राजस्थान के इन जिलों में आएगा सिंधु सहित पश्चिमी नदियों का पानी, 200 किलोमीटर की नहरों और 12 सुरंगों का होगा निर्माण

भारत सरकार ने सिंधु जल समझौता निलंबित कर पश्चिमी नदियों का पानी को राजस्थान के सूखे इलाकों तक पहुंचाने की योजना शुरू की है. जिससे श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, बीकानेर, जोधपुर, बाड़मेर, जैसलमेर, नागौर, फलौदी, सिरोही, बालोतरा और डिडवाना-कुचामन को पानी मिलेगा.

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राजस्थान को मिलेगा सिंधु सहिद पश्चिमी नदियों का पानी.

Rajasthan News: भारत सरकार ने सिंधु जल समझौते को निलंबित करने के बाद पश्चिमी नदियों के पानी को देश हित में उपयोग करने की बड़ी योजना शुरू की है. इस महत्वाकांक्षी परियोजना में राजस्थान को प्रमुख लाभार्थी बनाया गया है. केंद्र सरकार का लक्ष्य सिंधु नदी प्रणाली की झेलम, चिनाब और सिंधु नदियों के भारत के हिस्से के पानी को पंजाब, हरियाणा से होते हुए राजस्थान के सूखे इलाकों तक पहुंचाना है.

नई नहरें और सुरंगें बनेंगी

इस योजना के तहत 113 से 200 किलोमीटर लंबी नई नहरें और 12 सुरंगों का निर्माण होगा. चिनाब नदी के पानी को रावी, ब्यास और सतलुज नदियों से जोड़कर हरिके बैराज तक लाया जाएगा. वहां से मौजूदा नहरों के जरिए पानी राजस्थान पहुंचेगा. इंदिरा गांधी नहर परियोजना को और मजबूत कर पानी का बेहतर वितरण सुनिश्चित किया जाएगा.

इन जिलों को मिलेगा फायदा

इस परियोजना से श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, बीकानेर, जोधपुर, बाड़मेर, जैसलमेर, नागौर, फलौदी, सिरोही, बालोतरा और डिडवाना-कुचामन जैसे जिले लाभान्वित होंगे. इन इलाकों में सिंचाई और पेयजल की समस्या दूर होगी, जिससे किसानों और आम लोगों को बड़ी राहत मिलेगी.

तीन साल में पूरा होगा काम

केंद्र सरकार ने इस योजना को अगले तीन साल में पूरा करने का लक्ष्य रखा है. केंद्रीय जलशक्ति मंत्रालय और राजस्थान सरकार मिलकर सिंगल विंडो सिस्टम के जरिए पर्यावरण और तकनीकी मंजूरी को तेज करेंगे. इससे परियोजना में देरी नहीं होगी.

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सामरिक और पर्यावरणीय महत्व

यह योजना न केवल जल प्रबंधन के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि पाकिस्तान पर कूटनीतिक दबाव बनाने का भी मजबूत कदम है. विशेषज्ञों का कहना है कि यह परियोजना भारत को सामरिक और पर्यावरणीय रूप से और सशक्त बनाएगी.

राजस्थान के लिए नई उम्मीद

यह योजना राजस्थान के रेगिस्तानी इलाकों में हरियाली लाने और पानी की किल्लत को खत्म करने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी. इससे न केवल कृषि को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी.

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