Rajasthan Water Crisis: राजस्थान के 100 द्वीपों वाले शहर में सूख गए नल, 42℃ में सिर पर मटकी रखकर 6 KM चलने से मिलता है पीने का पानी

Rajasthan Water Supply: अमूमन हर साल नॉन कमांड क्षेत्र में 1 अप्रैल से टैंकरों से पानी की सप्लाई शुरू कर दी जाती है, लेकिन इस वर्ष अभी तक पानी के टैंकर शुरू नहीं किए हैं, जिसका खामियाजा दो दर्जन ग्राम पंचायतों की करीब एक लाख से अधिक जनता को भुगतना पड़ रहा है.

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दूर दराज क्षेत्र से बर्तनों में पानी भर कर घर ले जा रहीं महिलाएं.

Rajasthan News: गर्मी की शुरुआत होने के साथ ही पूरे देश में सौ द्वीपों के शहर के नाम से मशहूर जनजाति जिले बांसवाड़ा (Banswara) के दूरस्थ और सीमावर्ती गांवों में पेयजल संकट (Drinking Water Crisis) के हालात बनने शुरू हो गए हैं. ग्रामीण सुबह से लेकर तपती दोपहर तक पानी का जुगाड़ करने में जुटे हैं. जिले में बांसवाड़ा, कुशलगढ़, सज्जनगढ़ और छोटी सरवन पंचायत समिति क्षेत्र इससे सर्वाधिक प्रभावित है.

गर्मी में महिलाओं की भागदौड़

इन दिनों सुबह दस बजे के आसपास ही गर्मी का अहसास हो रहा है. ऐसे में ग्रामीण क्षेत्रों की स्थिति का सहज अंदाजा लगाया जा सकता है. तेज गर्मी के बीच पानी के लिए महिलाओं की भागदौड़ भी बढ़ रही है. सबसे अधिक संकट की स्थिति बांसवाड़ा और कुशलगढ़ विधानसभा क्षेत्र में आने वाले गांवों में हैं. वहीं बांसवाड़ा विधानसभा क्षेत्र के छोटी सरवन और आंबापुरा क्षेत्र में भी कमोबेश यही हालात हैं. माही बांध के किनारे स्थित इस क्षेत्र की स्थिति जल बीच मीन प्यासी जैसी है. यहां बिखरी बस्तियां हैं और इनमें रहने वाली महिलाएं सुबह से ही पानी का जुगाड़ करने निकल जाती हैं.

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महिलाएं संग बच्चे भी पानी लाने के काम में जुटे.
Photo Credit: NDTV Reporter

दम तोड़ रही हर घर नल योजना

इन दिनों स्कूल बंद होने से बच्चे भी घर में जो बर्तन हाथ आया, उसे लेकर साथ जा रहे हैं. जल संकट के बीच जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग का दावा है कि जिले में स्थिति नियंत्रण में है. शहर से तीस किलोमीटर दूरी पर स्थित फरात पाड़ा गांव में पेयजल के लिए हेडपंप हैं, लेकिन उससे पानी नहीं आ रहा है. हर घर नल योजना भी यहां दम दौड़ती हुई नजर आ रही है. 

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टैंकरों से पानी की सप्लाई भी रुकी

अमूमन हर साल नॉन कमांड क्षेत्र में 1 अप्रैल से टैंकरों से पानी की सप्लाई शुरू कर दी जाती है, लेकिन इस वर्ष अभी तक पानी के टैंकर शुरू नहीं किए हैं, जिसका खामियाजा दो दर्जन ग्राम पंचायतों की करीब एक लाख से अधिक जनता को भुगतना पड़ रहा है. जिले के पाटन, सरोना, पंचायत छोटी सरवा, भंवरदा, मोहकमपुरा, बिजौरी आदि पंचायतों में पानी की भारी किल्लत हो रही है. ग्राम पंचायतों का तर्क है कि अभी तक प्रशासनिक स्वीकृति जारी नहीं होने से उनके क्षेत्र में पेयजल का संकट खड़ा हो गया है और लोगों को दूर दराज क्षेत्र से पानी लाना पड़ रहा है.

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