोगुना हो गया है.

झालावाड़ में क्यों बढ़ रहा है एक्यूआई

झालावाड़ जैसे प्राकृतिक रूप से संपन्न जिले में एक्यूआई बढ़ना वास्तव में चिंता का विषय है. यहां ना तो बहुत ज्यादा ट्रैफिक है ना ही बड़े उद्योग धंधे हैं, जिनसे प्रदूषण फैलता है. यहां एक्यूआई बढ़ने की मुख्य वजह यहां के ईंट के भट्टों को माना जाता है. झालावाड़ शहर सहित जिले के विभिन्न भागों में अवैध रूप से बड़ी तादाद में ईंट के भट्टे चल रहे हैं. जिसके चलते यहां लगातार प्रदूषण रहता है और एक्यूआई का स्तर लगातार बढ़ता रहता है.

हालांकि यहां पर थर्मल पावर परियोजना जैसी परियोजनाएं भी है जो दिन रात धुआं उगलती है, लेकिन विशेषज्ञ कहते हैं कि थर्मल में पॉल्यूशन प्लांट बहुत ही उच्च स्तर का लगा हुआ है. जिसके चलते यहां पर ज्यादा फर्क नहीं पड़ता. मुख्य रूप से यहां पर ईंट भट्टे और खेतों में जलाए जाने वाला कचरा ही एक्यूआई बढ़ने का कारण माना जाता है.

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कैसे कम करें प्रदूषण

विशेषज्ञों की राय के अनुसार, हवा और पानी दो बुनियादी जरूरतों के हालात खराब होंगे तो लोगों की सेहत ठीक नहीं रहेगी. इसका एक रास्ता ये है कि हरियाली को बढ़ावा दिया जाए और विकास को पर्यावरण फ्रेंडली बनाया जाए. किसी भी तरह के प्राकृतिक संसाधनों का दोहन न किया जाए. केवल आवश्यक जरूरतों को ही पूरा किया जाये. इसके साथ ही कोयले जलाकर जहर उगलने वाले ईंट भट्टों को बंद किया जाए और उनकी वैकल्पिक व्यवस्था की जाए. इसके बाद लोगों को धुआं करने और खेतों में पराली जलाने से रोका जाए.

क्या होता है नुकसान

चिकित्सकों की राय के अनुसार, वायु प्रदूषण से कई प्रकार के नुकसान होते हैं जिनमें प्रमुख रूप से आंखों में जलन, सांस फूलना, जी घबराना और चक्कर आना और फेफड़ों का संक्रमण शामिल हैं. साथ ही अतिरिक्त वायु प्रदूषण से त्वचा के विकार भी उत्पन्न होते हैं. त्वचा में कई तरह का संक्रमण वायु प्रदूषण की वजह से होते हैं.

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कैसे रखें बचाव

चिकित्सा विशेषज्ञ डॉक्टर रामविलास बताते हैं कि प्रदूषण से बचने के लिए आमजन घर पर ही रहें. बाहर निकले तो मास्क लगाकर निकलें. सांस फूलने, चक्कर आने और आंखों में जलन होने पर अपने नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र पर डॉक्टर को दिखाएं. इसके साथ ही घरों पर गैस चूल्हे का उपयोग करें. हैवी ट्रैफिक और भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों में जहां भवन निर्माण चल रहा हो, वहां जाने से बचें. सुबह जल्दी और देर शाम के समय घर के खिड़की और दरवाजे बन्द रखें. हवा का स्तर अधिक खराब होने पर मार्निंग वॉक और इवनिंग वॉक भी बंद कर दें.

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