विज्ञापन

करौली में श्राद्ध पक्ष की 200 वर्ष पुरानी ये अनूठी परंपरा, बिना ब्रश के बनाते है रंगोली

यह 16 दिवसीय परंपरा भाद्रपद माह की पूर्णिमा से शुरू होकर आश्विन माह की पितृमोक्ष अमावस्या तक चलती है और इसमें हर दिन कृष्ण लीला के अलग-अलग रूप दिखाए जाते हैं.

करौली में श्राद्ध पक्ष की 200 वर्ष पुरानी ये अनूठी परंपरा, बिना ब्रश के बनाते है रंगोली
करौली में सांझी में बनी विशेष प्रकार की रंगोली

Rajasthan News: राजस्थान के करौली जिले में श्राद्ध पक्ष के दौरान सांझी बनाने की एक अनूठी और प्राचीन परंपरा है, जो लगभग 200 वर्षों से भी अधिक पुरानी है. इस दौरान करौली में हर साल पितृपक्ष के 16 दिनों में विशेष रूप से रंगों से बनी सांझी सजाई जाती है. पहले यह परंपरा हर घर में मनाई जाती थी, लेकिन अब इसे मुख्यत मदन मोहन जी के मंदिर में ही बनाया जाता है.

रंगोली बनाते हुए कारीगर

सांझी  के लिए रंगोली बनाते हुए कारीगर

बिना ब्रश के बनाई जाती है रंगोली 

सांझी एक विशेष प्रकार की रंगोली है, जिसे बिना ब्रश के सिर्फ चुटकी से रंग भरकर बनाया जाता है. यह परंपरा भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं को दर्शाने के लिए प्रसिद्ध है, जिसमें पूरे ब्रजमंडल की झलक देखने को मिलती है. सांझी के माध्यम से विभिन्न धार्मिक स्थलों जैसे वृंदावन, बरसाना, नंदगांव, राधा कुंड आदि की झांकियों को चित्रित किया जाता है. 

सांझी रंगोली के दर्शन करते हुए श्रद्धालु

सांझी रंगोली के दर्शन करते हुए श्रद्धालु

सांझी देखने दूर-दूर से आते हैं श्रद्धालु

यह 16 दिवसीय परंपरा भाद्रपद माह की पूर्णिमा से शुरू होकर आश्विन माह की पितृमोक्ष अमावस्या तक चलती है और इसमें हर दिन कृष्ण लीला के अलग-अलग रूप दिखाए जाते हैं. सांझी की इस अनूठी कला को देखने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं. इतिहासकार वेणुगोपाल ने बताया सांझी परंपरा को सैकड़ों वर्ष हो गए है. इस परंपरा को केवल पितृ पक्ष में ही बनाया जाता है. 16 दिनों तक इसको अलग-अलग रूप में चित्रों के द्वारा वर्णित किया जाता है. पहले इसको घरों में बनाया जाता था, लेकिन अब केवल मदन मोहन जी मंदिर प्रांगण में ही सिमट कर रह गई है.

अलग- अलग रंगों से रंगोली बनाते हुए कारीगर

अलग- अलग रंगों से रंगोली बनाते हुए कारीगर  

तरह के रंगों से बनती हैं सांझी

सांझी चित्रकार विजय भट्ट का कहना है कि सांझी को बनाने वाले लोग बहुत कम संख्या में बचे है. अब केवल चार-पांच लोग ही हैं जो इसे बना पाते हैं. सांझी को बनाने के लिए पहले बाहर से लोग आते थे, लेकिन अब नहीं आते हैं. यह ब्रज का क्षेत्र है,यहां अलग-अलग प्रकार की सांझी बनाई जाती है. इसमें कई तरह के रंग डालते है जैसे, गुलाबी, नीला, हरा, केसरिया और सफेद साथ में ओर भी रंगों का इस्तेमाल किया जाता है. सभी रंगों को मिक्स करके ही सांझी बनाई जाती हैं.

सांझी में बनाई कृष्ण लीला की रंगोली

सांझी में बनाई कृष्ण लीला की रंगोली

यह भी पढ़ें- पुत्र वियोग में त्याग दिए थे प्राण, आज घर-घर में होती है पूजा; जानें जसोल धाम की कहानी

Rajasthan.NDTV.in पर राजस्थान की ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें. देश और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं. इसके अलावा, मनोरंजन की दुनिया हो, या क्रिकेट का खुमार, लाइफ़स्टाइल टिप्स हों, या अनोखी-अनूठी ऑफ़बीट ख़बरें, सब मिलेगा यहां-ढेरों फोटो स्टोरी और वीडियो के साथ.

फॉलो करे:
Previous Article
Jodhpur: शारदीय नवरात्र की तैयारी शुरू,  पश्चिम बंगाल के कलाकारों द्वारा तैयार की जा रही इको-फ्रेंडली मूर्तियां
करौली में श्राद्ध पक्ष की 200 वर्ष पुरानी ये अनूठी परंपरा, बिना ब्रश के बनाते है रंगोली
Kailadevi temple Navratri Mela, know 100 years old history of royal family.
Next Article
नवरात्रि में आकर्षण का केंद्र है कैलादेवी मंदिर, जानें राजपरिवार के कुलदेवी का 100 साल पुराना इतिहास 
Close