Tiger Attack: 'हम बाल-बाल बचे' जब बाघ ने मारा झपट्टा, बकरी के वजह से बची जान; ग्रामीणों ने सुनाई दहशत भरी कहानी

 इलाके में लगातार बाघ देखे जाने की घटनाएं ग्रामीणों के लिए भय का कारण बन गई हैं. ग्रामीणों का कहना है कि वे पहले से ही विस्थापन की मांग कर रहे हैं, लेकिन विभाग की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है. 

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बाघ के हमले की दहशत भरी कहानी

राजस्थान में टाइगर रिजर्व से सटे गांव के लोग अक्सर खौफ के साए में जीते हैं. जंगल से निकलकर कभी बाघ पालतू पशुओं को अपना शिकार बनाता है तो कभी खेत में काम कर रहे किसी किसान पर हमले की घटना सामने आती है. ऐसे ही अलवर में सरिस्का टाइगर रिजर्व के पास एक गांव के आसपास बाघ के मूवमेंट होने से दहशत में जी रहे हैं. ग्रामीण पहले से ही गांव से विस्थापन के लिए मांग करते आए हैं. अब तो ग्रामीणों ने वन विभाग की चौकी का घेराव कर डाला और हमें टाइगर से सुरक्षित रखें या हमें अन्य जगह स्थापित करें. 

बाघ के मूवमेंट से दहशत में ग्रामीण

दरअसल, सरिस्का टाइगर रिजर्व के अकबरपुर रेंज के बेरा गांव के आसपास अक्सर टाइगर का मूवमेंट होता रहता है. इलाके में लगातार बाघ देखे जाने की घटनाएं ग्रामीणों के लिए भय का कारण बन गई हैं. ग्रामीणों का कहना है कि वे पहले से ही विस्थापन की मांग कर रहे हैं, लेकिन विभाग की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है. रविवार शाम को बेरा गांव के पास एक खतरनाक घटना हुई.

ग्वालों का कहना है कि हम बाल-बाल बच गए. अगर बकरी बीच में न आती तो बाघ उन पर हमला कर सकता था. बेरा गांव के आसपास कई बाघों की मूवमेंट रहती है, जिससे रोजमर्रा की जिंदगी खतरे में है. बच्चों और पशुओं को लेकर लोग बेहद चिंतित हैं.

बाघ ने बकरी पर मारा झपट्टा

ग्वाले जब बकरियां चराकर लौट रहे थे, तभी अचानक एक बाघ उनके सामने आ गया. ग्वालों के मुताबिक, बाघ के साथ उसके दो शावक भी थे. जैसे ही बाघ ने हमला करने की कोशिश की, बीच में एक बकरी आ गई और बाघ ने उस पर झपट्टा मार दिया. ग्वालों ने शोर मचाया, जिससे आसपास के ग्रामीण मौके पर पहुंचे और बाघ वहां से भाग गया. हालांकि, इस घटना ने गांव में दहशत का माहौल और बढ़ा दिया है.

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घटना के बाद ग्रामीणों ने रात में वन विभाग की चौकी का घेराव किया. बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा होकर अपनी सुरक्षा की मांग करने पहुंचे. मौके पर फॉरेस्टर और स्थानीय सरपंच भी पहुंचे और लोगों को समझाने की कोशिश की. ग्रामीणों का कहना है कि वे पहले से ही विस्थापन के लिए तैयार हैं, लेकिन विभाग इस ओर ध्यान नहीं दे रहा. उनका स्पष्ट कहना है कि या तो उन्हें टाइगर से सुरक्षा दी जाए या फिर किसी सुरक्षित स्थान पर बसाया जाए. 

वहीं कर्मचारी वन विभाग कर्मचारी रविंद्र का कहना है कि करीब 4:30 बजे की यह घटना है और बाघिन ST 22 और उनके दो शावक आ गए थे. इस जंगल में चार टाइगरों की मूवमेंट रहता है जिसमें बाघ ST 29 और बाघीन ST 22 व उसके दो शावक रहते हैं.

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