पति-पत्नी के तलाक पर दुबई कोर्ट का फैसला भारत में नहीं होगा लागू, पति की याचिका पर हाई कोर्ट फिर करेगा सुनवाई

राजस्थान के जोधपुर हाईकोर्ट ने दुबई कोर्ट की तलाक डिक्री को उदयपुर में लागू करने को मना कर दिया है. वहीं इस मामले में पति की याचिका पर फिर से सुनवाई करने का आदेश दिया. 

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
राजस्थान हाईकोर्ट जोधपुर.

Rajasthan News: राजस्थान के जोधपुर से एक अनोखा मामला सामने आया है. जहां एक भारतीय दंपती के बीच दुबई में हुए पारिवारिक विवाद और तलाक के मामले में जोधपुर हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला लिया है. दुबई कोर्ट की डिक्री को उदयपुर के पारिवारिक न्यायालय में लागू करने की कोशिश को पति ने हाईकोर्ट में चुनौती दी. हाईकोर्ट ने पति की याचिका स्वीकार करते हुए उदयपुर कोर्ट के फैसले को गलत ठहराया. यह मामला कानूनी और सामाजिक दोनों दृष्टि से चर्चा में है.

दुबई में शुरू हुआ विवाद

भोपाल की एक महिला और उदयपुर के पुरुष की शादी के बाद दोनों दुबई में रहने लगे. कुछ समय बाद उनके बीच पारिवारिक झगड़े शुरू हो गए जो तलाक तक पहुंच गए.

Advertisement

पत्नी ने दुबई कोर्ट में तलाक और भरण-पोषण के लिए मुकदमा दायर किया. 2019 में दुबई कोर्ट ने पत्नी के पक्ष में डिक्री जारी की. इस डिक्री को लागू करने के लिए पत्नी ने उदयपुर के पारिवारिक न्यायालय में याचिका दायर की.

Advertisement

पति ने किया विरोध

पति ने इस डिक्री को लागू करने का विरोध किया. उन्होंने उदयपुर कोर्ट में दो याचिकाएं दायर कीं. पहली याचिका में कहा गया कि दुबई कोर्ट की डिक्री भारत के कानून (सीपीसी की धारा 13) के तहत मान्य नहीं है. दूसरी याचिका में तर्क दिया गया कि भारत और यूएई के बीच 2020 में पारस्परिक कानूनी व्यवस्था लागू हुई थी जो 2019 की डिक्री पर लागू नहीं होती. हालांकि उदयपुर कोर्ट ने दोनों याचिकाएं खारिज कर दीं.

Advertisement

हाईकोर्ट में पहुंचा मामला

पति ने उदयपुर कोर्ट के फैसले के खिलाफ जोधपुर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. पति का कहना था कि उदयपुर कोर्ट का फैसला गलत है और दुबई की डिक्री को भारत में लागू नहीं किया जा सकता. पत्नी की ओर से दलील दी गई कि उदयपुर कोर्ट का आदेश डिक्री के समान है जिसके खिलाफ अपील हो सकती है. इसलिए रिट याचिका मान्य नहीं है.

हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला

जस्टिस मुन्नुरी लक्ष्मण ने मामले की गहन सुनवाई की. उन्होंने सीपीसी की धारा 47 और आदेश XXI के नियम 58, 97, 99 का अध्ययन किया. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि उदयपुर कोर्ट का आदेश डिक्री के समान नहीं है और यह अपील योग्य भी नहीं है. इसलिए पति की रिट याचिका संविधान के अनुच्छेद 226 और 227 के तहत सुनवाई योग्य है. हाईकोर्ट ने पत्नी की आपत्तियों को खारिज करते हुए मामले को आगे सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का आदेश दिया.

यह भी पढ़ें- जयपुर एयरपोर्ट पर एयर इंडिया की एक फ्लाइट को बम से उड़ाने की धमकी, CISF ने चलाया सर्च ऑपरेशन