Bharatpur MP Sanjana Jatav: राजस्थान की सबसे कम उम्र की सांसद संजना जाटव (Sanjana Jatav) ने मंगलवार को लोकसभा सदस्य (Lok Sabha Member) की शपथ ली. संजना जाटव के शपथ ग्रहण के कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं. जिसमें कहा जा रहा है कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश की सबसे बड़ी पंचायत में सबसे कम उम्र की सदस्य ने शपथ ली. शपथ ग्रहण के दौरान भी संजना जाटव अपने चिर-परिचित अंदाज में साड़ी पहने, सिर पर पल्लू ढके नजर आईं. इन तस्वीरों और वीडियो में संस्कारी भारतीय नारी की झलक नजर आती है. संजना के शपथ ग्रहण के दौरान उनके परिवार की महिलाएं और उनके पति दिल्ली में ही मौजूद थे. जो संजना की सफलता से खासे खुश नजर आए. संजना के पति कप्तान सिंह राजस्थान पुलिस(Rajasthan Police) में कांस्टेबल (Constable) के पद पर कार्यरत हैं. पत्नी के शपथ ग्रहण के लिए उन्होंने ड्यूटी से छुट्टी ली थी.
मैंने कभी नहीं सोचा था कि मेरी पत्नी सांसद होगीः कप्तान सिंह
संजना के पति कप्तान सिंह ने कहा, "मैंने कभी नहीं सोचा था कि मेरी पत्नी भरतपुर की सांसद होगी. मुझे मेरी पत्नी पर गर्व है. जब भी मैं अपने साथी पुलिसकर्मियों से मिलता हूं तो लोग मुझे भी सांसद साहब कहकर बुलाते हैं, उस समय मेरा सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है."
संजना ने मात्र 3 साल में राजनीति में लंबा सफर तय किया
सामान्य परिवार से ताल्लुक रखने वाली पुलिस कांस्टेबल की पत्नी संजना जाटव (Sanjana Jatav Political Carrier) का सांसद बनने का सफर अपने आप में बेहद रोचक है. दलित समुदाय से ताल्लुक रखने वाली संजना जाटव ने राजनीति में कदम रखने के बाद मात्र तीन साल में ही काफी लंबा सफर तय कर लिया है. संजना जाटव की शादी 2016 में अलवर जिले की कठूमर विधानसभा क्षेत्र के गांव समूची निवासी कप्तान सिंह से हुई थी. कप्तान सिंह राजस्थान पुलिस में कांस्टेबल के पद पर अलवर के थानागाजी थाने पर कार्यरत हैं.
पति ने बताया कैसे राजनीति में आई संजना जाटव
भरतपुर सांसद संजना जाटव के पति कप्तान सिंह ने बताया, उनके ताऊ कमल सिंह सरपंच थे. उनका पद 2019 में समाप्त होने वाला था. लेकिन परिवार की शान-शौकत को देखते हुए एक राजनीतिक पद का घर में रहना जरूरी था. 2021 में जिला परिषद सदस्य के चुनाव होने थे. अलवर जिला परिषद का वार्ड नंबर 29 सीट महिला के लिए रिजर्व थी. परिवार के सामने चुनौती थी कि किसी महिला को राजनीति में लाकर चुनाव लड़ाया जाए. उसी समय परिवार के सभी सदस्यों ने संजना के पढ़ी-लिखी होने के कारण उन्हें चुनाव लड़ाने का फैसला लिया. संजना 2021 में अलवर के वार्ड नंबर 29 से चुनाव लड़ी और जीती.
कप्तान सिंह ने बताया कि जिला परिषद् सदस्य के चुनाव में मिली जीत बाद मैंने कभी नहीं सोचा था कि मेरी पत्नी को कठूमर विधानसभा क्षेत्र से विधायक का टिकट मिलेगा. लेकिन 2023 में कांग्रेस ने संजना को विधानसभा का टिकट दे दिया. हालांकि संजना मात्र 409 वोट से विधानसभा का चुनाव हार गई.
विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद लोकसभा में रचा इतिहास
विधानसभा चुनाव परिणाम के कुछ समय बाद संजना जाटव के पिता को अचानक दिल का दौरा पड़ा और उनकी मौत हो गई. परिवार का मानना है कि यह चुनावी हार की निराशा थी. लेकिन ऊपरवाले को कुछ और ही मंजूर था. विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद भी कांग्रेस ने संजना जाटव को भरतपुर लोकसभा सीट का टिकट दिया. मात्र तीन साल के राजनीतिक अनुभव के बाद भी संजना ने दिल से चुनाव लड़ा. चुनाव प्रचार के दौरान उनके कई वीडियो सामने आए, जिसमें वो महिलाओं के साथ खेत में गेंहू काटती तक नजर आई. जब 4 जून को वोटों की गिनती हुई तो संजना जाटव ने इतिहास रच दिया. वह भरतपुर से 52,000 वोटों से जीतीं. साथ ही राजस्थान की सबसे कम की सांसद बनने का रिकॉर्ड भी बनाया.
संजना की सियासी सफलता की पति ने बताई वजहें
संजना के पति कप्तान सिंह ने पत्नी को सियासी सफलता मिलने के पीछे की जो वजह बताई उसके अनुसार संजना की इस सफलता में उनके व्यक्तिगत संबंध काफी काम आए. उनका कहना था कि वह खुद मध्यम वर्गीय परिवार से है. उनके संपर्क भी मध्यम वर्गीय लोगों से ज्यादा है. विधानसभा का चुनाव लड़ने का कोई मन नहीं था लेकिन कुछ ऐसी परिस्थितियां सामने आई कि उनके सगे-संबंधियों और परिचित लोगों की बदौलत पत्नी संजना जाटव को कांग्रेस पार्टी ने कठूमर विधानसभा क्षेत्र से टिकट दिया.
कप्तान सिंह ने आगे बताया कि उनका परिवार शुरू से ही कांग्रेस से जुड़ा है. परिवार की पृष्ठभूमि एवं व्यवहार अच्छा होने के चलते विधानसभा चुनाव संजना जाटव 409 वोटों से हारी थी लेकिन उसके बाद कांग्रेस पार्टी ने उन पर भरोसा जताया और भरतपुर लोकसभा क्षेत्र से उम्मीदवार बनाया. जनता और लोगों के आशीर्वाद से वह भरतपुर लोकसभा क्षेत्र से निर्वाचित हुई और अब उन्हें अपनी पत्नी पर गर्व है साथी उन्हें अच्छा महसूस होता है।
मैंने कभी संजना को हिम्मत नहीं हारने दियाः कप्तान सिंह
उन्होंने कहा कि संजना जाटव को राजनीति में लाने का श्रेय परिवार के सदस्यों के साथ मेरा भी है. जब संजना लोकसभा चुनाव के प्रचार के समय थक जाती थी तो मैं उनका मनोबल और हिम्मत बढ़ात था. उन्हें किस तरह से लोगों के सामने भाषण देना है और लोगों से बातचीत करनी है उन्हें बीच-बीच में बताता रहता था. कभी भी मैंने उन्हें हिम्मत नहीं हारने दी. उनके स्वास्थ्य को लेकर के भी उन्हें सतर्क करता रहता था.
संजना बोलीं- मेरा परिवार और खासकर मेरे पति मेरी ढाल
संजना ने शादी के बाद बीए और एलएलबी की डिग्री हासिल की. उनके दो बच्चे हैं, एक छह साल का बेटा और एक चार साल की बेटी. अपने सियासी करियर पर संजना जाटव ने कहा, "मेरा परिवार, खास तौर पर मेरे पति, मेरा सबसे बड़ा सहारा और मेरी ढाल रहे हैं." संजना ने कहा कि वह भरतपुर के स्थानीय मुद्दों जैसे पानी की कमी, स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करना चाहती हैं. महिलाओं में ऐसे कौशल विकसित करना चाहती हूं कि जिससे वे घर से काम करते हुए कमाई कर सकें.
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