Rajasthan Pollution News: देश में इन दिनों सबसे बड़ा मुद्दा पर्यावरण प्रदूषण का है और इसका जिम्मेदार किसानों द्वारा खेतों में जलाई जाने वाली धान की पराली को माना जा रहा है. खेतों में उठता पराली जलने का धुआं ना सिर्फ जिले की बल्कि आस-पास के जिलों की आबो हवा को लगातार खराब कर रहा है. हनुमानगढ़ जिले की बात करें तो देश के सबसे प्रदूषित शहरों (Most Polluted Area) की सूची में इस बार हनुमानगढ़ दूसरे पायदान तक पहुंच गया था. सरकार प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए तरह-तरह के प्रयास कर रही है और पराली जलाने वालों के खिलाफ जुर्माना लगाया जा रहा है.
'कोई किसान नहीं चाहता पराली चलाना'
किसान भगवान सिंह खुड़ी कहते हैं कि पराली प्रबंधन को लेकर सरकार सिर्फ खोखले दावे करती है. सरकार की इच्छा शक्ति ही नहीं है अगर होती तो पराली जलाने से रोकने के लिए किसानों को यंत्र उपलब्ध करवा देतें. वहीं एक अन्य किसान सुरेन्द्र सिंह का कहना है कि सरकार अगर इस दिशा में काम करना चाहती है तो सबसे पहले गौशाला में पशु चारे के अनुदान की जगह पराली देना शुरू करें, जिससे कि सरकार की बचत भी होगी और पराली का उचित प्रबंध हो पाएगा.
किसानों का कहना है कि राजस्थान भी अगर एनजीटी के दायरे में आएगा तो दूसरे राज्यों की तरह यहां के किसानों को भी यंत्रों पर अनुदान मिल सकेगा. कोई किसान नहीं चाहता कि उसकी भूमि बंजर हो वह खुद प्रयास करते हैं की पराली का उचित प्रबंध हो, जिससे कि पर्यावरण भी शुद्ध है और किसानों को भी नुकसान ना हो सरकार को भी फायदा हो.
स्थाई समाधान का प्रयास कर रहा कृषि विभाग
कृषि विभाग के उपनिदेशक का कहना है कि वायु प्रदूषण के लिए पराली ही एकमात्र जिम्मेदार कंटेंट नहीं है. बिगड़ती आबो हवा के लिए बहुत से ऐसे कारण है जिसकी वजह से वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच चुका है. हालांकि जो पराली के प्रबंधन के लिए उपकरण है वो करीब 15 से 18 लाख की लागत के यंत्र हैं. विभाग द्वारा इन कीमतों में सरकार द्वारा अनुदान या किसी अन्य माध्यम से कुछ राहत दिलवाने के लिए राज्य सरकार को लिखा गया है, ताकि कोई स्थाई समाधान निकल सके.
पराली जलाने वाले किसानों पर लगाए गए जुर्माने
हनुमानगढ़ जिला कलेक्टर कानाराम का कहना है कि खेत में पराली ना जलाने को लेकर समय-समय पर किसानों को जागरुक किया जा रहा है, जिससे पराली का सही प्रबंधन किया जाए. साथ ही पराली जलाने वाले किसानों पर जुर्माने भी लगाए गए है. वहीं पराली बायो मास के लिए भी उपयुक्त है जिले में संगरिया क्षेत्र में संचालित प्लांट में बड़ी मात्रा में पराली की खपत भी होती है. इसे बढ़ाने के लिए किसानों को सरकार की योजनाओं के माध्यम के उपकरण उपलब्ध करवाने के भी प्रयास किए जाएंगे.
हालांकि उपकरणों की कीमत जो बात है उसके लिए उन्होंने भी राज्य सरकार को पत्र लिख कर अवगत करवाया गया है. वहीं किसान सेवा केंद्र पर ज्यादा राशि की मशीन होने के चलते उपलब्ध नहीं किया जा सकता. लेकिन इसके लिए प्रयास किए जाएंगे ताकि पराली का और बेहतर प्रबंधन हो सके.
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