Rajasthan: डॉक्टर इकबाल सक्का ने तोड़ा विश्व रिकॉर्ड, बनाए गांधी जी के शक्कर के दाने से छोटे दो चश्मे

डॉक्टर इकबाल सक्का ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के पोरबंदर गुजरात में बने संग्रहालय को गांधी चश्मा, खड़ाऊ, नाव और चप्पू भेंट करेंगे.

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Rajasthan News: राजस्थान के उदयपुर में महात्मा गांधी की 155वीं जयंती के मौके पर नया रिकार्ड बन गया है. जिले के रहने वाले डॉक्टर इकबाल सक्का ने गांधी जी के लिए शक्कर के दाने से भी छोटे दो गांधी चश्मे, खड़ाऊ , साबरमती नदी को पार करने वाली नाव का मॉडल और चप्पू बनाकर एक नया विश्व रिकार्ड बना दिया. साथ ही गिनीज बुक में दर्ज नीदरलैंड की कंपनी के सबसे छोटे चश्मे बनाने के रिकार्ड को भी तोड़ दिया. डॉक्टर इकबाल सक्का के नाम पहले भी 100 से अधिक विश्व रिकॉर्ड दर्ज हैं.   

7 दिन में बनाई सभी कलाकृतियां

डॉक्टर सक्का ने गांधी चश्मे में सफेद कांच की कटिंग करके लेंस भी बनाकर लगाए हैं. इन लेंसों को सूक्ष्मदर्शी लेंस से देखा जा सकता है. डॉक्टर सक्का ने बताया कि गांधी का चश्मा, खड़ाऊ, नाव और चप्पू को बनाने में उनको 7 दिन का समय लगा है. सभी कलाकृतियां एक-एक मिलीमीटर साइज की हैं और शक्कर के दाने से भी छोटी है. इन सभी कलाकृतियों का वजन 0.010 मिलीग्राम आ रहा है, यानी वजन भी नहीं आ रहा है.

डॉ. इकबाल सक्का अपनी कलाकृतियों के साथ 

गांधी संग्रहालय को करेंगे चश्मा भेंट 

आगे डॉक्टर सक्का ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पोरबंदर गुजरात में जो पुश्तैनी हवेली थी. उस हवेली को भारत सरकार ने बहुत सुंदर संग्रहालय बना दिया है. उसी संग्रहालय में डॉ.इकबाल सक्का विश्व का सबसे छोटा गांधी चश्मा, खड़ाऊ, नाव और चप्पू भेंट करेंगे. इसके लिए उन्होंने महात्मा गांधी संग्रहालय पोरबंदर की कमेटी को पत्र भी लिखा है. साथ ही दूसरा चश्मा देश के प्रधानमंत्री को स्वच्छ भारत अभियान की सफलता पर राजस्थान वासीयों  की तरफ से भेंट के तौर पर देंगे.

मेरी कलाकृतियों के लिए बने म्यूजियम 

इस भेंट के लिए डॉक्टर इक़बाल ने प्रधानमंत्री को पत्र एक लिखा है. डॉक्टर सक्का ने उदयपुर के पर्यटक स्थल दूध तलाई, मोती मगरी, सहेली की बड़ी, फतेह सागर, को चश्में लेंस की सहायता से पर्यटकों दिखलाया तो सब आश्चर्य चकित रह गए और प्रशंसा करने लगे. डॉ.सक्का लगातार अपने हुनर से नायब सूक्ष्म कलाकृतियों को बनाते है और उनका सपना है कि इन कलाकृतियों के लिए एक म्यूजियम बने. जिसके बाद देश-विदेश के पर्यटन इन सूक्ष्म कलाकृतियों को देख सके.

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