Rajasthan Paper Leak: ग्रेड 2 टीचर पेपर लीक के 8 आरोपियों को राजस्थान हाईकोर्ट से झटका, जमानत याचिका खारिज

हाईकोर्ट ने आरोपियों के दूसरे जमानत आवेदन को खारिज करते हुए राहत देने इनकार कर दिया. साथ ही हाईकोर्ट की तरफ से ट्रायल कोर्ट को आवश्यक निर्देश दिए गए हैं.

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Rajasthan Senior Teache Paper Leak:  राजस्थान हाईकोर्ट की जोधपुर खंडपीठ ने वरिष्ठ अध्यापक प्रतियोगिता परीक्षा 2022 के पेपर लीक केस के 8 आरोपियों की जमानत याचिका फिर खारिज कर दिया है. हाईकोर्ट के जस्टिस फरजंद अली की बेंच ने आरोपियों की ओर से पेश दूसरे जमानत आवेदन को खारिज किया है. हाईकोर्ट में आरोपी पुखराज समेत अन्य आरोपियों की ओर से  दूसरा जमानत आवेदन पेश किया गया था. कोर्ट ने लंबी सुनवाई के बाद सभी याचिकाए खारिज करते हुए ट्रायल कोर्ट को आवश्यक निर्देश दिए. 

पेपर लीक में ये आरोपी हुए थे गिरफ्तार

एसओजी की टीम ने वरिष्ठ अध्यापक, द्वितीय श्रेणी (माध्यमिक शिक्षा) प्रतियोगी परीक्षा 2022 के पेपर लीक गिरोह का खुलासा किया करते हुए आरोपियों को गिरफ्तार किया था. गिरफ्तार किए गए आरोपियों में पुखराज, राजीव कुमार, गमाराम खिलेरी, रामगोपाल, अनिता कुमारी मीणा, गोपालसिंह, विजयराज और राजीव बिश्नोई शामिल हैं. पेपर लीक का मामला पुलिस थाना बेकरिया जिला उदयपुर से जुड़ा हुआ है. 

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अब हाईकोर्ट ने आरोपियों के दूसरे जमानत आवेदन को खारिज करते हुए राहत देने इनकार कर दिया. इसके साथ ही ट्रायल कोर्ट को आवश्यक निर्देश दिए गए हैं, जिसमें ट्रायल कोर्ट निर्धारित समय सीमा के भीतर ट्रायल को समाप्त करने के लिए सभी संभव प्रयास करेगा. यह सुनिश्चित करते हुए कि न्यायिक नियंत्रण से परे कारणों को छोड़कर, कोई भी अनुचित स्थगन न दिया जाए. 

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जल्द साक्ष्य प्रस्तुत करने के निर्देश

जांच एजेंसी आवश्यक साक्ष्य शीघ्रता से पेश करने और अनावश्यक देरी के बिना जांच के लिए गवाहों की उपस्थिति सुनिश्चित करने में सतर्क रहेगी. अभियुक्त व्यक्तियों को अपना बचाव करने के लिए सभी उचित अवसर प्रदान किए जाएंगे, हालांकि उन्हें प्रक्रियात्मक आवश्यकताओं की आड़ में कार्रवाई को अनावश्यक रूप से लंबा खींचने की अनुमति नहीं दी जाएगी. अभियोजन पक्ष कार्रवाई को समय पर पूरा करने में ट्रायल कोर्ट को पूर्ण सहयोग देगा, जिससे निष्पक्ष सुनवाई और त्वरित न्याय के सिद्धांतों को कायम रखा जा सके.

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हाईकोर्ट ने कहा कि निर्देश न्याय के हित में और इस मौलिक सिद्धांत को कायम रखने के लिए जारी किए गए हैं कि स्वतंत्रता का अधिकार पवित्र है, लेकिन इसका प्रयोग आपराधिक कार्यवाही के निष्पक्ष और शीघ्र निपटान के लिए हानिकारक तरीके से नहीं किया जा सकता है.

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