
Barmer News: राजस्थान के बाड़मेर में भूमाफियाओं का इस कदर आतंक है कि वे सरकारी जमीन को भी कौड़ियों के भाव में अवैध रूप से बेच रहे हैं. इन माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई करने से जिम्मेदार अधिकारी बच रहे हैं. जिला कलेक्टर के नाम पर दर्ज सरकारी कार्यालयों के लिए आरक्षित जमीनों को भी इन भूमाफियाओं ने नहीं बख्सा. उस पर अवैध कॉलोनी काट दी और उसे बेच दिया. इस मामले पर प्रशासन का कहना है कि हमने जांच कमेटी बनाई है, अतिक्रमण चिन्हित किए जा रहे हैं. जिला कलेक्टर टीना डाबी ने कुछ दिन पहले आयुक्त नगर परिषद वन विभाग और रिवेन्यू विभाग के अधिकारियों की एक कमेटी बनाकर अतिक्रमणों को चिन्हित कर हटाने के निर्देश लिए थे.
पुलिस फायरिंग के नाम आवंटित जमीन पर भी कब्जा
शहर के अहमदाबाद सांचौर हाईवे पर स्थित खसरा नंबर 1633 राजस्थान पुलिस की फायरिंग के नाम आवंटित है, लेकिन यह जमीन भी अतिक्रमण से अछूती नहीं है. माफियाओं ने इस पर कब्जा कर नगर परिषद से फर्जी पट्टे तक बनवा लिए. जब नगर परिषद और पुलिस विभाग को इसकी जानकारी लगी तो पट्टे तो खारिज कर दिए गए, लेकिन अभी तक फर्जी पट्टे जारी करने वाले भूमाफियाओं पर कोई कार्रवाई तो दूर FIR तक दर्ज नहीं हुई. पुलिस को अपनी जमीन बचाने के लिए सूचना बोर्ड लगाने पड़े और पुलिसकर्मियों की नियमित गस्त भी करवानी पड़ रही है.
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सरकारी कार्यालय की जमीन को कौड़ियों के भाव बेचा
रोहिडा पाड़ा स्थित खसरा नंबर 1606 में 31.5 बीघा जमीन जिला प्रशासन के कार्यालयों के आरक्षित है. यह जमीन जिला कलेक्टर के नाम दर्ज हैं, लेकिन भूमाफियाओं ने इस जमीन पर कॉलोनी डेवलप कर कौड़ियों के भाव प्लाट बेच दिए और धीरे-धीरे इस जमीन पर लोग काबिज हो रहे हैं. नगर परिषद ने पिछले साल कार्रवाई की औपचारिकता करते हुए कुछ कच्चे और अस्थाई अतिक्रमण हटाएं थे, लेकिन दूसरे दिन भूमाफिया उसी जगह फिर से काबिज हो गए.
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स्कूल की जमीन पर प्लाट बनाकर बेचा
बाड़मेर शहर के नाथू सिंह का बंधा के पास पाकिस्तान से विस्थापित होकर भारत में निवास कर रहे शरणार्थियों के लिए साल 2016-17 में जिला कलेक्टर द्वारा खसरा नंबर 1610 में करीब 5 बीघा जमीन सरकारी स्कूल के लिए आवंटित हुई थी, लेकिन मौके पर भूमाफियों ने स्कूल की जमीन तक को नहीं बख्शा और प्लाट बेचकर लोगों को बसा दिया. ऐसे में राजकीय प्राथमिक स्कूल शरणार्थियों की बस्ती एक सामुदायिक सभा भवन में संचालित हो रहा है. कई बार शिक्षा विभाग भी इस जमीन को अतिक्रमण से मुक्त करवाने की मांग कर चुका है, लेकिन ऐसा नहीं सका.
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इसके अलावा शहर के गडरा रोड पर स्थित मोडली डूंगरी पहाड़ पूर्व में वन विभाग के पास था, लेकिन कॉलोनी बसाने के चलते यह जमीन नगर परिषद को दी गई थी. वर्तमान में इस पहाड़ को धीरे-धीरे दीमक की तरह भूमाफिया कुरेदने का काम कर रहे हैं. चोरी चुपके घरों के पीछे से पहाड़ों को काटा जाता है और इस पर मकान दुकान बनाए जा रहे हैं.
कलेक्टर के आदेश का भी कोई असर नहीं
अतिक्रमण की शिकायतों के बाद जिला कलेक्टर टीना डाबी ने कुछ दिन पहले आयुक्त नगर परिषद, वन विभाग और रेवेन्यू विभाग के अधिकारियों की एक कमेटी बनाकर अतिक्रमणों को चिन्हित कर हटाने के निर्देश लिए थे, लेकिन वह आदेश भी हवा हवाई होते हुए दिखाई दे रहे हैं. मंत्री जोराराम कुमावत से जब भू माफियाओं द्वारा सरकारी जमीन बेच खाने का सवाल पूछा गया तो वे गोलमाल जवाब देते दिखे. उन्होंने कहा कि कोई गांव या शहर बसा है तो वह सरकारी जमीनों पर ही कब्जे हुए हैं. ऐसे में जो लोग बस गए हैं, उन्हें नियमित करने का प्रावधान नियमों में है.