Adhai Din Ka Jhonpra Row: अजमेर में स्थित 800 साल पुराने अढाई दिन के झोपड़े पर किसका हक होना चाहिए... इसे लेकर फिर से एक बहस छिड़ गई है. इसे लंबे समय से मस्जिद माना जाता रहा है. लेकिन पिछले साल जयपुर के भाजपा सांसद रामचरण बोहरा ने इसे संस्कृत महाविद्यालय बताया था. सांसद बोहरा ने आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया से इसके जांच के लिए पत्र भी लिखा था. लेकिन बाद में यह बात दब गई थी. लेकिन बीते दिनों जैन संतों ने यहां का निरीक्षण कर यहां पहले संस्कृत स्कूल और जैन मंदिर होने का दावा किया था. इस दावे पर प्रतिक्रिया देते हुए अजमेर दरगाह में खादिमों की संस्था अंजुमन के सचिव सैयद सरवर चिश्ती ने जैन संतों को "बिना कपड़ो के" कहा था. इस मामले में अब राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी का बड़ा बयान सामने आया है.
दरअसल मंगलवार को बड़ी संख्या में जैन भिक्षु अमजेर स्थित अढ़ाई दिन का झोपड़ा पर पहुंचे थे. यहीं पर इस स्मारक के पहले संस्कृत स्कूल होने की बात कही गई. साथ ही दावा किया गया कि स्कूल से पहले यहीं पर जैन मंदिर था. इससे पहले जैन मुनि सुनील सागर महाराज के नेतृत्व में ये भिक्षु अजमेर के फवारा सर्किल से दरगाह बाजार होते हुए स्मारक पहुंचे. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के नियंत्रण वाले इस स्मारक ‘अढ़ाई दिन का झोपड़ा' को लेकर इस दावे और जैन भिक्षुओं के भ्रमण से अजमेर शहर में चर्चाओं का दौर शुरू हो गया.
अढाई दिन का झोपड़ा का सच जानने के लिए ASI को लिखा जाएगा पत्र
विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने अजमेर दरगाह में खादिमों की संस्था अंजुमन के सचिव सैयद सरवर चिश्ती के जैन संतों पर दिए गए बयान की निंदा की है. देवनानी ने कहा कि ‘‘सरवर चिश्ती ने जैन संतों के शरीर पर टिप्पणी कर भारतीय सनातन संस्कृति का अपमान किया है. उन्हें सनातन संस्कृति से माफी मांगनी चाहिए.'' देवनानी ने कहा कि अढाई दिन का झोंपड़ा की सच्चाई जानने के लिए आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) को पत्र लिखा जाएगा.
'जैन समाज और सनातन संस्कृति का अपमान किया'
विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने बयान जारी कर कहा सचिव सरवर चिश्ती ने जैन संतों को ‘‘बिना कपड़ों के'' कहा है. भारतीय सनातन संस्कृति में तप और तपस्वियों का सर्वोच्च स्थान है. जैन संत जीवनभर वस्त्रहीन रह कर समाज को अपरिग्रह और तपस्यापूर्ण जीवन का संदेश देते हैं. उनका शुद्ध आचरण समाज में शुद्धता और शुचिता का प्रतीक है. जैन संतों ने सदैव अहिंसा पर बल दिया है. समाज में शांति और सदाचार की बात कही है. ऐसे जैन संतों के खिलाफ अंजुमन सचिव सैयद सरवर चिश्ती का बयान बेहद घृणित, दुर्भाग्यपूर्ण और उनकी विकृत मानसिकता का परिचायक है. उन्होंने जैन संतों के वस्त्रों को लेकर जो टिप्पणी की है, वह समूचे जैन समाज और सनातन संस्कृति का अपमान करने वाली है.
देवनानी ने कहा सरवर चिश्ती को माफी मांगना चाहिए
देवनानी ने कहा कि सरवर चिश्ती को सनातन समाज से माफी मांगनी चाहिए. उन्होंने कहा कि अढाई दिन का झोपड़ा सदैव से जनमानस में संस्कृत विद्यालय के रूप में अंकित रहा है. अजमेर के लोग जानते है कि सनातन संस्कृति में प्राचीनकाल में इसका शिक्षा के रूप में क्या महत्व था. कालांतर में इस पर किस तरह कब्जा हुआ और कैसे यह विद्यालय से अढाई दिन का झोपड़ा बना, यह खोज का विषय है. अढाई दिन झोपड़ा की सच्चाई जानने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को पत्र लिखा जाएगा. सनातनी इस तरह की ओछी मानसिकता को बर्दाश्त नहीं करेंगे.
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