Rajasthan weather News: राजस्थान में लगातार बारिश हो रही है. जिससे प्रदेश में हालात बहुत खराब है. सोमवार को हुई बारिश ने राजधानी जयपुर में एक बार फिर शहर की जलनिकासी व्यवस्था की कमजोरी उजागर कर दी. कुछ घंटों की बारिश ने शहर को पानी-पानी कर दिया. सड़कों पर घुटनों तक पानी जमा हो गया जिससे लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा. खासकर जयपुर एयरपोर्ट के बाहर हालात इतने खराब थे कि यात्रियों को आने-जाने में मुश्किल हुई.
प्रदेश के कई जिलों में बारिश दर्ज
मौसम विभाग के अनुसार, जयपुर में सुबह साढ़े आठ से शाम साढ़े पांच बजे तक 46.4 मिलीमीटर (मिमी), झुंझुनू में 22.0 मिमी, दौसा में 13 मिमी, कोटा में 10.5 मिमी, अलवर में 4.2 मिमी, बीकानेर में 3.2 मिमी, सीकर में 3.0 मिमी बारिश हुई. इसके अलावा भी गंगानगर, वनस्थली, दौसा में अनेक जगह बारिश दर्ज की गई.
27 जून पूर्वी राजस्थान में भारी बारिश
मौसम केंद्र के अनुसार 24 जून को कोटा, भरतपुर और जयपुर संभागों में कहीं-कहीं भारी या भारी बारिश हो सकती है. वहीं पश्चिमी राजस्थान के बीकानेर संभाग के कुछ भागों में 25-27 जून के दौरान आंधी और बारिश की गतिविधियां बढ़ने की संभावना है. इसके अनुसार, बंगाल की खाड़ी में आगामी दिनों में एक नया मौसमी तंत्र बनने के कारण पूर्वी राजस्थान में 27 जून से फिर भारी बारिश होगी.
एयरपोर्ट पर बारिश के बाद भरा पानी.
एयरपोर्ट पर घुटनों तक पानी
जयपुर एयरपोर्ट के मुख्य प्रवेश द्वार के पास बारिश का पानी जमा हो गया. घुटनों तक भरे पानी ने वाहनों की आवाजाही रोक दी. यात्री सामान लेकर पानी में उतरने को मजबूर हुए. स्थानीय लोगों ने बताया कि हर साल मानसून में यहाँ यही हाल होता है. कई बार शिकायत करने के बावजूद जलनिकासी का स्थायी समाधान नहीं हुआ. जिम्मेदार विभाग सिर्फ अस्थायी इंतजाम कर चुप बैठ जाते हैं.
शहर की सड़कों पर भी बुरा हाल
एयरपोर्ट के अलावा शहर के अन्य इलाकों में भी बारिश ने कहर बरपाया. आगरा रोड पर लुनियावास बस स्टैंड के पास सड़कें तालाब बन गईं. कई घंटों तक पानी जमा रहा जिससे वाहन फंस गए. लोगों को जाम और कीचड़ से जूझना पड़ा. राहगीरों ने बताया कि पैदल चलना भी मुश्किल हो गया. दुकानदारों का कहना है कि पानी की निकासी के लिए नालों की सफाई समय पर नहीं होती.
खर्च होते हैं करोड़ों, फिर भी नहीं समाधान
स्थानीय निवासियों का गुस्सा साफ झलक रहा है. उनका कहना है कि सरकार हर साल जलनिकासी के लिए करोड़ों रुपये खर्च करती है लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकलता. नालों में कचरा जमा रहता है और सड़कों का ढलान सही नहीं होने से पानी रुक जाता है. लोग अब स्थायी समाधान की मांग कर रहे हैं.
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