'आरक्षण देना मतलब मूर्खों को बढ़ावा देना है', राजीव गांधी का नाम लेकर राजेंद्र राठौड़ ने क्यों कही ये बात, गरमाई राजनीति

राजस्थान के पूर्व कैबिनेट मंत्री राजेंद्र राठौड़ के बयान से प्रदेश की राजनीतिक सियासत गरमा गई है, क्योंकि उन्होंने दौसा जिले की एक प्रेस वार्ता में कांग्रेस के पूर्व दिग्गज नेता राजीव गांव पर विवादित बयान दिया है.

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पूर्व कैबिनेट मंत्री राजेंद्र राठौड़.

Rajasthan Politics: राजस्थान के दौसा जिले में संविधान गौरव अभियान के तहत प्रेस वार्ता का आयोजन हुआ. जिसमें पूर्व कैबिनेट मंत्री राजेंद्र राठौड़ के बयान से प्रदेश की राजनीतिक सियासत गरमा गई है. इस प्रेस वार्ता में मंत्री ने कहा कि राजीव गांधी ने मंडल आयोग की सिफारिशों का विरोध किया और आरक्षण के खिलाफ प्रचार किया था.

1985 में राजीव गांधी ने एक विवादित बयान दिया, जिसमें उन्होंने अनुसूचित जाति के आरक्षण को "मूर्खों को प्रोत्साहन देने" जैसा बताया. यह कांग्रेस की दलितों और पिछड़े वर्गों के प्रति नफरत को दर्शाता है. साथ ही उन्होंने दलितों और आदिवासियों के लिए आरक्षण खत्म करने का समर्थन करते हुए विज्ञापन भी प्रकाशित किए.

'महिलाओं को विधानसभाओं में दिया 33% आरक्षण'

भाजपा सरकार ने 2016 में अनुसूचित जाति/जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम में संशोधन किया, जिससे अनुसूचित जाति और जनजाति के पीड़ितों के लिए आर्थिक मदद को बढ़ाया गया. राजेंद्र राठौड़ नेता प्रतिपक्ष ने बताया कि भाजपा ने अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए आरक्षण को 10 वर्षों के लिए बढ़ाया. इसके अलावा, आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (EWS) के लिए 10% आरक्षण लागू किया और ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया.

राजेंद्र राठौड़ आगे बोले कि भाजपा ने 'नारी शक्ति वंदन अधिनियम' के माध्यम से महिलाओं को लोकसभा और विधानसभाओं में 33% आरक्षण प्रदान किया. इस कदम से महिलाओं के सामाजिक और राजनीतिक सशक्तिकरण को बढ़ावा मिला. उधर भाजपा ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाकर वहाँ के नागरिकों को समान अधिकार प्रदान किए. यह बाबासाहेब के दृष्टिकोण के अनुरूप था, जिसमें उन्होंने जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे का विरोध किया था.

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'आरक्षण की सिफारिश को नेहरू सरकार ने किया खारिज'

राठौड़ ने कहा कि काका कालेलकर आयोग ने पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण की सिफारिश की थी, लेकिन नेहरू सरकार ने इसे खारिज कर दिया था, जिससे साफ हो गया था कि सामाजिक असमानता को सुधारने में कांग्रेस की कोई मंशा नहीं थी. नेहरू ने मुख्यमंत्रियों को लिखे एक पत्र में आरक्षण का विरोध किया और इसे प्रशासनिक अक्षमता का कारण बताया.

नेहरु का ये रवैया हाशिए पर खड़े समुदायों के प्रति कांग्रेस की नफरत को उजागर करता है.राजेंद्र राठौड़ पूर्व नेता प्रतिपक्ष ने बताया कि इंदिरा गांधी ने मंडल आयोग की रिपोर्ट को लागू करने में जानबूझकर देरी की, जिससे अन्य पिछड़े वर्गों (ओबीसी) को लंबे समय तक आरक्षण का लाभ नहीं मिल सका.

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'अनुच्छेद 356 का 88 बार हुआ दुरुपयोग'

वहीं कांग्रेस ने अनुच्छेद 356 का 88 बार दुरुपयोग करके राज्य सरकारों को बर्खास्त किया, जिससे भारत की संघीय संरचना कमजोर हुई और केंद्र सरकार में सत्ता का केंद्रीकरण हुआ. जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 लागू करने के मामले में भी कांग्रेस ने डॉ. अंबेडकर की चेतावनियों को नजरअंदाज किया.

इस अनुच्छेद ने असमानता और अलगाववाद को बढ़ावा दिया. राठौड़ ने आगे कहा कि आपातकाल के दौरान, कांग्रेस ने 42वां संविधान संशोधन पारित किया, जिससे भारतीय संविधान की आत्मा पर प्रहार हुआ. इस संशोधन ने मौलिक अधिकारों को सीमित कर दिया, न्यायपालिका की स्वतंत्रता को कमजोर किया और कार्यपालिका में सत्ता का केंद्रीकरण किया. यह भारतीय लोकतंत्र के इतिहास का एक काला अध्याय बन गया.

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