Rajasthan News: राजस्थान सरकार के नशा मुक्ति अभियान के तरह प्रशासन ने श्रीगंगानगर जिले में एक बड़े घोटाले का पर्दाफाश किया है. जिसमें पंजाब बॉर्डर के करीब सादुलशहर में एक केंद्र चल रहा था जो बाहर से मैडिटेशन सेंटर लगता था लेकिन अंदर नशे की लत छुड़ाने का काम हो रहा था. यह सब बिना किसी सरकारी अनुमति के हो रहा था. जिस पर जिला प्रशासन की टीम ने सोमवार को छापा मारा और सब कुछ उजागर हो गया. अब केंद्र को बंद करने की कार्रवाई शुरू हो चुकी है.
जिला कलक्टर के आदेश पर संयुक्त छापेमारी
जिला कलक्टर डॉक्टर मंजू ने सख्त निर्देश दिए थे कि नशा मुक्ति अभियान में कोई ढिलाई नहीं बरती जाएगी. इसी के तहत समाज कल्याण विभाग एसडीएम तहसीलदार पुलिस और ब्लॉक चीफ मेडिकल ऑफिसर की टीम ने मिलकर कार्रवाई की. वे पंजाब सीमा के पास पहुंचे और केंद्र में घुसे. बाहर बोर्ड पर मैडिटेशन सेंटर लिखा था लेकिन अंदर का नजारा चौंकाने वाला था. केंद्र बिना लाइसेंस के चल रहा था.
समाज कल्याण विभाग के डिप्टी डायरेक्टर वीरेंद्र पाल सिंह ने बताया कि यहां नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही थीं. जिसमें न तो कोई प्रशिक्षित कर्मचारी थे और न ही कोई डॉक्टर मौजूद था. टीम ने सारे रिकॉर्ड जब्त कर लिए और केंद्र को सील करने की प्रक्रिया शुरू कर दी.
120 से अधिक मरीजों की दयनीय हालत
छापे के दौरान टीम को केंद्र में 120 से ज्यादा लोग मिले जो नशे की लत छुड़ाने के लिए भर्ती थे. लेकिन सुविधाओं का नामोनिशान नहीं था. ब्लॉक सीएमएचओ डॉक्टर लक्ष्य सिंह ने खुलासा किया कि ज्यादातर मरीज स्कैबीज नाम की त्वचा की बीमारी से पीड़ित थे.
शौचालय बहुत कम थे दवाएं नहीं मिलीं और अन्य जरूरी चीजें भी गायब थीं. ऐसे में मरीजों की सेहत खतरे में थी. अधिकारियों ने तुरंत फैसला लिया कि बीमार लोगों को सरकारी अस्पताल में भेजा जाएगा. तहसीलदार रजनी चौधरी ने कहा कि सभी मरीजों के परिवार वालों को सूचना दी जा रही है ताकि वे उन्हें सुरक्षित घर ले जा सकें.
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